नई दिल्ली: ईरान और इज़रायल के बीच जारी टकराव के बीच एक बार फिर दुनिया की सबसे खतरनाक सैन्य क्षमताओं पर चर्चा तेज हो गई है. मिसाइल, ड्रोन और रक्षा प्रणालियों के इस्तेमाल के बीच यह सवाल फिर से उभरा है कि अब तक का सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी परमाणु हथियार कौन-सा रहा है?
इस सवाल का जवाब है — जार बॉम्बा (Tsar Bomba). यह सोवियत संघ द्वारा 1961 में विकसित और परीक्षण किया गया थर्मोन्यूक्लियर बम था, जिसे अब तक का दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु विस्फोटक माना जाता है.
जार बॉम्बा: एक झलक
विनाश की परिधि:
परमाणु इतिहास का सबसे भयानक क्षण
जार बॉम्बा का मूल डिज़ाइन 100 मेगाटन की क्षमता के लिए किया गया था, लेकिन परीक्षण को 50 मेगाटन तक सीमित रखा गया, ताकि वातावरण में रेडिएशन फैलाव को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके.
फिर भी, इसका विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि:
यह विस्फोट इतने बड़े क्षेत्र में फैला कि इसे न केवल सैन्य शक्ति, बल्कि मानवता के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा गया.
परीक्षण का मकसद: शक्ति का प्रदर्शन
जार बॉम्बा को कभी भी युद्ध में इस्तेमाल के लिए नहीं बनाया गया था. इसका निर्माण और परीक्षण शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ की रणनीतिक शक्ति और वैज्ञानिक क्षमता के प्रदर्शन के उद्देश्य से किया गया था.
यह बम इतना बड़ा और भारी था कि इसे ले जाने के लिए विशेष रूप से TU-95 बमवर्षक विमान को मॉडिफाई किया गया. इसका विस्फोट जमीन पर नहीं, बल्कि हवा में 4,000 मीटर की ऊंचाई पर किया गया, जिससे क्षेत्रीय तबाही को सीमित किया जा सके.
द डेड हैंड सिस्टम: परमाणु शक्ति से भी बड़ा ख़तरा
जार बॉम्बा की तरह की बमों से अधिक आज की चिंता का विषय हैं ऐसी स्वचालित जवाबी हमला प्रणालियाँ, जैसे कि रूस की ‘डेड हैंड’ प्रणाली.
यह एक ऑटोमैटिक न्यूक्लियर रेस्पॉन्स सिस्टम है, जिसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यदि रूस पर परमाणु हमला होता है और सैन्य कमान समाप्त हो जाती है, तो यह सिस्टम अपने आप प्रतिक्रिया में परमाणु हमले शुरू कर देता है — बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के.
यह प्रणाली वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए एक गंभीर चिंता है, क्योंकि इसमें गलती या गलत सूचना के आधार पर भी सर्वनाशकारी युद्ध शुरू हो सकता है.
किसके पास हैं परमाणु हथियार?
आज की तारीख में सबसे अधिक परमाणु हथियार रखने वाले देश हैं:
इन देशों के पास परमाणु हथियारों की संख्या और प्रकार अलग-अलग हैं, लेकिन सभी की सामूहिक क्षमता मानवता के अस्तित्व के लिए एक निरंतर खतरा बन सकती है.
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