CJI चंद्रचूड़ बोले- हाल ही में पारित आपराधिक कानून ने भारत के लीगल फ्रेमवर्क को नए दौर में बदला

    CJI Chandrachud on new criminal laws : चीफ जस्टिस ने कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा और अपराधों की जांच व कुशलतापूर्वक अभियोजन के लिए बहुत जरूरी सुधार पेश किए गए हैं.

    CJI चंद्रचूड़ बोले- हाल ही में पारित आपराधिक कानून ने भारत के लीगल फ्रेमवर्क को नए दौर में बदला

    नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि "नए अधिनियमित (कानून बना) आपराधिक कानूनों ने आपराधिक न्याय पर भारत के कानूनी ढांचे को नए युगा (दौर) में बदला."

    कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सीजेआई ने कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा करने और अपराधों की जांच और अभियोजन कुशलतापूर्वक करने के लिए बहुत जरूरी सुधार पेश किए गए हैं.

    "भारत आने वाले समय में तीन नए आपराधिक कानूनों का कार्यान्वयन कर अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में एक अहम बदलाव के लिए तैयार है. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्रमशः भारतीय दंड संहिता 1860, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लेंगे. ये कानून हमारे समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण हैं क्योंकि कोई भी कानून हमारे समाज के रोजमर्रा के आचरण को उतना प्रभावित नहीं करता जितना की आपराधिक कानून."

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    सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक कहावत से समझाई अपनी बात 

    आपराधिक कानून किसी राष्ट्र के नैतिक चरित्र को निर्देशित करता है. ठोस प्रावधानों के लिए अंतर्निहित सदियों पुराने सिद्धांत का औचित्य नुकसानदेह है, जिसे इस कहावत में सबसे अच्छे से पेश किया गया है, 'अपनी बाहों को घुमाने का आपका अधिकार वहीं समाप्त होता है जहां दूसरे आदमी की नाक शुरू होती है.' उन्होंने कहा, प्रक्रियात्मक कानून, जो आपराधिक प्रक्रिया से लेकर अपराध करने की सजा तक की स्थिति को नियंत्रित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाया जाएं और बिना कानून की उचित प्रक्रिया अपराध के लिए दोषी न ठहराया जाए.

    आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत के प्रगतिशील पथ सम्मेलन को संबोधित करते हुए चंद्रचूड़ ने कहा, "हमारे कानून और उनका कार्यान्वयन एक निरंतर विकसित होने वाला क्षेत्र है. किसी भी कानून या उसके कार्यान्वयन के तरीके की कोई अंतिम सीमा नहीं है. हालांकि, हमें हमारे समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए सकारात्मक बदलावों को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए."

    उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के साथ, हम उन खामियों और क्षेत्रों का पता लगाएंगे, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है. इस तरह की बहसें हमारी आपराधिक न्याय प्रणालियों की दक्षता को बढ़ाने में सहायक होंगी. हालांकि, हमारे दिल में विश्लेषण का वैचारिक ढांचा है. नागरिक स्वतंत्रता-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ न्याय-उन्मुख होना चाहिए जो पीड़ित और आरोपी के हितों को संतुलित करता हो."

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    तकनीक के दौर में बताई इसकी जरूरत

    10 नवंबर, 2023 की भारतीय साक्ष्य संहिता पर राज्य सभा की स्थायी समिति की 248वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली ने हमारे सामाजिक-आर्थिक परिवेश गहन तकनीकी परिवर्तनों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए जूझा है, जिनकी मौलिक रूप से फिर से कल्पना की गई है, अपराध जिस तरह से कि समाज में सामने आते हैं.

    प्रौद्योगिकी और नए युग के अपराध के बढ़ते दायरे, जो अपराध करने के लिए सहयोगी यूनिट के नेटवर्क बनाने के लिए डिजिटल सिनारियो का इस्तेमाल करते हैं, जिसे जांच की स्थितियों तक सीमित नहीं किया जा सकता है. सीजेआई ने कहा, इससे अपराधों की जांच, सबूत स्वीकार करने, अभियोजन और न्याय देने में चुनौतियां सामने आई हैं.

    सीजेआई ने कहा, जैसा कि प्रतिष्ठित अमेरिकी न्यायविद् जस्टिस ओलिवर वेंडेल होम्स ने "लॉ इन साइंस--साइंस इन लॉ" में कहा है कि "इन दिनों हर कोई सहज रूप से मानता है कि हमारे लिए किसी कानून का औचित्य इस तथ्य में नहीं पाया जा सकता है कि हमारे पिता हमेशा से इसे मानते रहे हैं. इसे कुछ मदद मिलनी चाहिए जो कानून को सामाज के आखिर तक पहुंचने की दिशा में ले जाता हो, जिसे समुदाय की गवर्निंग पावर का चाहत रखता हो."

    तीन कानून, यानी, भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023; और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023, पहले के आपराधिक कानूनों, अर्थात् भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेने वाला है. नोटिफिकेशन के मुताबिक ये आपराधिक कानून 1 जुलाई से प्रभावी होगा.

    सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों में ये रहे शामिल

    सम्मेलन में भाग लेने वालों में अन्य गणमान्य व्यक्तियों में कानून और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, भारत सरकार के कानून सचिव राजीव मणि शामिल हुए. 

    सम्मेलन का उद्देश्य तीन आपराधिक कानूनों की मुख्य बातें सामने लाना और तकनीकी और सवाल-जवाब सत्रों के माध्यम से सार्थक बातचीत आयोजित करना रहा. इसके अतिरिक्त, विभिन्न अदालतों के न्यायाधीश, अधिवक्ता, शिक्षाविद, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि, पुलिस अधिकारी, लोक अभियोजक, जिला प्रशासन के अधिकारी और कानून के छात्रों ने भी सम्मेलन में भाग लिया.

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