नई दिल्ली : महंगई के बढ़ने और सार्वजनिक सेवाओं के चरमराने के बीच, पाकिस्तान की नौसेना आधुनिकीकरण के बड़े एजेंडे के साथ आगे बढ़ने की कोशिश में जुटी है. चीन से मिल रही मदद से अपनी समुद्री ताकत का विस्तार करने का उसका प्रयास रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं और इसके नागरिकों के रोजमर्रा के संघर्षों के बीच तीव्र विरोधाभास नजर आता है.
जबकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य हिंद महासागर में एक मजबूत मौजूदगी बनाना है, इस बात ने गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में गलत प्राथमिकताओं को लेकर बहस छेड़ दी है.
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संकट के दौर में महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाना
अपनी नौसेना को फिर से जिंदा करने की पाकिस्तान की योजना नि:स्संदेह साहसिक है. 2034 तक, यह अत्याधुनिक पनडुब्बियों और अत्याधुनिक युद्धपोतों सहित 50 जहाजों का एक मजबूत बेड़ा तैयार करने की उम्मीद में है. चीन के साथ हैंगोर-क्लास पनडुब्बियों और तुर्की के साथ मिलगेम-क्लास कोरवेट के लिए सौदे, साथ ही जिन्ना-क्लास फ्रिगेट जैसी स्वदेशी परियोजनाएं इस विजन की रीढ़ हैं.
प्रमुख साझेदारियों में अपतटीय (ऑफशोर) गश्ती जहाजों के लिए रोमानिया के डेमन शिपयार्ड के साथ समझौते भी शामिल हैं. इन टेकओवर्स को समुद्री हितों की सुरक्षा, भारतीय नौसैनिक प्रभाव का मुकाबला करने और ग्वादर पोर्ट जैसी रणनीतिक प्राॉपर्टीज की सुरक्षा के लिए आवश्यक तौर से घरेलू स्तर पर मार्केटिंग कर रहा है - जो बीजिंग की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
हालांकि, विदेशी सहयोग पर भारी निर्भरता, विशेष रूप से चीन के साथ, पाकिस्तान की अपनी रक्षा नीति तैयार करने में स्वतंत्रता के बारे में सवाल उठाती है. आलोचकों का तर्क है कि ये साझेदारियां बीजिंग पर इस्लामाबाद की आर्थिक और रणनीतिक निर्भरता को और गहरा करने वाली हैं.
राह से भटक रही है एक देश की अर्थव्यवस्था
इस सैन्य आधुनिकीकरण की पृष्ठभूमि पाकिस्तान की गंभीर आर्थिक हकीकत है. 2024 में वहां महंगाई 38% तक बढ़ गई है, जिससे सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से एक और बेलआउट हासिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस 7 बिलियन डॉलर के पैकेज की शर्तों में सब्सिडी में कटौती और कर वृद्धि शामिल है, ऐसे उपाय जो देश के मध्यम और निम्न वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं.
इन चुनौतियों के बावजूद, रक्षा खर्च में वृद्धि जारी है, 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए इसमें 19% की वृद्धि का अनुमान है. इस बीच, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को वित्त पोषण में संघर्ष करना पड़ रहा है, जिससे असमानता और असंतोष बना हुआ है.
सेना के भीतर ही, संसाधनों का असमान वितरण साफतौर से है. वरिष्ठ अधिकारियों को प्राइम रियल एस्टेट और आकर्षक पोस्ट-सर्विस भूमिकाओं सहित महत्वपूर्ण भत्ते मिलते हैं, जबकि जूनियर कर्मियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों को स्थिर वेतन और जीवन यापन की बढ़ती लागत का सामना करना पड़ता है.
क्षेत्रीय रिपल प्रभाव, मार्गों की सुरक्षा की रणनीति
पाकिस्तान की बढ़ी नौसैनिक क्षमताएं हिंद महासागर क्षेत्र में पॉवर एक्टिविटीज को को नया रूप दे सकती हैं. बीजिंग के लिए, इस्लामाबाद का नौसैनिक विस्तार अरब सागर के जरिए व्यापार मार्गों और ऊर्जा सप्लाई को सुरक्षित करने सहित इसके रणनीतिक हितों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है. चीन की समुद्री रणनीति में एक महत्वपूर्ण केंद्र, ग्वादर पोर्ट इन योजनाओं का अभिन्न अंग है.
इस समुद्री निर्माण को देखते हुए, भारत अपनी नौसेना का आधुनिकीकरण जारी रखे हुए है, क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत कर रहा है और क्वाड जैसे गठबंधनों को मजबूत किया है. पाकिस्तान अपनी नौसेना के आधुनिकीकरण को भारत की समुद्री उपस्थिति के प्रति संतुलन के रूप में देखता है, लेकिन विशेषज्ञ इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारतीय नौसेना के साथ कंपिटिशन करने के लिए अपने संसाधनों का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करना जोखिम भरा है.
डूबती सार्वजनिक सेवाओं के कारण झेल रहा आलोचना
पाकिस्तान की समुद्री महत्वाकांक्षाओं की देश में कई लोगों ने आलोचना की है. नागरिक समाज के कार्यकर्ता और आर्थिक विश्लेषक तर्क देते हैं कि ये रक्षा व्यय जरूरी सार्वजनिक सेवाओं की कीमत पर हो रहा है. लाखों पाकिस्तानी कम आर्थिक सहायाता वाले स्कूलों, बीमार अस्पतालों और बिगड़ते बुनियादी ढांचे से जूझ रहे हैं. सोशल मीडिया लोगों की हताशा का मंच बन गया है. आलोचक सवाल करते हैं कि क्या ये महंगे अधिग्रहण देश की तत्काल जरूरतों को पूरा करने वाले हैं या इलीट रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करेंगे.
आगे झेलना पड़ सकता है पानी का तूफान
पाकिस्तान का नौसेना विस्तार एक रणनीतिक जुआ नजर आता है. जबकि इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने और गठबंधनों को मजबूत करना है, इससे पहले से ही निराश लोगों को अलग-थलग करने और विदेशी शक्तियों पर अपनी निर्भरता को गहरा करने का जोखिम है. मानव विकास और सामाजिक कल्याण में निवेश एक ऐसे देश में सुरक्षा को लेकर अधिक टिकाऊ रास्ता दे सकता है, जहां पर अभी आर्थिक अस्थिरता अशांति को बढ़ा रही है.
इस पुनर्संतुलन (रिबैलेंसिंग) के बिना, पाकिस्तान का नौसैनिक आधुनिकीकरण गलत प्राथमिकताओं का प्रतीक बन सकता है, जो समुद्री ताकत हासिल करने की उसकी कोशिश में दीर्घकालिक स्थिरता को कमजोर करने वाला हो सकता है.
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