ये है दुनिया का सबसे खतरनाक बम, जिसके विस्फोट ने 100 किमी तक सब कुछ कर दिया था तबाह, जानें ताकत

    मिसाइल, ड्रोन और रक्षा प्रणालियों के इस्तेमाल के बीच यह सवाल फिर से उभरा है कि अब तक का सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी परमाणु हथियार कौन-सा रहा है?

    Which is considered the worlds most dangerous bomb
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: ईरान और इज़रायल के बीच जारी टकराव के बीच एक बार फिर दुनिया की सबसे खतरनाक सैन्य क्षमताओं पर चर्चा तेज हो गई है. मिसाइल, ड्रोन और रक्षा प्रणालियों के इस्तेमाल के बीच यह सवाल फिर से उभरा है कि अब तक का सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी परमाणु हथियार कौन-सा रहा है?

    इस सवाल का जवाब है — जार बॉम्बा (Tsar Bomba). यह सोवियत संघ द्वारा 1961 में विकसित और परीक्षण किया गया थर्मोन्यूक्लियर बम था, जिसे अब तक का दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु विस्फोटक माना जाता है.

    जार बॉम्बा: एक झलक

    • आधिकारिक नाम: AN602
    • विकासकर्ता: सोवियत संघ (अब रूस)
    • परीक्षण तिथि: 30 अक्टूबर 1961
    • परीक्षण स्थल: नोवाया ज़ेमल्या, आर्कटिक महासागर
    • विस्फोट क्षमता: 50 मेगाटन (50 मिलियन टन TNT के बराबर)

    विनाश की परिधि:

    • 100 किमी के दायरे में पूर्ण तबाही
    • 275 किमी तक विकिरण महसूस किया गया
    • 1,000 किमी दूर तक विस्फोट की चमक देखी गई

    परमाणु इतिहास का सबसे भयानक क्षण

    जार बॉम्बा का मूल डिज़ाइन 100 मेगाटन की क्षमता के लिए किया गया था, लेकिन परीक्षण को 50 मेगाटन तक सीमित रखा गया, ताकि वातावरण में रेडिएशन फैलाव को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके.

    फिर भी, इसका विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि:

    • हिरोशिमा बम से लगभग 3,800 गुना अधिक ताकतवर था.
    • विस्फोट से उत्पन्न फायरबॉल 5 मील चौड़ी थी.
    • मशरूम क्लाउड 60 किमी ऊंचा उठा, जो स्ट्रैटोस्फियर तक पहुंचा.
    • 160 किमी तक की इमारतें बर्बाद हो गईं.
    • 100 किमी दूर तक थर्ड-डिग्री बर्न होने की संभावना बनी.

    यह विस्फोट इतने बड़े क्षेत्र में फैला कि इसे न केवल सैन्य शक्ति, बल्कि मानवता के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा गया.

    परीक्षण का मकसद: शक्ति का प्रदर्शन

    जार बॉम्बा को कभी भी युद्ध में इस्तेमाल के लिए नहीं बनाया गया था. इसका निर्माण और परीक्षण शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ की रणनीतिक शक्ति और वैज्ञानिक क्षमता के प्रदर्शन के उद्देश्य से किया गया था.

    यह बम इतना बड़ा और भारी था कि इसे ले जाने के लिए विशेष रूप से TU-95 बमवर्षक विमान को मॉडिफाई किया गया. इसका विस्फोट जमीन पर नहीं, बल्कि हवा में 4,000 मीटर की ऊंचाई पर किया गया, जिससे क्षेत्रीय तबाही को सीमित किया जा सके.

    द डेड हैंड सिस्टम: परमाणु शक्ति से भी बड़ा ख़तरा

    जार बॉम्बा की तरह की बमों से अधिक आज की चिंता का विषय हैं ऐसी स्वचालित जवाबी हमला प्रणालियाँ, जैसे कि रूस की ‘डेड हैंड’ प्रणाली.

    यह एक ऑटोमैटिक न्यूक्लियर रेस्पॉन्स सिस्टम है, जिसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यदि रूस पर परमाणु हमला होता है और सैन्य कमान समाप्त हो जाती है, तो यह सिस्टम अपने आप प्रतिक्रिया में परमाणु हमले शुरू कर देता है — बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के.

    यह प्रणाली वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों के लिए एक गंभीर चिंता है, क्योंकि इसमें गलती या गलत सूचना के आधार पर भी सर्वनाशकारी युद्ध शुरू हो सकता है.

    किसके पास हैं परमाणु हथियार?

    आज की तारीख में सबसे अधिक परमाणु हथियार रखने वाले देश हैं:

    • रूस 
    • अमेरिका 
    • चीन
    • फ्रांस
    • ब्रिटेन
    • भारत
    • पाकिस्तान
    • इज़रायल
    • उत्तर कोरिया

    इन देशों के पास परमाणु हथियारों की संख्या और प्रकार अलग-अलग हैं, लेकिन सभी की सामूहिक क्षमता मानवता के अस्तित्व के लिए एक निरंतर खतरा बन सकती है.

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