नई दिल्ली : जुलाई में वस्तु एवं सेवा कर (GST) कलेक्शन कुल 182,075 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में 10.3 प्रतिशत अधिक है.
जुलाई 2023 में कुल संग्रह 165,105 करोड़ रुपये था. गुरुवार को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला कि जुलाई में सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी और सब टैक्स सभी में साल-दर-साल वृद्धि हुई है.
2024 में अब तक कुल जीएसटी कलेक्शन 10.2 प्रतिशत बढ़कर 7.38 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि 2023 की इसी अवधि में 6.70 लाख करोड़ रुपये का कलेक्शन हुआ था. अप्रैल में कुल जीएसटी संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि मई और जून में संग्रह 1.73 लाख करोड़ रुपये और 1.74 लाख करोड़ रुपये था. वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान कुल जीएसटी संग्रह 20.18 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 11.7 प्रतिशत की वृद्धि है.
मार्च 2024 में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए औसत मासिक संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के औसत 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक था.
हाल ही में जीएसटी संग्रह में वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मकता को दिखा रहा है, जो मजबूत घरेलू खपत और उछाल वाले आयात गतिविधि को रेखांकित करती है. ये आंकड़े देश के राजकोषीय स्वास्थ्य और आर्थिक सुधार के प्रयासों के लिए अच्छे संकेत हैं, जो वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच लचीलेपन का संकेत देते हैं.
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1 जुलाई 2017 को जीएसटी को किया गया था लागू
देश में 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर लागू किया गया था और राज्यों को जीएसटी (राज्यों को मुआवजा) अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार 5 साल के लिए जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान के लिए मुआवजे का भरोसा दिया गया था. हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, साबुन; डिटर्जेंट और वाशिंग पाउडर; गेहूं; चावल; दही, लस्सी, छाछ; कलाई घड़ी; 32 इंच तक का टीवी; रेफ्रिजरेटर; वाशिंग मशीन, मोबाइल फोन, उन प्रमुख वस्तुओं में से हैं जिन पर जीएसटी दरों में काफी कटौती की गई है, या कुछ के लिए शून्य रखा गया है, जिससे इस देश के लोगों को लाभ हुआ है.
वित्त मंत्रालय का दावा- लोगों ने की 4 प्रतिशत की बचत
वित्त मंत्रालय के एक हालिया अध्ययन ने सुझाव दिया कि उपभोक्ताओं ने जीएसटी के बाद कुल मिलाकर अपने घरेलू मासिक खर्च का कम से कम चार प्रतिशत बचाया. इस प्रकार, उपभोक्ता अब अनाज, खाद्य तेल, चीनी, मिठाई और स्नैक्स जैसी दैनिक उपभोग की वस्तुओं पर कम खर्च करते हैं.
जीएसटी व्यवस्था ने पिछली पुरानी टैक्स प्रणाली की अक्षमताओं और जटिलताओं को दूर किया है. पिछले कुछ वर्षों में, जीएसटी ने अन्य बातों के अलावा, अनुपालन को सरल बनाया है और कर के व्यापक प्रभाव को कम किया है.
1 जुलाई, 2017 से पहले, अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था बहुती ही बिखरी हुई थी. केंद्र और राज्य अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगा रहे थे. जीएसटी परिषद, एक संघीय निकाय जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री इसके अध्यक्ष और सभी राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य हैं, ने मंच में अपनी भूमिका निभाई है.
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