नई दिल्ली : दिवाली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजा होती है. इसका संबंध गोवर्धन पर्वत, इंद्र और भगवान श्रीकृष्ण से है. यह कल यानि शनिवार को होगी. इसका जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. ऐसी मान्यता है कि इस पूजा से घर में खुशहाली आती है.
गोवर्धन पूजा पांच दिन के दिवाली पर होने वाले दीपोत्सव का हिस्सा है. यह दिवाली के अगले दिन की जाती है. इस बार यह शनिवार, 2 नवंबर 2024 को होगी. जो कि दिवाली के एक दिन बाद नहीं हो रही है. शास्त्रों के मुताबिक इसकी खास वजह है.
पंचांग के मुताबिक गोवर्धन पूजा दिवाली के आगे दिन की जाती है जो कि कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को होती है. इस बार यह तिथि 1 नवंबर 2024 को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर शुरू होकर 2 नवंबर को रात 8 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में दिन के उदय ध्यान में रखते हुए यह पूजा शनिवार 2 नवंबर से होगी.
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इस पूजा का संबंध इंद्र, श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत से है, ऐसे शुरू हुई
गोवर्धन पूजा का संबंध गोवर्धन पर्वत, भगवान श्रीकृष्ण और इंद्र से जुड़ी हुई है. धार्मिक कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि इस पर्व को श्रीकृष्ण ने ही शुरू किया था. गोवर्धन पूजा गोबर से गौ माता, गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण के बाल रूप की आकृति बनाकर की जाती है. शास्त्रों में इसके कई फायदे बताए जाते हैं.
गोवर्धन पूजा की शुरुआत को लेकर माना जाता है कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की तिथि को भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड चूर किया था. इंद्रदेव ने अपना प्रकोप दिखाते हुए ब्रज में भारी वर्षा की थी और वहां के लोगों का रहना मुश्किल हो गया था. कहा जाता है कि इसके बाद श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की रक्षा के लिए कनिष्ट उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर उसके नीचे ब्रजवासियों की रक्षा की थी. तब से ही इस गोवर्धन पर्वत की पूजा चली आ रही है. यह पर्वत ब्रज में है, जिसकी लोग परिक्रमा करने जाते हैं. माना जाता है कि यही वह पर्वत है जिस श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ट उंगली पर उठाया था.
शास्त्रों में गोवर्धन पूजा के ये बताए जाते हैं फायदे
ऐसा माना जाता है कि इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर और श्रीकृष्ण की बाल आकृति बनाकर पूजा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है. इस दिन मान्यता के अनुसार अन्नकूट यानि 56 तरह के पकवान का भोग भगवान श्रीकृष्ण को लगाया जाता है. इस दिन अन्नकूट तैयार करने पर मां अन्नपूर्णा आशीर्वाद देती हैं और घर में अन्न की कमी नहीं होती है.
स्कंद पुराण में भी गोवर्धन पूजा का आता है जिक्र
गोवर्धन पूजा का जिक्र स्कंद पुराण में भी आता है. स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन गाय की पूजा की जाती है. इसके मुताबिक गौ पूजन और गौदान करने से मृत्यु व भय से मुक्ति मिलती है और कई दोष, विघ्न दूर होते हैं.
(अस्वीकरण-Disclaimer : बता दें कि यह जानकारी मान्यताओं और शास्त्रों में कही गई बातों पर आधारित है. Bharat 24 Live.com किसी भी मान्यता के सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करता. इससे जुड़ी जानकारी शास्त्रों के जानकार से ली जानी चाहिए.)
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