दिल्ली की कोर्ट ने तेजस्वी यादव को दी परिवार के साथ दुबई जाने की इजाजत, CBI ने की थी रोक की मांग

    अदालत ने सीबीआई की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि यह देखा जाना चाहिए कि यात्रा करने का अधिकार किसी भी व्यक्ति, जिसमें आरोपी भी शामिल है, को है.

    दिल्ली की कोर्ट ने तेजस्वी यादव को दी परिवार के साथ दुबई जाने की इजाजत, CBI ने की थी रोक की मांग
    बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, फाइल फोटो.

    नई दिल्ली : राउज एवेन्यू कोर्ट ने तेजस्वी यादव को पारिवारिक अवकाश के लिए दुबई जाने की अनुमति दे दी है. तेजस्वी सीबीआई के एक मामले में आरोपी हैं.

    तेजस्वी यादव ने अपने परिवार के साथ 18 सितंबर से 8 अक्टूबर तक दुबई जाने की अनुमति मांगी थी. विशेष सीबीआई जज विशाल गोगने ने उन्हें दुबई जाने की अनुमति दे दी.

    कोर्ट ने 25 लाख रुपये एफडीआर के तौर पर जमा करने को कहा

    कोर्ट ने निर्देश दिया है कि तेजस्वी यादव 25 लाख रुपये की राशि के लिए एफडीआर प्रदान करें, जो आरोपी द्वारा इस आदेश की किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर भारत सरकार के पक्ष में जब्त हो जाएगी.

    कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि तेजस्वी अपनी यात्रा के कार्यक्रम के बारे में कोर्ट को सूचित करें, जिसमें दुबई में अपने प्रवास की डिटेल्स और विदेश यात्रा से पहले दुबई में उस अवधि के दौरान उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले संपर्क नंबर को रिकॉर्ड में रखना शामिल है. उन्हें एक मोबाइल नंबर भी देना होगा जिस पर इस अवधि के दौरान उनसे संपर्क किया जा सके.

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    भारत लौटने के 48 घंटे पहले अदालत को देनी होगी आने की सूचना

    उन्हें भारत लौटने के 48 घंटे के भीतर अदालत को अपने आगमन की सूचना देनी होगी और पासपोर्ट के रिन्यू करने के बाद उसे जमा करना होगा. अदालत ने आदेश में कहा कि उन्हें विदेश में अपने प्रवास को बढ़ाने अनुरोध नहीं करना चाहिए.

    सीबीआई ने जमानत याचिका का विरोध किया था. सीबीआई ने प्रस्तुत किया कि तेजस्वी और अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम की धारा 13(2) के साथ 13(1)(डी) से संबंधित आरोप गंभीर हैं.

    विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 9 सितंबर को पारित आदेश में कहा, "आरोपों की गंभीरता अपने आप में जमानत पर रिहा आरोपी को विदेश यात्रा से वंचित करने का कारण नहीं है."

    अदालत ने कहा- यात्रा का अधिकार किसी भी आरोपी को भी है

    अदालत ने सीबीआई की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि यह देखा जाना चाहिए कि यात्रा करने का अधिकार किसी भी व्यक्ति, जिसमें आरोपी भी शामिल है, का अंतर्निहित अधिकार है.

    अदालत ने कहा, "आरोपी व्यक्तियों की निजी यात्रा संबंधी योजना और विवरण की अनावश्यक निगरानी के माध्यम से ऐसे अधिकारों को सीमित नहीं किया जाना चाहिए."

    अदालत ने कहा कि उसे सीबीआई की इस व्यापक आपत्ति में कोई दम नहीं दिखता कि यदि आवेदन को स्वीकार कर लिया जाता है तो न्याय का मकसद विफल हो जाएगा.

    अदालत को देना होगा अपने यात्रा का विवरण

    इसके अलावा, अदालत ने कहा, आवेदक से यह अपेक्षा की जा सकती है कि वह, जैसा कि पिछली विदेश यात्रा के लिए लगाई गई शर्त थी, अपनी यात्रा कार्यक्रम और विदेश यात्रा से पहले विदेश में अपने प्रवास के विवरण के बारे में अदालत को सूचित करे. उसके वकील ने प्रस्तुत किया कि आवेदक वर्तमान में बिहार राज्य में विपक्ष का नेता है और उनके भारत से फरार होने की कोई आशंका नहीं है.

    दुबई की यात्रा के लिए आरोपी की अपली के जवाब में सीबीआई ने कहा कि आवेदक द्वारा उक्त यात्रा और प्रवास व्यवस्था के बारे में महत्वपूर्ण विवरण प्रदान नहीं किए गए हैं और आवेदक के लिए यात्रा करने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है.

    सीबीआई के वकील ने आगे प्रस्तुत किया कि ऐसी यात्रा के लिए किसी भी याचिका पर उचित प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए.

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