इस्लामाबाद: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से तनाव बढ़ गया है. इस घटनाक्रम के बीच पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने भारत पर गंभीर आरोप लगाए और साथ ही क्षेत्रीय शांति को लेकर चिंता भी जताई.
पाकिस्तान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा?
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार, और सेना के जनसंपर्क प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. पाकिस्तान ने कहा कि भारत, खासकर पहलगाम हमले के बाद, सीमा पार आतंकवाद के आरोपों को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग कर रहा है.
ISPR प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा, "भारत द्वारा लगाए गए आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि इसका अब तक कोई ठोस प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. पाकिस्तान की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है."
भारत को कड़ा जवाब देने की चेतावनी
विदेश मंत्री डार ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी प्रकार की आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान खुद से कोई आक्रामक कदम नहीं उठाएगा.
उन्होंने कहा, “हम क्षेत्रीय शांति में विश्वास रखते हैं, लेकिन यदि हमारी संप्रभुता को चुनौती दी गई, तो पाकिस्तान मजबूती से जवाब देगा.”
डार ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र, दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील कर रहा है और पाकिस्तान इस अपील का सम्मान करता है.
आतंकवाद पर पाकिस्तान की स्थिति
डार ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के सभी रूपों की स्पष्ट रूप से निंदा की है. उन्होंने कुरान का हवाला देते हुए कहा, “एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या, पूरी मानवता की हत्या के समान है.” उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान खुद भी दशकों से आतंकवाद से पीड़ित रहा है और इस प्रकार वह अन्य देशों के दर्द को भलीभांति समझता है.
भारत की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय नजरें
भारत की तरफ से इस प्रेस कॉन्फ्रेंस पर अब तक कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन भारत सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वालों और उन्हें समर्थन देने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगी.
वहीं, अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर अब इन दोनों देशों पर टिकी हुई है, खासकर इसलिए कि यह तनाव ऐसे समय में बढ़ रहा है जब दक्षिण एशिया में स्थिरता और आर्थिक सहयोग की नीतियों को प्राथमिकता दी जा रही है.
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