ताजमहल की सुंदरता पर अवैध निर्माण का साया, कराह रही है भारत की सबसे खूबसूरत इमारत

    ताजमहल, जो अपनी बेमिसाल खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, आज एक नई चुनौती का सामना कर रहा है.

    Taj Mahal is being overshadowed by illegal construction
    ताजमहल | Photo: Freepik

    ताजमहल, जो अपनी बेमिसाल खूबसूरती और ऐतिहासिक महत्व के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, आज एक नई चुनौती का सामना कर रहा है. यह चुनौती है इसके आसपास बिना अनुमति के हो रहे अवैध निर्माण और पेड़ों की छटाई की. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और प्यार की अनमोल निशानी कहलाने वाला यह स्मारक अब उन गैरकानूनी गतिविधियों के कारण सुर्खियों में है, जो इसके पर्यावरण और सौंदर्य को नुकसान पहुंचा रही हैं. आइए, इस मुद्दे की गहराई में उतरकर देखें कि आखिर क्या हो रहा है ताजमहल के आसपास और क्यों यह चिंता का विषय बन गया है.

    ताजमहल के पास धड़ल्ले से जारी अवैध निर्माण

    आगरा में ताजमहल के आसपास का इलाका, जिसे ताज ट्रेपेजियम जोन (TTZ) के नाम से जाना जाता है, एक संवेदनशील क्षेत्र है. यह 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ क्षेत्र है, जिसमें आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस, एटा और राजस्थान के भरतपुर जिले शामिल हैं. इस जोन की स्थापना 1996 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से की गई थी, ताकि ताजमहल को प्रदूषण और अवैध गतिविधियों से बचाया जा सके, लेकिन आज स्थिति यह है कि TTZ नियमों को ताक पर रखकर ताजमहल के नजदीक अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी हैं. 

    हैरानी की बात यह है कि ताजमहल से महज 150 मीटर की दूरी पर एक रेस्टोरेंट के पीछे टीन शेड लगाकर निर्माण कार्य किया गया है. यह निर्माण न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि ताजमहल की सुंदरता और इसके आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी खतरा बन गया है. स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों का कहना है कि ऐसे निर्माण कार्य ताजमहल के नजदीक नो-कंस्ट्रक्शन जोन के नियमों का खुला उल्लंघन हैं, जो 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगाते हैं.

    पर्यावरण पर हमला

    ताजमहल की खूबसूरती को बनाए रखने में इसके आसपास की हरियाली की बड़ी भूमिका है, लेकिन हाल ही में खबरें आईं कि TTZ क्षेत्र में बिना अनुमति के पेड़ों की छटाई और कटाई की गई. सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि ताजमहल के आसपास के क्षेत्र में पेड़ों को काटने या छंटाई के लिए उसकी अनुमति जरूरी है. इसके बावजूद, कुछ लोग निजी स्वार्थ के लिए नियमों को नजरअंदाज कर रहे हैं. 

    पेड़ों की कटाई न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि ताजमहल के संगमरमर पर प्रदूषण के प्रभाव को भी बढ़ाती है. हरियाली कम होने से धूल और प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, जो ताजमहल की चमक को धीरे-धीरे फीका कर सकता है. यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के बाद भी ऐसी गतिविधियां जारी रहती हैं.

    सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना

    सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की सुरक्षा के लिए कई बार कड़े निर्देश जारी किए हैं. 1996 में कोर्ट ने TTZ की स्थापना की थी और 500 मीटर के दायरे को नो-कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया था. इसके अलावा, 2017 में कोर्ट ने ताजमहल के पास एक मल्टीलेयर पार्किंग लॉट के निर्माण को रद्द कर दिया था, क्योंकि यह पर्यावरण के लिए खतरा बन सकता था. हाल ही में, 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आगरा डेवलपमेंट अथॉरिटी को ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में सभी व्यावसायिक गतिविधियों को तुरंत रोकने का आदेश दिया था. 

    ताजमहल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की शान और संस्कृति का प्रतीक है. हर साल लाखों पर्यटक इसे देखने आते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलता है. लेकिन, अगर इसके आसपास अवैध निर्माण और पर्यावरण का नुकसान इसी तरह जारी रहा, तो यह न केवल ताजमहल की सुंदरता को दागदार करेगा, बल्कि इसके ऐतिहासिक महत्व को भी खतरे में डाल देगा.

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