मध्य पूर्व में बढ़ते युद्ध के साए के बीच अब एक और डर दुनिया को सता रहा है—क्या होगा अगर अमेरिका या इजरायल ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला कर देते हैं? क्या उस हमले से रेडिएशन लीक हो सकता है? और अगर हां, तो उसका दायरा कितना बड़ा होगा?
CNN की रिपोर्ट और कई विशेषज्ञों की चेतावनी इस आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं करती. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की भी नजरें फिलहाल फोर्डो पर ही टिकी हैं.
फोर्डो प्लांट है क्या? और क्यों है इतना संवेदनशील?
ईरान का फोर्डो यूरेनियम संवर्धन केंद्र एक पहाड़ी इलाके के भीतर, गहराई में बना हुआ हाई-सेक्योरिटी प्लांट है. यह कोई एक्टिव परमाणु रिएक्टर नहीं है, बल्कि यहां यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6) गैस को सेंट्रीफ्यूज मशीनों से गुजारकर संवर्धित किया जाता है. यह संवर्धित यूरेनियम बाद में न्यूक्लियर फ्यूल या हथियारों में इस्तेमाल किया जा सकता है.
अगर हमला हुआ, तो क्या रेडिएशन फैलेगा?
विशेषज्ञों की राय में यदि कोई हमला इस साइट के गहरे भूमिगत हिस्सों तक पहुंचता है, तो सीमित मात्रा में रेडिएशन और केमिकल रिसाव संभव है. लेकिन यह रिसाव बहुत व्यापक नहीं होगा.
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की नॉनप्रोलिफरेशन पॉलिसी डायरेक्टर केसली डेवनपोर्ट बताती हैं कि यदि फोर्डो से लीक होता भी है तो वह अल्फा रेडिएशन के रूप में होगा, जो मुख्यतः केमिकल टॉक्सिसिटी का कारण बन सकता है—लेकिन इससे बचाव संभव है, खासतौर पर अगर लोग सुरक्षा उपकरणों से लैस हों.
फोर्डो से चेर्नोबिल जैसी तबाही नहीं होगी
यह बात बहुत अहम है कि फोर्डो कोई ‘एक्टिव न्यूक्लियर रिएक्टर’ नहीं है, जहां कोर मेल्टडाउन जैसी स्थिति बन सकती हो. NTI (Nuclear Threat Initiative) के वाइस प्रेसिडेंट स्कॉट रोकर के मुताबिक, चूंकि यह प्लांट जमीन के भीतर है और यहां कोई चल रहा रिएक्टर नहीं है, इसलिए यहां से बड़े पैमाने पर रेडिएशन फैलने की आशंका बेहद कम है.
फिर डर किस बात का है?
डर इस बात का है कि अगर हमला हुआ, तो एक बड़ा राजनीतिक और रणनीतिक संकट पैदा हो सकता है. इंटरनेशनल लॉ के मुताबिक, किसी भी देश द्वारा परमाणु स्थलों पर हमला एक गंभीर उल्लंघन माना जाएगा. इससे न केवल मध्य पूर्व की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है, बल्कि दुनियाभर में रेडिएशन सुरक्षा और न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन से जुड़े नियमों पर भी सवाल उठ सकते हैं. डेवनपोर्ट साफ कहती हैं—"अगर कोई देश न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला करता है, तो वो अंतरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन होगा और उसके परिणाम बहुत दूरगामी होंगे."
ये भी पढ़ेंः क्या ईरान की परमाणु साइटें वाकई सुरक्षित हैं? जानिए ‘यूरेनियम संवर्धन’ क्या होता है, जिससे दुनिया में मचा हड़कंप