Yogi Adityanath: लखनऊ के लोकभवन सभागार में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवचयनित 2,425 मुख्य सेविकाओं और 13 फार्मासिस्टों को नियुक्ति पत्र सौंपे. उन्होंने कहा कि अब प्रदेश में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो रही है, जिससे जाति-धर्म के आधार पर भेदभाव की परंपरा खत्म हो रही है. यह बदलाव न केवल युवाओं के लिए न्याय दिलाएगा, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र की प्रगति का रास्ता भी खोलेगा.
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अब नियुक्ति में किसी भी जिले या जाति को प्राथमिकता नहीं दी जाती, बल्कि केवल योग्यता और ईमानदारी को महत्व दिया जाता है. उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे बिना किसी भेदभाव के अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएं.
“बीमार मानसिकता का अंत हुआ”
योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों में प्रदेश को ‘बीमारू’ बनाने वाले लोग अब भी नकारात्मक राजनीति कर रहे हैं. उन्होंने प्रदेश में जर्जर स्कूलों की मरम्मत और आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण जैसे विकास कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि ये विकासात्मक कदम विपक्ष को पसंद नहीं आ रहे.
आंगनबाड़ी सेविकाओं की भूमिका
मुख्यमंत्री ने मुख्य सेविकाओं की जिम्मेदारी को मां यशोदा की देखभाल से जोड़ा. कहा कि जिस तरह मां यशोदा ने भगवान कृष्ण का पालन-पोषण किया, वैसे ही सेविकाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी निभानी होगी.
कन्या सशक्तिकरण को मिली नई ताकत
कार्यक्रम में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में कन्याओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं. उन्होंने बताया कि पिछले आठ वर्षों में लाखों कन्याओं के विवाह में प्रदेश सरकार ने सहायता दी है और अत्याचारों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है.
महिलाओं के लिए समर्पित योजनाएं और सुधार
महिला कल्याण मंत्री बेबी रानी मौर्य ने बताया कि प्रदेश में दो करोड़ से अधिक लाभार्थियों को पोषण सामग्री दी जा रही है. साथ ही आंगनबाड़ी केंद्रों का पुनर्निर्माण और कन्या सुमंगला योजना के तहत लाखों बालिकाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है.
सेविकाओं को मिला मातृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश
राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला ने मुख्य सेविकाओं से अपील की कि वे केवल सरकारी कर्मचारी के रूप में नहीं, बल्कि मां के रूप में भी अपनी भूमिका को समझें और सेवा कार्य को समर्पण के साथ निभाएं.
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