भारत में अमेरिकी दूतावास ने उस्ताद जाकिर हुसैन को दी श्रद्धांजलि, खास तरीके से किया उन्हें याद

    भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक वैश्विक प्रतीक, हुसैन न केवल तबले पर अपने अनूठे कौशल के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि फ्यूजन संगीत में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भी प्रसिद्ध थे.

    भारत में अमेरिकी दूतावास ने उस्ताद जाकिर हुसैन को दी श्रद्धांजलि, खास तरीके से किया उन्हें याद
    उस्ताद जाकिर हुसैन | Photo- @USAndIndia के हैंडल से.

    वाशिंगटन (अमेरिका) : संगीत की दुनिया ने 73 साल की उम्र में महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन के साथ अपने सबसे उत्कृष्ट पर्सानालिटी में से एक को खो दिया है. हुसैन परिवार से जुड़े प्रॉस्पेक्ट पीआर के जॉन ब्लेचर ने इस खबर की पुष्टि की.

    जाकिर हुसैन, जो इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे, का सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया, वे अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए, जिसने दुनिया भर के संगीत को गहराई से प्रभावित किया है.

    भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक वैश्विक प्रतीक, हुसैन न केवल तबले पर अपने अनूठे कौशल के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि फ्यूजन संगीत में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए भी प्रसिद्ध थे.

    जॉन मैकलॉघलिन, मिकी हार्ट और रविशंकर सहित अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ उनके सहयोग ने भारतीय संगीत को विश्व मंच पर लाने में मदद की और वैश्विक संगीत परिदृश्य पर एक स्थायी प्रभाव डाला.

    यह भी पढे़ं : जाकिर हुसैन के निधन पर संगीत जगत में शोक, कैसे उनके तबले की थाप पर देश ही नहीं, दुनिया का संगीत भी थिरका

    अमेरिकी दूतावास ने कुछ यूं याद किया है हुसैन को

    दुनिया भर के प्रशंसकों और मशहूर हस्तियों ने संगीत और संस्कृति पर उस्ताद के अपार प्रभाव को याद करते हुए सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि अर्पित की है.

    भारत में अमेरिकी दूतावास के आधिकारिक एक्स अकाउंट ने भी दिवंगत संगीतकार को श्रद्धांजलि अर्पित की, एक मार्मिक थ्रोबैक वीडियो साझा किया जिसमें हुसैन को अमेरिका-भारत संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोहों के दौरान तबला बजाते हुए दिखाया गया है.

    "हमेशा हमारे दिलों में, वाह उस्ताद वाह! हम उस्ताद जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि देते हैं, जो एक सच्चे उस्ताद थे, जिन्होंने अमेरिका-भारत संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए उनके साथ मिलकर बनाए गए इस खास वीडियो के ज़रिए दुनिया भर में लाखों दिलों को छुआ."

    9 मार्च, 1951 को मुंबई में जन्मे जाकिर हुसैन बचपन से ही संगीत में डूबे हुए थे, उन्हें तबला बजाने का जुनून अपने पिता, महान उस्ताद अल्ला रक्खा से विरासत में मिला था.

    अपने लगभग छह दशक के करियर में, जाकिर हुसैन ने तबले की भूमिका को फिर से परिभाषित किया, इसे एक सहायक वाद्य से प्रदर्शनों में एक केंद्रीय व्यक्ति में बदल दिया.

    भारतीय संगीत दायरे को पार कर दुनिया में पहुंचा उनका संगीत

    उस्ताद जाकिर हुसैन का प्रभाव भारतीय शास्त्रीय संगीत के दायरे से कहीं आगे तक फैला हुआ था.

    क्रॉस-कल्चरल सहयोग में आगे, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगीतकारों के साथ अभूतपूर्व साझेदारी की. फ्यूजन बैंड शक्ति में गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन के साथ और प्लेनेट ड्रम में ग्रेटफुल डेड ड्रमर मिकी हार्ट के साथ उनके काम ने संगीत की सीमाओं को फिर से परिभाषित किया.

    प्लेनेट ड्रम एल्बम ने ग्रैमी पुरस्कार भी जीता. अपने संगीत इनोवेशन के अलावा, हुसैन ने अपने करियर के दौरान कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त किए, जिनमें भारत सरकार से पद्म श्री (1988) और पद्म भूषण (2002) और चार ग्रैमी पुरस्कार शामिल हैं.

    हुसैन ने अमेरिका का सर्वोच्च पुरस्कार हासिल किया

    उनकी मान्यता संयुक्त राज्य अमेरिका तक भी फैली, जहां उन्हें देश में पारंपरिक कलाकारों के लिए सर्वोच्च पुरस्कार नेशनल हेरिटेज फ़ेलोशिप मिली.

    जाकिर हुसैन के परिवार में उनकी पत्नी एंटोनिया मिनेकोला, उनकी बेटियाँ अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी, उनके भाई तौफीक कुरैशी और फ़ज़ल कुरैशी और उनकी बहन खुर्शीद औलिया हैं. संगीत की दुनिया पर उनका प्रभाव अद्वितीय है और उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए अनगिनत संगीतकारों को प्रेरित करती रहेगी.

    यह भी पढे़ं : PM संग्रहालय और पुस्तकालय के मेंबर ने राहुल गांधी को लिखा पत्र, जवाहरलाल नेहरू से जुड़े दस्तावेज वापस मांगे

    भारत