'जिन्होंने अपने पिता को खून में लिपटा हुआ देखा', सीएम उमर अब्दुल्ला बोले- मैं माफी तक नहीं मांग पाया

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गहरी संवेदना जताते हुए मृतकों को श्रद्धांजलि दी.

    CM Omar Abdullah statement Pahalgam attack
    उमर अब्दुल्ला | Photo: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद राज्य विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया, जहां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गहरी संवेदना जताते हुए मृतकों को श्रद्धांजलि दी. अपने भावुक संबोधन में मुख्यमंत्री ने इस हमले को पूरे देश पर हमला करार दिया और कहा कि आतंकवाद को केवल हथियारों से नहीं, बल्कि जनता के साथ खड़े होकर ही जड़ से खत्म किया जा सकता है.

    उमर अब्दुल्ला का बयान

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर गहरा शोक जताया और विधानसभा में दिए गए अपने बयान में कहा, "हमें यह विश्वास होने लगा था कि बीते आतंकी हमले अब सिर्फ इतिहास का हिस्सा हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश, पहलगाम में हुआ ताजा हमला हमें फिर उसी डर और अनिश्चितता के दौर में ले गया है, जहां यह कहना मुश्किल है कि अगला हमला कहां और कब होगा."

    उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस हमले में मारे गए 26 निर्दोष लोगों को श्रद्धांजलि दी, तो उनके पास शब्द नहीं बचे थे. भावुक होते हुए उन्होंने कहा, "मैं उन परिवारों से क्या कहूं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया. मैं उनसे माफी तक नहीं मांग सका."

    सीएम ने इस त्रासदी को और भी व्यक्तिगत बना दिया जब उन्होंने बताया कि पर्यटक मामलों के मंत्री होने के नाते उन्होंने खुद इन पर्यटकों को जम्मू-कश्मीर आने का निमंत्रण दिया था. उन्होंने कहा, "मैंने उन्हें यहां आमंत्रित किया, लेकिन उन्हें सुरक्षित घर वापस नहीं भेज पाया." अपनी पीड़ा को साझा करते हुए उन्होंने कहा, "मैं उस बेटे को क्या जवाब दूं जिसने अपने पिता को खून से लथपथ देखा? उस नौसेना अधिकारी की नवविवाहिता पत्नी को क्या कहूं, जिसकी शादी को चंद दिन ही हुए थे?"

    "कुछ लोग मेरे पास आए और पूछा—हमारा कसूर क्या था?"

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद लोगों के दर्द और गुस्से को विधानसभा में बेहद संवेदनशील अंदाज़ में साझा किया. उन्होंने कहा, "कुछ लोग मेरे पास आए और पूछा—हमारा कसूर क्या था? हम तो सिर्फ छुट्टियां मनाने आए थे, लेकिन अब पूरी ज़िंदगी इस हमले की यादें और ज़ख्म हमारे साथ रहेंगे."

    सीएम ने हमले को जायज़ ठहराने वालों पर भी तीखा सवाल उठाया और कहा, "जो लोग इसे हमारी भलाई के लिए बता रहे हैं, क्या हमने उनसे ऐसा कुछ मांगा था? क्या यह हमला हमारी इजाजत से हुआ? हम में से कोई भी इस हिंसा का समर्थन नहीं करता. यह हमला हमें भीतर तक तोड़ कर गया है."

    अपने भावनात्मक संबोधन में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मौजूदा हालात में उम्मीद की कोई किरण ढूंढना बेहद मुश्किल है, लेकिन लोगों की एकजुटता ने उन्हें भरोसा दिया है. उन्होंने कहा, "अपने 26 साल के राजनीतिक जीवन में पहली बार मैंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस तरह आतंकवाद के खिलाफ खुलकर सामने आते देखा है. शायद ही कोई गांव बचा हो जहां इस हमले की निंदा न हुई हो."

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