नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर को उनके 95वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दी.
एक्स पर पोस्ट किए गए एक हार्दिक संदेश में, मोदी ने अपने विशेष रिश्ते को याद करते हुए कहा, "लता दीदी को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं. वह अपने भावपूर्ण गीतों के कारण हमेशा लोगों के दिल और दिमाग में जीवित रहेंगी. लता दीदी और मेरे बीच एक विशेष बंधन था. मैं उनका स्नेह और आशीर्वाद पाने के लिए भाग्यशाली रहा हूं."
Remembering Lata Didi on her birth anniversary. She will always live on in the hearts and minds of people due to her soulful songs.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2024
Lata Didi and I had a special bond. I have been fortunate to receive her affection and blessings.https://t.co/ujzzagwq3s
'भारत की स्वर कोकिला' के नाम से मशहूर लता मंगेशकर का 6 फरवरी, 2022 को निधन हो गया. भारतीय संगीत में उनके असाधारण योगदान ने एक अमिट छाप छोड़ी है, और उनकी जयंती दुनिया भर में प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों द्वारा मनाई जाती है.
उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय संगीतकार थे
1929 में इंदौर, मध्य प्रदेश में जन्मे मंगेशकर संगीत परंपरा से जुड़े परिवार से निकले थे. उनके पिता, पंडित दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार थे, जिसने गायन के प्रति उनके शुरुआती जुनून को प्रभावित किया.
मुख्य रूप से पुरुष प्रधान उद्योग में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, मंगेशकर की दृढ़ता और समर्पण ने उन्हें भारतीय सिनेमा में सबसे प्रभावशाली पार्श्व गायिकाओं में से एक बना दिया.
उनको पहला ब्रेक 1949 में फिल्म 'महल' में गाने से मिला
उनका पहला बड़ा ब्रेक 1949 में फिल्म 'महल' के गाने 'आएगा आएगा आएगा आएगा' से मिला, लेकिन संगीतकार नौशाद के साथ उनके सहयोग ने उन्हें वास्तव में प्रसिद्धि दिलाई.
'प्यार किया तो डरना क्या' और 'अजीब दास्तां है ये' जैसे प्रतिष्ठित ट्रैक तुरंत क्लासिक बन गए, जिससे उनकी गहरी भावनाओं को व्यक्त करने और दर्शकों से जुड़ने की क्षमता का पता चलता है.
मंगेशकर की डिस्कोग्राफी एक खजाना है, जिसमें शास्त्रीय और लोक से लेकर ग़ज़ल और पॉप तक कई शैलियों के गाने शामिल हैं.
आरडी बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, एआर रहमान के साथ बनाए क्लासिक गाने
आरडी बर्मन, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और एआर रहमान जैसे प्रतिष्ठित संगीतकारों के साथ उनके सहयोग से टाइम के परे क्लासिक्स का निर्माण हुआ जो आज भी दर्शकों के बीच गूंजते रहते हैं.
'लग जा गले', 'जिया जले' और 'तुझे देखा तो' जैसे गीतों ने न केवल पीढ़ियों को परिभाषित किया, बल्कि पार्श्व गायन के लिए स्टैंडर्ड भी स्थापित किए. उनकी बहुमुखी प्रतिभा ने उन्हें नरगिस और मधुबाला से लेकर करीना कपूर और ऐश्वर्या राय तक कई दौर की अभिनेत्रियों को अपनी आवाज़ देने का मौक़ा दिया.
प्रत्येक प्रदर्शन ने चरित्र की भावनाओं को मूर्त रूप देने की उनकी क्षमता को प्रदर्शित किया, जिसने श्रोताओं के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ी.
हिंदी, मराठी, बंगाली विदेश समेत 36 भाषाओं में भी गाए
मंगेशकर का प्रभाव हिंदी फ़िल्म उद्योग से परे भी फैला. उन्होंने हिंदी, मराठी, बंगाली और यहां तक कि कुछ विदेशी भाषाओं सहित 36 से अधिक भाषाओं में गायन किया.
इस भाषाई कौशल ने उन्हें भारतीय संगीत का ग्लोबल एम्बेस्डर बना दिया, जिससे उन्हें अलग-अलग तरह के श्रोताओं से प्रशंसा मिली. उनके परोपकारी प्रयासों ने एक प्रिय व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत किया.
मंगेशकर ने वंचित बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सहित कई कॉज को सपोर्ट किया, और समाज में उनका योगदान उनकी कलात्मक विरासत के साथ-साथ चला.
लता भारत रत्न समेत कई पुरस्कार से नवाजी गईं
अपने शानदार करियर के दौरान, लता मंगेशकर को कई पुरस्कार और प्रशंसाएं मिलीं. उन्हें 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया और उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के लिए कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले.
दादा साहब फाल्के पुरस्कार और फ्रांस सरकार द्वारा लीजन ऑफ ऑनर उनके द्वारा प्राप्त कई पुरस्कारों में से कुछ हैं, जिसने उन्हें एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में स्थापित किया.
6 फरवरी 2022 को निधन से हुआ है खालीपन
6 फरवरी, 2022 को उनके निधन के बाद से, संगीत जगत ने उनके न होने से पैदा हुए खालीपन को महसूस किया गय है. हालांकि, उनके गीत पीढ़ियों तक गूंजते रहते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उनकी विरासत जीवित रहे.
दुनिया भर के प्रशंसक और संगीत प्रेमी सोशल मीडिया श्रद्धांजलि के जरिए उनकी स्मृति का सम्मान करते हैं, उनकी कालातीत धुनें गाते हैं और श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करते हैं. लता मंगेशकर की जयंती केवल उनके जीवन का उत्सव नहीं है; यह संगीत में उनके असाधारण योगदान और उनकी चिरस्थायी भावना का स्मरणोत्सव है.
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