भारत24 डिजिटल डेस्क: यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को हत्या के मामले फांसी की सजा हुई थी. निचली अदालत के इस फैसले को निमिषा के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसे यमन के सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दिया और फांसी की सजा बरकरार रखी है.
ये मामला 2017 का है, जब यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया पर वहां के एक नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा था. इस मामले में यमन की एक अदालत ने निमिषा को वर्ष 2018 में फांसी की सजा सुनाई थी. अब वहां के सुप्रीम कोर्ट ने निमिषा की सजा के खिलाफ दायर उसकी अपील को खारिज कर दिया है.
नर्स निमिषा प्रिया की मां अपनी बेटी को फांसी की सजा से बचाने के लिए यमन जाना चाहती है. वहां जाकर वह ब्लड मनी समझौते के तहत अपनी बेटी की फांसी रुकवाने की कोशिश में जुटी हुई हैं.
यमन में ब्लड मनी एक ऐसा प्रावधान है जिसके तहत फांसी की सजा रुकवाई जा सकती है. यदि मृतक के परिवार आरोपी को माफ कर देते हैं, तो कोर्ट उसको सजा से मुक्त कर देता है. इसके लिए पीड़ित परिवार को रकम देना पड़ता है.
यमन में मृतक के परिवार निमिषा के परिजनों से 1.52 करोड़ रुपए मुआवजे के तौर पर मांग रहे हैं. अगर निमिषा प्रिया के परिवार ने यह रकम चुका दिया तो उसकी फांसी की सजा माफ हो सकती है.
नर्स निमिषा प्रिया ने तलाल अब्दो महदी को बेहोशी का इंजेक्शन लगाई थी. निमिषा का आरोप है कि महदी उसके पासपोर्स पर कब्जा कर लिया था, जिसे वो देने से इनकार कर रहा था. निमिषा अपने पासपोर्ट को हासिल करने के लिए उसे बेहोशी का इंजेक्शन दी. लेकिन इसके चलते महदी की मौत हो गई. इसके बाद कोर्ट ने निमिषा को हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई थी.
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