The JC Show: डॉ जगदीश चंद्र के साथ इंटरव्यू में गुजरात के गवर्नर ने बताया, अमित दोनों हाथों से लिखते हैं

    भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show में गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत आए, जिनका साक्षात्कार डॉ. जगदीश चंद्र ने लिया.

    The JC Show Gujarat Governor Acharya Devvrat was interviewed by Dr. Jagdish Chandra
    The JC Show/Bharat 24

    नई दिल्ली: भारत 24 के सीईओ और एडिटर इन चीफ डॉ. जगदीश चंद्र के 'The JC Show' का लाखों-करोड़ों दर्शकों को इंतजार रहता है. इस बार The JC Show में गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत आए, जिनका साक्षात्कार डॉ. जगदीश चंद्र ने लिया. इस बार इस शो का नाम है- The JC Show, Governor Acharya Devvrat EXCLUSIVE.

    डॉ. जगदीश चंद्र के सभी सवालों का आचार्य देवव्रत ने खुलकर जवाब दिया. उन्होंने नरेंद्र मोदी, अमित शाह के प्रति अपने विचार भी व्यक्त किए. दोनों की कुछ खुबियां बताई जिसे बहुत लोग नहीं जानते होंगे.

    डॉ जगदीश चंद्र का सवाल- जब आपने गुरुकुल में करियर शुरू किया था तब सोचा था कि इस मुकाम तक पहुचेंगे और राज्यपाल बनेंगे?

    इस सवाल के जवाब में आचार्य देवव्रत ने कहा, "1981 में 21 वर्ष की मेरी आयु थी जब मैं गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्रधानाचार्य बना और उस समय से लगातार उसमें बहुत संघर्ष किया, क्योंकि वह संस्था कोई सरकारी अनुदान से नहीं चलती थी. बहुत गरीब परिवार के बच्चे वहां आते थे, उनके लिए मैं गेहूं चावल गांव गांव जाकर के इकट्ठे करता था. दिन में दिन में बच्चे पढ़ाता था और रात को गलियों में घूम के मैं लोगों से दान लेता था. वह संस्था जिसमें 50-40 बच्चे होते थे, बहुत टूटे फूटे से भवन थे, लेकिन ईश्वर कृपा रही, प्रयास किया, और आज उस संस्था में 19 स्टेट्स के 1600 विद्यार्थी रेजिडेंशियल रूप से पढ़ते हैं. जहां कोई अपने बच्चे नहीं भेजता था, उस गुरुकुल में इस एक साल में जो अब चल रहा है, इसमें 17 बच्चे एनडीए जवाइन कर चुके हैं, नौ बच्चे नीट में गए, सात बच्चे आईआईटी में गए, चार आईआईएम में गए और आठ बच्चे एनआईटी में गए. हर वर्ष यह स्थिति वहां की रहती है. आपने जो प्रश्न किया था, दूर दूर तक भी स्वप्न में भी मैंने कभी सोचा नहीं था. कारण उसका यह था कि ना तो मैं कभी किसी राजनीतिक पार्टी का सदस्य रहा, ना किसी राजनीतिक मंच पर मैं कभी गया, ना मैंने कभी इच्छा पाली. मेरा काम केवल एक शिक्षक का था बाकी समय बचता था तो मैं वृक्षारोपण का काम करता था, जल बचाने का करता था, बच्चों में योग की विद्या का प्रचार करता था. बाद में प्राकृतिक खेती की ओर मेरा रुझान बना था, वो  काम मैं करता था."

    डॉ जगदीश चंद्र का सवाल- सबसे पहले कैसे सुचना आई कि आप गवर्नर बना दिये गए?

