तेहरान: ईरान में इन दिनों एक अलग ही जंग चल रही है. ये जंग न मिसाइलों से लड़ी जा रही है और न ही टैंकों से. यह लड़ाई है जासूसों के खिलाफ. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के बढ़ते नेटवर्क को खत्म करने के लिए ईरान ने देश के अंदर जबरदस्त कार्रवाई शुरू कर दी है.
इजरायल के हालिया हमलों के बाद ईरान का मानना है कि उसके भीतर गहरी सेंध लग चुकी है. यही वजह है कि पूरे देश में 'मोसाद एजेंट्स' की तलाश के नाम पर गिरफ्तारी की लहर चल पड़ी है. राजधानी तेहरान में सिर्फ तीन दिनों में 28 लोगों को पकड़ा गया है, जबकि इस्फहान जैसे संवेदनशील शहरों से अब तक 60 से ज्यादा संदिग्ध गिरफ्तार किए जा चुके हैं. सोमवार को एक शख्स को जासूसी के आरोप में फांसी दे दी गई, जो दो साल से जेल में था. ईरान इस फांसी के जरिए साफ संदेश दे रहा है — देशद्रोह की सजा मौत है.
अंदर से हमला करने का आरोप
ईरानी सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि इजरायल ने देश पर हमला बाहर से नहीं, बल्कि अंदर के 'मोसाद नेटवर्क' के जरिए किया.
तेहरान के पास रेय इलाके से ईरानी सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार, 200 किलो विस्फोटक, ड्रोन और मिसाइल लॉन्चर बरामद करने का दावा किया है. ईरान का आरोप है कि इन हथियारों को अंदर के जासूसों ने ही तैनात किया था.
टोपी, चश्मा, पिकअप ट्रक अब ये भी संदिग्ध!
ईरानी खुफिया मंत्रालय ने अब आम लोगों से खुलेआम अपील की है –
पुलिस ने क्या कहा?
ईरान के चीफ ऑफ पुलिस अहमद-रेज़ा रादन ने जनता से अपील की है कि अगर कोई "दुश्मन के बहकावे में आकर जासूसी कर रहा हो", तो तुरंत आत्मसमर्पण करे. उन्होंने वादा किया है कि जो खुद सामने आएगा, उसे माफ किया जा सकता है. लेकिन जो पकड़ा जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा.
तेज़ सज़ाएं, तेज़ फैसले
ईरान की अदालतें अब इन मामलों में तेजी से फैसले सुना रही हैं. अदालत प्रमुख ग़ुलाम-होसैन मोहसेनी-एजेई का कहना है, "यह युद्ध जैसी स्थिति है, इसमें दोषियों को तुरंत सजा मिलनी चाहिए."
क्यों डरा है ईरान?
इजरायली हमलों में हाल ही में ईरान के कई बड़े सैन्य अधिकारी मारे गए हैं. ईरान मानता है कि ये हमले मोसाद के अंदरूनी एजेंट्स की मदद से ही इतने सटीक हो पाए.
मोसाद का दावा है कि उसके पास अब भी सैकड़ों टारगेट्स की लिस्ट है, जिसमें ईरान के वैज्ञानिक और बड़े सैन्य अधिकारी शामिल हैं. सबसे बड़ा डर – अब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई भी निशाने पर हो सकते हैं.
वाइट हाउस ने कहा है कि इजरायल खामेनेई को हटाने का विकल्प खुला रखे हुए है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप इसके खिलाफ हैं. वहीं, इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस संभावना से इनकार भी नहीं किया है.
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