जहां जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के फिदायीन थे, वहीं हुआ हमला, जानिए कैसे तैयार होते थे मानव बम?

    भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद प्रमुख आतंकी ढांचों को गंभीर क्षति पहुंचाई है.

    The attack happened where the suicide bombers of Jaish-e-Mohammed and Lashkar-e-Taiba
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    नई दिल्ली: भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद प्रमुख आतंकी ढांचों को गंभीर क्षति पहुंचाई है. इस कार्रवाई को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान गई थी.

    प्रमुख ठिकानों पर हमला

    सूत्रों के अनुसार, भारत की इस सर्जिकल कार्रवाई में 26 आतंकियों की मौत हुई है, जबकि दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं. पाकिस्तान ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इन मौतों की पुष्टि की है. जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर ने एक बयान में दावा किया कि इस हमले में उसके परिवार के 10 सदस्य मारे गए.

    जैश के केंद्र पर लक्षित कार्रवाई

    खुफिया जानकारी के मुताबिक, भारत ने बहावलपुर में स्थित जामा-ए-मस्जिद सुभानअल्लाह को भी निशाना बनाया, जिसे जैश-ए-मोहम्मद अपने प्रशिक्षण और योजना केंद्र के रूप में इस्तेमाल करता था. इसी परिसर से 2019 के पुलवामा हमले की योजना रची गई थी.

    इस परिसर में मदरसे, स्विमिंग पूल और आवासीय सुविधाएं थीं. रिपोर्टों के अनुसार, इस परिसर की जमीन मसूद अजहर के भाई और जैश के सैन्य प्रमुख अब्दुल रऊफ असगर के नाम पर पंजीकृत थी. वर्षों से यहां दक्षिणी पंजाब के युवाओं को कट्टरपंथी बना कर आत्मघाती हमलों के लिए तैयार किया जा रहा था.

    लश्कर-ए-तैयबा की आधारशिला पर वार

    दूसरा बड़ा लक्ष्य रहा लाहौर से लगभग 30 किमी दूर स्थित मुरीदके, जहां लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है. इस परिसर में लंबे समय से संगठन के नेता हाफिज अब्दुल रऊफ की गतिविधियां जारी थीं. वह कदसिया मस्जिद में भाषण देता था और भारत के खिलाफ बयानबाज़ी करता था.

    इस परिसर को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं के बाद पाकिस्तान सरकार ने इसे "निगरानी में लिया गया" बताया था, लेकिन मौके पर लश्कर के नियंत्रण और संचालन की गतिविधियां जारी थीं.

    कट्टरपंथ का नेटवर्क: एक संगठित ढांचा

    जैश और लश्कर द्वारा संचालित मदरसों के माध्यम से वर्षों से कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार किया जा रहा था. गरीबी और सीमित विकल्पों से जूझ रहे युवाओं को कथित "जिहाद" के नाम पर प्रेरित किया जाता था. रिपोर्टों के अनुसार, ऐसे युवाओं को इस तरह प्रशिक्षित किया जाता था कि वे आत्मघाती हमलों के लिए तैयार हो जाते थे.

    एक फिदायीन की माँ का कथित पत्र जिसमें उसने लिखा, "मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं, ओ’अल्लाह, जब तुम पुकारोगे... ‘इस खून से लथपथ गुलाब की माँ कौन है?" — इस मानसिकता की गहराई को दर्शाता है.

    पाकिस्तान की दोहरी नीति

    पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी संस्था FATF से बचने के लिए इन संगठनों पर दिखावटी कार्रवाई की, लेकिन असली नियंत्रण आतंकी संगठनों के हाथ में ही बना रहा. अप्रैल 2024 में अबू सैफुल्लाह और सनम जाफर की मौत के बाद लश्कर ने स्मृति कार्यक्रम का आयोजन कर उनके 'बलिदान' को महिमामंडित किया.

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