    आचार्य देवव्रत ने कहा, "मैं एक डीएवी गर्ल्स कॉलेज है यमुनानगर हरियाणा में, उसके नए सत्र का उद्घाटन था. बेटियों ने मेरा एक लेक्चर करने के लिए मुझे बुलाया था. मैं वहां वो लेक्चर दे रहा था तो मेरे जेब में टेलीफोन की घंटी बजी, मैंने उसको साइलेंट कर दिया. बार-बार बजती रही क्योंकि वाइब्रेशन हो रहा था, मैंने उसका ध्यान नहीं दिया, अपनी बात खत्म की और उसके बाद प्रिंसिपल मुझे अपने कार्यालय में ले गए जलपान के लिए, वो किया और मैं अपने गाड़ी में बैठ के और गुरुकुल की ओर चला, तो एक घंटे का रास्ता था, घंटियां बार-बार आई तो मैंने स्विच ऑन किया, किसी सज्जन का फोन था, मैं उनको नहीं जानता था, उन्होंने कहा कि आपको बधाई हो... मैंने पूछा भाई जी किस बात की बधाई? उन्होंने कहा कि आप तो हिमाचल के गवर्नर बना दिए गए. मैंने उत्तर दिया कि मैं ही आपको मिला मजाक करने के लिए... उसके 2-4 मिनट बाद फिर दूसरी घंटी बजी, सेम उन्होंने भी ये शब्द बोले.. मैंने बोला अच्छा दोनों मिलकर मजाक कर रहे हो. फिर तीसरी धंटी बजी और वो एक उम्रदराज व्यक्ति थे, ओ पी गोयल उनका नाम था, अब नहीं हैं. लगभग 85 वर्ष उनकी आयु थी, मेरे गुरुकुल में वो दान देते थे उनका फोन आया, तो मैं थोड़ा गंभीर हुआ. मैंने उनको कहा- सेठ जी, देश बहुत बड़ा है, मेरे नाम के बहुत लोग हो सकते है. और कोई होगा, हम यहां नहीं हैं. उन्होंने सरलता से कहा, अच्छा तो कोई और होगा, बात खत्म हो गई. इस बीच में गुरुकुल आ गया, जब मैंने द्वार में प्रवेश किया तो वहा सैकड़ों लोग खड़े हुए थे माला लिए हुए, मैंने कहा तू स्वपन देख रहा है या सचमुच में घटना है? मैं समझ नहीं पाया. फिर पत्रकार बंधु आ गए, उन्होंने मेरे से कहा कि आप इस पर कुछ बोलिए तो मैंने कहा- ना, मैं नहीं बोलूंगा, अब भी मेरे को विश्वास नहीं था. ना कारण था, ना तो मैंने कभी प्रयास किया, ना मैं कभी किसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा रहा, ना मेरी कभी इच्छा रही, मैं तो आज भी आश्चर्य करता हूं. माननीय प्रधानमंत्री जी, राष्ट्रपति जी या शीर्ष नेतृत्व कैसे मेरा चयन किया यह मैं आज तक नहीं समझ पाया."

    डॉ जगदीश चंद्र का सवाल- आप प्रधानमंत्री के करीब कहे जाते हैं, अहमदाबाद और दिल्ली में चर्चा रहती है तो पहली बार नरेंद्र भाई की निगाह आप कब पड़ी, कब मुलाकात हुई?

    आचार्य देवव्रत ने कहा, "जीवन में सच्चाई यह है कि गवर्नर बनने से पहले मैंने कभी भी प्रधानमंत्री जी को नहीं देखा, साक्षात रूप में कभी मैं मिला नहीं, माननीय अमित शाह जी से मैं कभी मिला नहीं, कभी सीधा साक्षात्कार हुआ नहीं, यही सच्चाई है. गवर्नर जब मुझे बना दिया और उसके बाद मैं गया तो पहली बार उनके दर्शन हुए थे. पद्म श्री, पदम विभूषण, बड़े-बड़े सम्मान... ऐसे लोग मेरे को मिले जो बेचारे पैर में चप्पल भी नहीं पहन पाते थे. रात दिन अपना काम करते थे, कभी उन्होंने सोचा नहीं, हमें सम्मान मिलेगा."

