नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को 2021-22 की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में ज़मानत दे दी. केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अलग-अलग जांच किए गए मामलों में सिसोदिया को नियमित ज़मानत दी गई थी, जिससे 17 महीने बाद जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया.
सिसोदिया 10 लाख रुपये का जमानत बांड भरना होगा
अदालत ने सिसोदिया को दो जमानतदारों के साथ 10 लाख रुपये का जमानत बांड भरने, अपना पासपोर्ट जमा करने और सप्ताह में दो बार सोमवार और गुरुवार को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि वह गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं करेंगे.
अदालत ने सिसोदिया को दिल्ली सचिवालय या मुख्यमंत्री कार्यालय जाने से रोकने के ईडी के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जैसा कि अरविंद केजरीवाल के मामले में किया गया था, जब उन्हें राष्ट्रीय चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी.
इतने दिनों से जेल में बंद हैं मनीष सिसोदिया
सीबीआई ने दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण एवं कार्यान्वयन में अनियमितताओं में कथित संलिप्तता को लेकर सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें 9 मार्च 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. सिसोदिया ने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
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