जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, लंबे समय से थे बीमार

    Satyapal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है. वो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे.

    Former Jammu and Kashmir Governor Satyapal Malik passed away was ill for a long time
    Image Source: Bharat 24

    Satyapal Malik Death: भारतीय राजनीति की एक बेबाक और निर्भीक आवाज, सत्यपाल मलिक, अब हमारे बीच नहीं रहे.  5 अगस्त 2025 की सुबह देश के लिए एक दुखद खबर लेकर आई — जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय जैसे राज्यों के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक का दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में निधन हो गया.  वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और किडनी की समस्या से जूझ रहे थे. 

    उनकी टीम ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर उनके निधन की पुष्टि की.  उनके निजी सचिव केएस राणा ने जानकारी दी कि मलिक जी ने अंतिम सांस मंगलवार को अस्पताल में ली. 

    जब इतिहास बदल रहा था, तब वे जिम्मेदारी निभा रहे थे

    सत्यपाल मलिक का नाम उस ऐतिहासिक क्षण से जुड़ा है, जब 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटाया गया.  उस समय वे राज्यपाल के पद पर थे.  बाद में जब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया, तब वे पहले उपराज्यपाल बनाए गए.  वे एक ऐसे प्रशासक थे जिन्होंने न केवल संवैधानिक जिम्मेदारियां निभाईं, बल्कि कई बार सत्ता के खिलाफ भी सच बोलने का साहस दिखाया. 

    छात्र राजनीति से संसद तक का सफर

    24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत में जन्मे सत्यपाल मलिक का सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ.  मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी करने के बाद उन्होंने छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में पहला चुनाव जीता.  1974 में वे पहली बार विधायक बने और फिर राज्यसभा पहुंचे.  1989 में अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने.  उन्होंने जनता दल, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी जैसे दलों में सक्रिय राजनीति की और देश के अलग-अलग हिस्सों में संवैधानिक पदों पर भी रहे. 

    एक ऐसी आवाज जो कभी नहीं डरी

    सत्यपाल मलिक उन चुनिंदा राजनेताओं में थे जो अपने विचार खुलकर रखते थे.  उन्होंने कृषि आंदोलन, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय नीतियों पर खुलकर बयान दिए. उनकी बेबाकी के कारण उन्हें आलोचना भी झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने विचारों से समझौता नहीं किया. 

    जेडीयू नेता केसी त्यागी ने उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा, "हम दोनों ने मेरठ से साथ राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.  चौधरी चरण सिंह के लोकदल से लेकर वीपी सिंह की सरकार तक का लंबा सफर हमने साथ तय किया.  उनके जाने से पश्चिमी यूपी ने एक मज़बूत आवाज़ खो दी है. "

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