दिल्ली HC में WFI चीफ संजय सिंह का सेलेक्शन रोकने के लिए बजरंग पुनिया, विनेश समेत ने दायर की है याचिका

    संजय सिंह, जिन्हें 2023 में WFI का अध्यक्ष चुना गया था, उन्हें पूर्व भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह का सहयोगी माना जाता है.

    दिल्ली HC में WFI चीफ संजय सिंह का सेलेक्शन रोकने के लिए बजरंग पुनिया, विनेश समेत ने दायर की है याचिका
    पहलवानों की तरफ से मामले की सुनवाई कर रहे वकील राहुल मेहरा और WFI के अध्यक्ष संजय सिंह | Photo- ANI

    नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के चुनाव को रद्द करने और न्यायालय द्वारा एक सदस्यीय समिति की नियुक्ति की मांग की गई है.

    याचिका में यह भी मांग की गई है कि संजय सिंह को आगे कोई भी चयन करने से रोका जाए.

    संजय सिंह, जिन्हें 2023 में WFI अध्यक्ष के रूप में चुना गया था, को पूर्व WFI अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह का सहयोगी माना जाता है.

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    बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट समेत ने दायर की है ये याचिका

    पहलवान बजरंग पुनिया व अन्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने बताया, "यह बजरंग पुनिया, विनेश फोगट, साक्षी मलिक और अन्य की ओर से ओलंपिक खेलों से पहले दायर की गई एक रिट याचिका है."

    अधिवक्ता मेहरा ने कहा, "याचिका में बृज भूषण शरण सिंह के प्रतिनिधि के खिलाफ मांगी की गई है, क्योंकि वर्तमान डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह बिना किसी आदेश के अनधिकृत और अवैध निर्णय ले रहे हैं."

    ट्रायल सेलेक्शन के संबंध में निलंबित फेडरेशन अध्यक्ष द्वारा लिए गए निर्णयों पर सवाल उठाते हुए अधिवक्ता मेहरा ने आगे कहा, "निलंबित फेडरेशन अध्यक्ष को कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए था. हालांकि, उन्होंने ऐसा करना जारी रखा, यहां तक ​​कि अदालत की कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए लेटर पाने की हद तक चले गए. हमने आगामी ओलंपिक खेलों को देखते हुए संजय सिंह की अध्यक्षता वाली डब्ल्यूएफआई और विश्व निकाय के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के बीच पूरी तरह अलगाव की मांग की."

    याचिका में एक सदस्यीय समिति बनाने की मांग

    उन्होंने यह भी जिक्र किया कि याचिका में एक सदस्यीय समिति की नियुक्ति की मांग की गई है. अधिवक्ता मेहरा ने कहा, "हमने यह भी अनुरोध किया कि संजय सिंह और अन्य पदाधिकारियों को आगे कोई भी चयन करने से रोका जाए और अदालत द्वारा एक सदस्यीय समिति नियुक्त की जाए. मामले की सुनवाई 2.5 महीने तक चली, जिसमें 24 मई को फैसला सुरक्षित रखा गया, जिसे अब आज घोषित किया जा रहा है."

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