नई दिल्ली : कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को लोकसभा में संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024, जिसका उद्देश्य 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' प्रस्ताव को लागू करना है, जिसे मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा पेश किया जाना है, का विरोध किया है और इसे फेडरलिज्म (संघवाद) के खिलाफ बताया है.
तिवारी ने प्रक्रिया के नियमों के नियम 72 के तहत लोकसभा के महासचिव को संबोधित अपने नोटिस में विधेयक पर कड़ी आपत्ति जताई और इसे भारत के संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए खतरा बताया.
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तिवारी ने विधेयक को लेकर जाहिर की गंभीर चिंता
उन्होंने कहा, "प्रस्तावित विधेयक पर मेरी आपत्तियां संवैधानिकता और संवैधानिकता के बारे में गंभीर चिंताओं पर आधारित हैं."
अपनी पहली चिंता जताते हुए तिवारी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 1 में परिभाषित भारत के संघीय चरित्र का उल्लंघन करता है.
तिवारी ने यह भी कहा, "संविधान (एक सौ उनतीसवां संशोधन) विधेयक, 2024, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव करता है, राज्यों में एकरूपता लागू करके इस संघीय ढांचे को सीधे चुनौती देता है. इस तरह के कदम से राज्य की स्वायत्तता खत्म होने, स्थानीय लोकतांत्रिक भागीदारी कम होने और सत्ता के केंद्रीकरण का जोखिम है, जिससे बहुलवाद और विविधता को नुकसान पहुंचेगा जो भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार की आधारशिला हैं."
तिवारी ने बिल को संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया
उन्होंने चेताया कि एक साथ चुनाव लागू करने के लिए अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करने की आवश्यकता होगी, जो विधायी निकायों के निश्चित कार्यकाल की गारंटी देते हैं. उन्होंने तर्क दिया कि इस तरह के बदलाव संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं, जैसा कि ऐतिहासिक केशवानंद भारती फैसले में स्थापित किया गया है.
तिवारी ने कहा, "एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान में अनुच्छेद 82ए को शामिल करने का प्रस्ताव राज्य विधानसभाओं को समय से पहले भंग करने के लिए आवश्यक बनाता है... यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित मूल संरचना सिद्धांत का उल्लंघन करता है... शासन के संघीय चरित्र को कमजोर करके और एकरूपता लागू करके, विधेयक संघवाद, शक्तियों के पृथक्करण और गणतंत्रात्मक और लोकतांत्रिक ढांचे सहित मूल संरचना के मुख्य तत्वों का उल्लंघन करता है."
कांग्रेस सांसद चेताया- कर सकता है राज्य सरकारों को कमजोर
कांग्रेस सांसद ने यह भी चिंता व्यक्त की कि विधेयक चुनावी प्रक्रियाओं को केंद्रीकृत करके राज्य सरकारों को कमजोर कर सकता है.
उन्होंने कहा, "यह विधेयक निर्वाचित राज्य सरकारों के अधिकार को कमजोर करता है, जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को कमजोर करता है और स्थानीय शासन की स्वायत्तता का अतिक्रमण करता है."
तिवारी ने आगे कहा कि यदि राज्य सरकारें समय से पहले भंग हो जाती हैं तो अनुच्छेद 356 के तहत लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन लागू रहने का जोखिम है.
"राष्ट्रपति शासन की विस्तारित अवधि की संभावना केंद्रीय नियंत्रण को मजबूत करने का जोखिम उठाती है, जिससे संघवाद के मूलभूत सिद्धांत नष्ट हो जाते हैं."
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