नई दिल्ली : उत्तराखंडी जौनसारी संस्कृति की सबसे बड़ी खासियत क्या है. आपसे कभी यह प्रश्न पूछा जाए, तो स्वाभाविक तौर पर आपका उत्तर होगा-जड़ों से जुड़ाव. जौनसारी की पहली फीचर फिल्म 'मेरे गांव की बाट' के मूूल में जड़ों से जुड़ाव की ये सच्चाई मौजूद है.
ऐसी सच्चाई कि कोई किन्हीं कारणों से कुछ समय के लिए अपनी जड़ों से दूर हो भी जाए, तो फिर भी उसे लौटकर आना ही होता है. उसके गांव का बाट यानी रास्ता उसका हमेशा इंतजार करता रहता है. उसके लिए हमेशा खुला रहता है.
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गढ़वाली की पहली फिल्म हुई इतिहास में दर्ज
इंतजार लंबा खिंचा, लेकिन जौनसार बावर की अपनी पहली फीचर फिल्म का सपना हकीकत में बदल ही गया है. मेरे गांव की बाट फिल्म इतिहास में दर्ज हो गई है. गढ़वाली की पहली फिल्म जग्वाल से पाराशर गौड़ और कुमाऊंनी फिल्म मेघा आ से जीवन सिंह बिष्ट को जो सम्मान मिला, उसी तरह की स्थिति में अब मेरे गांव की बाट फिल्म केएस चैहान ने पेश की है. उनके साथ निश्चित तौर पर फिल्म के कहानीकार व निर्देशक अनुज जोशी का जिक्र जरूरी है, जिन्होंने काफी मेहनत की है.
मेरे गांव की बाट फिल्म की कहानी सीधी सरल है, लेकिन इसका प्रस्तुति दमदार है. जौनसार बावर के लोक समाज की परंपराएं, रीति-रिवाज, रहन-सहन, मान्यताएं, विश्वास, स्वाभिमान सब कुछ फिल्म में दिखता है. सिनेमैटोग्राफी कमाल की है. यही वजह है कि पर्दे पर जौनसार बावर उतना ही खूबसूरत नजर आता है, जितना कि वह वास्तव में है.
जौनसारी समाज के जीवन में गीत-संगीत-नृत्य मजबूती से शामिल है. इसलिए फिल्म में एक के बाद एक कई गीत सामने आते हैं. गीत-संगीत का विभाग फिल्म का मजबूत पक्ष है, जो मनोरंजन करने से लेकर जौनसारी लोक संस्कृति के हर पक्ष को प्रभावी ढंग से उभारने में सफल दिखता है. गीत-संगीत विभाग को संभालने वाले अमित वी कपूर, श्याम सिंह चैहान और सीताराम चैहान इसके लिए तारीफ के हकदार हैं.
अभिनव चौहान के कंधे पर आगे बढ़ती है फिल्म
अभिनव चैहान के युवा कंधों पर फिल्म का बड़ा भार टिका हुआ है, जो आयुष गोयल के साथ फिल्म के निर्माता हैं. फिल्म के हीरो हैं और उन्होंने प्ले बैक सिंगिंग भी की है. अभिनव संभावनाओं से भरे हुए हैं और उन्होंने काफी मेहनत की है.
उनके अपोजिट प्रियंका का काम भी अच्छा है. बाकी कलाकारों में, जिसको जो जिम्मेदारी मिली है, उसने उसे अच्छे से निभाया है. आप यदि जौनसारी नहीं भी हैं, तो भी आप आसानी से यह समझ सकते हैं कि फिल्म क्या कहना चाहती है.
आप यदि पहाड़ से प्रेम करते हैं. जौनसारी संस्कृति को जानने में आपकी दिलचस्पी है. जौनसार के विहंगम प्राकृतिक दृश्यों, वहां के रहन-सहन, परंपराओं को देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म फिर आपके लिए ही है.
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