    डॉ जगदीश चंद्र का सवाल- एक प्रधानमंत्री के रुप में, एक नागरिक के रुप में, ओवर ऑल आप उन्हें कैसे देखते हैं?

    आचार्य देवव्रत ने कहा, "मैं यह मानता हूं कि किसी राष्ट्र का यह सौभाग्य होता जब उसको ऐसे रत्न मिलते हैं. वो गुजरात में आते हैं, उनका अपना कोई घर नहीं है, कभी वह किसी बड़े होटल में कभी नहीं रुकते, राज भवन में एक छोटा सा कमरा है उसमें ही वह रुकते हैं. इस बीच में अनेक बार स्वाभाविक है कि मैं उनके संपर्क में आता हूं, बातचीत होती है. मैं उनके काम करने के तरीके को देखता हूं, वो मेरे ख्याल में जो मैंने देखा है चार घंटा सोते होंगे, राज भवन में कई बार 12-12 बजे तक तो वह मीटिंग ही लेते रहते हैं. मीटिंग का तरीका क्या है, 3-4 हॉल है रैजभवन में जिनमें मीटिंग होती है. वो सीधा एयरपोर्ट से आते हैं, एक-एक कर मीटिंग करते हैं , जितने लोग भी मीटिंग में आते हैं वो भी आश्चर्य करते हैं कि साहब को कितनी इश्वरीय देन है. भारत के विकास का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिनमें उनकी पकड़ ना हो. वे छोटी-छोटी चीज को इतनी बारीकी से देखते हैं, आप और मैं सोच ही नहीं सकते. जब स्टेचयू ऑफ यूनिटी का शिलान्यास कार्यक्रम चल रहा था, मैं उस समय साथ में था, उस समय के मुख्यमंत्री जी थे, वो हाथ में कॉपी-पेन लिये हुए थे, क्योंकि हर 10 कदम पर एक निर्देश मिलता था, जैसे- टोटी से पानी टपक रहा है, टोटी ठीक लगाइए, यहां तार पड़े हैं इसको ठीक कीजिए, प्रधानमंत्री का एक-एक चीज को इतनी बारीकी से देखना और निर्देश देना, ये अद्भुत है. ये वहीं व्यक्ति कर सकता है जो धरती से जुड़ा हो."

    डॉ जगदीश चंद्र का सवाल- जब नरेंद्र मोदी की बात करते हैं तो अमित शाह का जिक्र होता है, वे गृहमंत्री हैं, आप राज्यपाल हैं, कई बार उनसे इंटरेक्शन होता होगा, एक गृह मंत्री के रोल में आप उन्हें कैसे देखते हैं?

    इस सवाल के जवाब में आचार्य देवव्रत ने कहा, "उनसे भी मेरा परिचय गवर्नर बनने के बाद ही हुआ, लेकिन मैं उनके कार्यों को बारीकी से देखता हूं. वह बेहद गंभीरता से काम करते हैं. उनको मैं भी इतना नहीं समझता था, लेकिन उनके संपर्क में आने से पता लगा जो आप में भी शायद बहुत लोगों को नहीं पता होगा कि वह दोनों हाथों से बराबर लिखते हैं. ऐसी प्रतिभा शायद आपको जानकारी नहीं होगी. वो जब काम करते हैं तो उसकी तह तक पहुंचते हैं, बीच में छोड़ना उनका स्वभाव नहीं है. वे महान देशभक्त हैं, भारतीय संस्कृति, भारतीय इतिहास, आदिकाल से अबतक, बहुत गहनता से उनकी समझ है. कश्मीर, 370 ये सभी चीजें कब से उनके मन में बैठी हुई थीं जिसे उन्होंने पूरा किया. पूरी राष्ट्रीय व्यवस्था को जितनी बारीकी से, जितनी सूझबूझ से वो निर्णय वो लेते हैं, वो अद्भुत क्षमता ईशवर ने उनको दी है."

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