सियाचिन भारत के शौर्य और पराक्रम की राजधानी है, यह संप्रभुता का प्रतीक : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

    रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज सियाचिन दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने बेस कैंप पहुंच उन्होंने जवानों को संबोधित किया. इसी के साथ उन्हें बधाई भी दी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सियाचिन को भारत की वीरता और बहादुरी की राजधानी भी बताया है.

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    रक्षामंत्री राजनाथ सिंह- फोटोः ANI

    सियाचिन (लद्दाख): रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को सियाचिन बेस कैंप का दौरा किया और इसे भारत की वीरता और बहादुरी की राजधानी बताया. राजनाथ सिंह ने लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर के कुमार पोस्ट पर तैनात सशस्त्र बल के जवानों से भी बातचीत की. उन्होंने उनके साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया.

     रक्षा मंत्री ने दी बधाई

    इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा, ''दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर आप जिस तरह से देश की रक्षा करते हैं, उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूं. सियाचिन की भूमि कोई सामान्य भूमि नहीं है. यह देश की संप्रभुता और दृढ़ता का प्रतीक है.'' हमारे राष्ट्रीय दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है. हमारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है, मुंबई हमारी आर्थिक राजधानी है, और हमारी तकनीकी राजधानी बेंगलुरु भारत की वीरता और बहादुरी की राजधानी है."

    सेना प्रमुख मनोज पांडे सुरक्षा मंत्री के साथ मौजूद

    राजनाथ सिंह ने सियाचिन बेस कैंप में युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और बहादुरों को श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर सेना प्रमुख मनोज पांडे भी रक्षा मंत्री के साथ थे. इस अवसर पर, लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में कुमार की पोस्ट पर 'भारत माता की जय' के नारे हवा में गूंज उठे क्योंकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बातचीत के बाद जवानों ने नारे लगाए.

    इस कारण स्थगित हुआ सियाचिन दौरा

     आपको बता दें कि 24 मार्च को सैनिकों के साथ होली मनाने के लिए सुरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सियाचिन जाने वाले थे, लेकिन 'खराब मौसम' के कारण कार्यक्रम को बदलकर लेह कर दिया गया, जहां रक्षा मंत्री ने लेह सैन्य स्टेशन पर सशस्त्र बलों के साथ इस अवसर का जश्न मनाया. सियाचिन ग्लेशियर हिमालय में पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित है और इसे अक्सर दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है.

    इससे पहले 13 अप्रैल को, भारतीय वायु सेना ने प्रसिद्ध 'ऑपरेशन मेघदूत' की 40वीं वर्षगांठ मनाई थी, जिसे भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने के पाकिस्तान के प्रयासों को विफल करके उस पर नियंत्रण हासिल करने के लिए चलाया था. भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना द्वारा यह ऑपरेशन 13 अप्रैल 1984 को किया गया था, जो भारतीय सेना द्वारा किए गए सबसे बड़े ऑपरेशनों में से एक था.

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