Who is Divya Deshmukh: सोमवार की शाम जब दिव्या देशमुख ने महिला शतरंज विश्व कप 2025 के फाइनल में अपनी ही हमवतन और अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को हराया, तो यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, यह एक सपने का साकार होना था.
कोनेरू हम्पी के पास खेल में वापसी का मौका था, लेकिन दिव्या की बिसात पर चली हुई चालें इतनी सटीक थीं कि वापसी की हर राह बंद हो गई. काले मोहरों के साथ उन्होंने वह बाज़ी जीत ली, जो अब भारतीय शतरंज इतिहास का स्वर्ण अक्षरों में लिखा पन्ना बन चुकी है.
कहां से शुरू हुई ये यात्रा?
9 दिसंबर 2005 को नागपुर में जन्मीं दिव्या के माता-पिता डॉक्टर हैं, पिता जितेंद्र और माता नम्रता. लेकिन दिव्या की दुनिया कुछ और ही थी. महज़ 5 साल की उम्र में शतरंज की ओर रुझान शुरू हुआ, और देखते ही देखते वह बोर्ड पर बिसातें बिछाने लगीं.
7 साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप, फिर अंडर-10 (डरबन, 2014) और अंडर-12 (ब्राजील, 2017) में वर्ल्ड यूथ खिताब. इतनी कम उम्र में ये उपलब्धियाँ किसी परीकथा से कम नहीं लगतीं.
इंटरनेशनल मास्टर से ग्रैंडमास्टर तक
2023 में दिव्या ने इंटरनेशनल मास्टर का खिताब जीता और फिर 2024 में विश्व जूनियर अंडर-20 चैंपियनशिप में 11 में से 10 अंक लेकर पूरी दुनिया को चौंका दिया. और अब 2025, जब उन्होंने विश्व कप जीतकर न सिर्फ भारत को गर्व से भर दिया, बल्कि सीधे ग्रैंडमास्टर बन गईं.
जिनको हराया, वो थी दुनिया की नंबर 1
दिव्या का ग्राफ यूं ही ऊपर नहीं गया. इस साल लंदन में हुए फिडे वर्ल्ड ब्लिट्ज टीम चैंपियनशिप में उन्होंने चीन की दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी होउ यिफान को हराकर शतरंज जगत को चौंका दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस जीत पर उन्हें व्यक्तिगत रूप से बधाई दी.
चेन्नई से चमका नागपुर का सितारा
दिव्या चेन्नई में शतरंज गुरुकुल में जीएम आरबी रमेश के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेती हैं. उनकी रणनीतिक समझ, धैर्य, और रचनात्मक खेल शैली उन्हें भीड़ से अलग करती है. वो कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालिफाई कर चुकी हैं, यानि अब उनका अगला लक्ष्य विश्व चैंपियन बनना है.
ये भी पढ़ें- Kajari Teej 2025: भक्ति, प्रेम और सौभाग्य का अद्भुत संगम है कजरी तीज, जानें शुभ तिथि और मुहूर्त