उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पुलिस की एक बड़ी लापरवाही की वजह से एक महिला को सिर्फ नाम के आधार पर जेल भेज दिया गया, जबकि असली आरोपी अब भी खुलेआम घूम रही है.यह घटना सीबीगंज थाना क्षेत्र के बंडिया गांव की है. साल 2020 में बिजली चोरी के एक मामले में मुन्नी पत्नी छोटे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया गया था.
पुलिस को इस वारंट पर कार्रवाई करनी थी.
13 अप्रैल 2025 को परसाखेड़ा चौकी के प्रभारी सौरभ यादव जब गांव पहुंचे, तो उन्होंने बिना ठीक से जांच किए, उसी गांव में रहने वाली मुन्नी देवी पत्नी जानकी प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया. जानकारी के अनुसार दोनों के नाम 'मुन्नी' थे, बस इसी आधार पर कार्रवाई हो गई.
जेल भेजी गईं बेगुनाह महिला
मुन्नी देवी को चार दिन तक जेल में रहना पड़ा. उन्होंने पुलिस से बार-बार कहा कि वो असली आरोपी नहीं हैं, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. मुन्नी देवी ने बताया कि “मैं हिंदू हूं, मेरा नाम मुन्नी देवी है. असली आरोपी मुस्लिम महिला है. मैंने बार-बार कहा कि मैं वो नहीं हूं, फिर भी पुलिस ने मुझे जेल भेज दिया.”
गलती का एहसास और डराने की कोशिश
जब पुलिस को अपनी गलती का पता चला, तो 4 दिन बाद मुन्नी देवी को जेल से छोड़ा गया. पुलिस ने परिवार से माफी भी मांगी, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि “मीडिया से कुछ मत कहना, वरना दोबारा जेल भेज देंगे.”
गुडवर्क की होड़ में मानवाधिकार की अनदेखी
ये मामला सिर्फ एक गलती नहीं, बल्कि पुलिस की जल्दबाजी और गैर-जिम्मेदारी का उदाहरण है. बिना जांच किए किसी को गिरफ्तार करना कानून का उल्लंघन है. ये घटना मानवाधिकारों के खिलाफ भी है. वहीं अब इस मामले में पुलिस असली आरोपी महिला की तलाश अब की जा रही है. पुलिस की ये गलती सबक बन गई है कि सिर्फ नाम एक जैसा होने से कोई अपराधी नहीं बन जाता.