गजनवी, गौरी, बाबर, अब्दाली... पाकिस्तान ने इस्लामी लुटेरों के नाम पर क्यों रखा अपनी मिसाइलों के नाम?

    अफगानिस्तान या तुर्की से आये जिन लुटेरों ने भारत की धरती पर खून बहाए, मंदिरों को तोड़ा, हिंदुओं का कत्लेआम किया, पाकिस्तान आज की तारीख में उन लुटेरों के नाम पर अपनी मिसाइलों के नाम रख रहा है.

    Why did Pakistan name its missiles Islamic invaders
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: अफगानिस्तान या तुर्की से आये जिन लुटेरों ने भारत की धरती पर खून बहाए, मंदिरों को तोड़ा, हिंदुओं का कत्लेआम किया, पाकिस्तान आज की तारीख में उन लुटेरों के नाम पर अपनी मिसाइलों के नाम रख रहा है. पाकिस्तान द्वारा अपनी मिसाइल प्रणाली को जिन ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के नाम पर आधारित किया जाता है, वह केवल सामरिक शक्ति के प्रदर्शन का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय पहचान और वैचारिक सोच का भी संकेत देते हैं. हाल ही में 'अब्दाली' मिसाइल के परीक्षण ने एक बार फिर इस बहस को जन्म दिया है कि आखिर पाकिस्तान क्यों बार-बार उन ऐतिहासिक पात्रों के नाम चुनता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के मध्यकालीन संघर्षों और हमलों से जुड़े रहे हैं.

    मिसाइलों के नाम

    पाकिस्तान की मिसाइल श्रृंखला में 'गजनवी', 'गौरी', 'घोरी', 'बाबर', और अब 'अब्दाली' जैसे नाम प्रमुख हैं. ये सभी नाम मध्य एशिया और अफगानिस्तान से आए ऐसे हमलावरों से जुड़े हैं जिन्होंने भारत पर हमले किए और इतिहास में सैन्य विजयों के साथ-साथ सांस्कृतिक टकराव की विरासत भी छोड़ी.

    हाल ही में परीक्षण की गई अब्दाली मिसाइल प्रणाली, जो 450 किलोमीटर की दूरी तक सतह से सतह पर वार कर सकती है, पाकिस्तान की "INDUS एक्सरसाइज" नामक सैन्य कवायद का हिस्सा है. अब्दाली को लेकर विश्लेषकों का मानना है कि इसके नामकरण का उद्देश्य केवल सैन्य क्षमता का प्रदर्शन नहीं बल्कि भारत के विरुद्ध एक ऐतिहासिक संदर्भ के साथ राजनीतिक संकेत भी है.

    नामकरण की दृष्टिकोण में अंतर

    जहां भारत ने अपनी मिसाइलों के नाम अपनी सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और तत्वमीमांसी परंपरा से प्रेरित होकर चुने हैं — जैसे 'अग्नि', 'पृथ्वी', 'आकाश', 'नाग', 'त्रिशूल' और 'ब्रह्मोस'. वहीं पाकिस्तान के नामकरण में राजनीतिक और धार्मिक प्रतीकों का प्रभुत्व दिखाई देता है. भारत ने अपने सैन्य शस्त्रों के नाम उन तत्वों से लिए जो उसकी सांस्कृतिक चेतना, प्रकृति और विज्ञान से जुड़े हैं, जबकि पाकिस्तान के मिसाइल नाम मध्यकालीन विजेताओं पर आधारित हैं.

    पाकिस्तान की वैचारिक स्थिति

    विशेषज्ञों के अनुसार, पाकिस्तान की राष्ट्रीय पहचान निर्माण की प्रक्रिया में इन ऐतिहासिक आक्रमणकारियों के नाम एक वैचारिक ढांचे का हिस्सा बन गए हैं. पाकिस्तान ने विभाजन के बाद जिस 'इस्लामी राष्ट्र' की अवधारणा को आगे बढ़ाया, उसमें उन ऐतिहासिक व्यक्तियों को नायक की तरह पेश किया गया जिन्होंने भारत में 'इस्लामिक विजय' की कहानियाँ रचीं. हालांकि इनमें से कोई भी नायक वास्तव में आधुनिक पाकिस्तान की भूमि से नहीं जुड़ा रहा, फिर भी ये नाम सांस्कृतिक विमर्श और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन गए.

    यह दृष्टिकोण आलोचकों के लिए चिंता का विषय रहा है, क्योंकि यह राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में ऐतिहासिक समावेशिता के बजाय ध्रुवीकरण को बढ़ावा देता है. यह भी देखा गया है कि यह इतिहास के एक विशेष पक्ष को महिमामंडित करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है, जबकि भारत की ओर से युद्ध और सुरक्षा तकनीक को संस्कृति और विज्ञान के साथ जोड़ा गया है.

    अब्दाली की ऐतिहासिक विरासत

    अहमद शाह अब्दाली, 18वीं सदी का एक अफगान शासक था, जिसने भारत पर कई बार हमले किए और विशेष रूप से पानीपत की तीसरी लड़ाई में निर्णायक भूमिका निभाई. इतिहास में उसे एक क्रूर लुटेरे के रूप में भी देखा गया, जिसने सांस्कृतिक शहरों को निशाना बनाया और व्यापक जनहानि की. आज, पाकिस्तान उसके नाम पर मिसाइल बनाकर अपनी सैन्य शक्ति को दर्शाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कुछ विशेषज्ञ इसे वैचारिक आत्म-आलोचना की कमी और एक असुरक्षित पहचान का संकेत मानते हैं.

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