भारत अब केवल दुश्मन के जवाब में हमला नहीं करेगा, बल्कि हवा में उससे दो कदम आगे रहेगा. क्योंकि अब अस्त्र Mk-3 नाम की मिसाइल तैयार है — एक ऐसा एयर-टू-एयर हथियार जो भारतीय वायुसेना को एक नई परत की ताकत देने जा रहा है. यह सिर्फ तकनीकी छलांग नहीं है, बल्कि भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता का सबसे ठोस उदाहरण भी है. चीन और पाकिस्तान के फाइटर जेट्स के लिए अब भारतीय आसमान पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक हो चुका है.
अस्त्र Mk-3: हवा में अर्जुन का गांडीव
DRDO की नई मिसाइल को नाम मिला है गांडीव, महाभारत के अर्जुन के उस धनुष के नाम पर जिससे कभी अपराजेय युद्ध लड़ा गया था. यह मिसाइल भारतीय वायुसेना की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की नई पीढ़ी है, जो 300–350 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को Mach 4.5 की रफ्तार से ध्वस्त करने में सक्षम है. यानी दुश्मन को भनक तक नहीं लगेगी और मिसाइल अपनी स्पीड से उसका अंत कर देगी.
टेक्नोलॉजी जो हवा में आग बन जाए
अस्त्र Mk-3 को DRDO ने Solid Fuel Ducted Ramjet (SFDR) तकनीक से लैस किया है. इसका मतलब साफ है — यह मिसाइल अपने ईंधन के लिए वायुमंडल की ऑक्सीजन का इस्तेमाल करती है. इससे इसका वजन कम होता है और गति बहुत अधिक. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह थ्रॉटलेबल रैमजेट के ज़रिए तेजी से दिशा, गति और लक्ष्य बदल सकती है — जो BVR (Beyond Visual Range) डॉगफाइट में सबसे जरूरी होता है.
अब मिलेगा चीन के PL-15 और PL-17 को करारा जवाब
चीन की PL-15 और PL-17 मिसाइलें अभी तक एयर टू एयर युद्ध में बड़ा नाम मानी जाती थीं. लेकिन अब भारत का अस्त्र Mk-3 सिर्फ टक्कर नहीं देगा, बल्कि गेम बदल देगा.
PL-15 की रेंज भले ही 250-300 किमी के आसपास है. PL-17 की रेंज 400 किमी तक बताई गई है, लेकिन उनकी सटीकता और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर से लड़ने की क्षमता संदेह के घेरे में है. पाकिस्तान द्वारा दागी गई 10 PL-15 मिसाइलों में से 7 को भारत ने इंटरसेप्ट कर लिया था. वहीं अस्त्र Mk-3 का Gallium Nitride (GaN) आधारित AESA सीकर इसे जाम करना लगभग नामुमकिन बना देता है.
किसको निशाना बनाएगा अस्त्र Mk-3?
यह मिसाइल सिर्फ फाइटर जेट्स नहीं, बल्कि उन हाई-वैल्यू टारगेट्स को भी खत्म कर सकती है जो किसी देश की वायु-रक्षा की रीढ़ होते हैं—जैसे:
दुश्मन के एयरबेस पर रनवे और कमांड पोस्ट
यह मिसाइल स्टील्थ जेट्स के खिलाफ भी कारगर है. इसे खासतौर पर चीन के J-20 फाइटर को हवा में ही गिराने के लिए डिजाइन किया गया है.
किस प्लेटफॉर्म से होगी फायर?
अस्त्र Mk-3 को भारत के Su-30MKI और तेजस फाइटर जेट्स में शामिल किया जाएगा. DRDO की योजना इसे राफेल में भी फिट करने की है. और अगर भारत भविष्य में स्टील्थ फाइटर खरीदता है, तो अस्त्र Mk-3 जैसी मिसाइल उसकी मारक क्षमता को दुगना कर देगी.
सिर्फ मिसाइल नहीं, भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का प्रतीक
PL-17 भले ही रेंज में थोड़ी आगे हो, लेकिन अस्त्र Mk-3 भारत की अपनी टेक्नोलॉजी है. युद्ध के बदलते हालात में, जहां हर देश अपने हथियारों की सप्लाई पर खेल खेल सकता है, वहां स्वदेशी हथियारों का होना ही असली ताकत है. इस मिसाइल की मौजूदगी यह सुनिश्चित करती है कि भारत किसी भी युद्ध के लिए आत्मनिर्भर और तैयार है.
ये भी पढ़ेंः अब मॉस्को भी खतरे में, अमेरिका की लंबी दूरी की मिसाइलों से यूक्रेन को मिल सकता है नया जीवनदान; भड़केंगे पुतिन?