Special Ops 2 Web Series Review: ओटीटी पर अगर आप बेहतरीन थ्रिलर की तलाश में रहते हैं, तो ‘स्पेशल ऑप्स’ का नाम आपने ज़रूर सुना होगा. नीरज पांडे की इस जासूसी सीरीज ने अपने पहले सीजन से ही दर्शकों का दिल जीत लिया था. अब 18 जुलाई 2025 को ‘स्पेशल ऑप्स 2’ रिलीज़ हो चुकी है और इसे लेकर दर्शकों की उम्मीदें काफी ऊंची थीं. तो क्या यह सीजन पहले की तरह ही आपको सीट से बांधे रखेगा? क्या के के मेनन का वही पुराना जादू बरकरार है? जवाब है—हां, लेकिन इस बार अंदाज़ थोड़ा बदला हुआ है.
इस बार मिशन आतंकवाद नहीं, बल्कि साइबर वॉरफेयर
नीरज पांडे की इस सीरीज में आपको रॉ के सीनियर ऑफिसर हिम्मत सिंह (के के मेनन) एक बार फिर अपने ठंडे लेकिन तीखे अंदाज़ में दिखेंगे, लेकिन इस बार मिशन आतंकवाद नहीं, बल्कि साइबर वॉरफेयर से जुड़ा है. कहानी वहीं से पकड़ लेती है जहां रहस्य शुरू होता है—एक वैज्ञानिक का अपहरण और एक सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर की मौत. इसके बाद हिम्मत सिंह की टीम को जिम्मेदारी मिलती है कि वे डॉ. पीयूष भार्गव को किसी भी हालत में सुरक्षित भारत वापस लाएं.
पहले सीजन की तरह इस बार भी टीम एक्शन में है—लेकिन इस बार चेज़ और फाइट्स की जगह प्लॉटिंग और डिजिटल जंग पर ज्यादा फोकस किया गया है. यानी अगर आपको हाई-ऑक्टेन एक्शन की उम्मीद है, तो यह सीजन थोड़ा ठंडा लग सकता है, लेकिन जो लोग थ्रिल और माइंड गेम्स पसंद करते हैं, उनके लिए यह सीजन सोने पे सुहागा है.
इस बार की कास्टिंग में काफी नए चेहरे भी शामिल किए गए हैं. करण टैकर, सैयामी खेर, मुजम्मिल इब्राहिम, शिखा तलसानिया, विनय पाठक, परमीत सेठी, कालीप्रसाद मुखर्जी, ताहिर राज भसीन और प्रकाश राज—सभी ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया है. खासकर ताहिर और प्रकाश राज की एंट्री सीरीज में एक अलग गंभीरता और तीव्रता जोड़ती है.
कुल 7 एपिसोड हैं
सीरीज के हर एपिसोड में कुछ न कुछ ऐसा है जो आपको अगले पर क्लिक करने के लिए मजबूर करता है. कुल 7 एपिसोड हैं, और यकीन मानिए, आप ‘चलो एक एपिसोड देखते हैं’ सोचकर बैठेंगे और कब आखिरी एपिसोड तक पहुंच जाएंगे, पता ही नहीं चलेगा. कहानी की गति तेज़ है, और डायलॉग्स में वो पैनापन है जो आज की जासूसी थ्रिलर को चाहिए.
सीरीज का स्केल भी इस बार बहुत बड़ा है. शूटिंग देश-विदेश के कई लोकेशनों पर की गई है, जो इसे विज़ुअली और भी आकर्षक बनाता है. सिनेमेटोग्राफी की बात करें तो हर फ्रेम में क्लास नज़र आती है—चाहे वो भारत की दिल्ली की गलियां हों या यूरोप के ठंडे मिजाज़ वाले शहर. सिनेमेटोग्राफर ने इसे एक इंटरनेशनल थ्रिलर जैसा टच दिया है.
जहां तक कहानी की बात है, तो यह सिर्फ एक मिशन या ऑपरेशन नहीं है—बल्कि इसमें इंसानी इमोशंस, एजेंट्स के भीतर की उलझनें और एक देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना भी गहराई से बुनी गई है. यही वो खासियत है जो ‘स्पेशल ऑप्स’ को सिर्फ एक एक्शन सीरीज नहीं, बल्कि एक पूरी फीलिंग बना देती है.
के के मेनन हमेशा की तरह एकदम परफेक्ट हैं—हिम्मत सिंह के रोल में उनका अनुभव और ठहराव दोनों ही दिखते हैं. उन्हें देखकर आप समझ जाते हैं कि वो बस एक रॉ ऑफिसर नहीं हैं, बल्कि एक रणनीतिकार हैं जो हर चाल को बहुत सोच-समझकर चलते हैं. उनके डायलॉग्स, एक्सप्रेशन्स और बॉडी लैंग्वेज में एक रियलिज़्म है जो इस सीरीज को और मजबूत बनाता है.
इस बार तकनीकी लड़ाई और प्लॉट ट्विस्ट पर ज्यादा ज़ोर
अगर इस सीजन में कोई चीज़ थोड़ी कम रह गई है, तो वो है एक्शन की मात्रा. पिछले सीजन में जहां गोलियों की गूंज और धमाके ज्यादा थे, वहीं इस बार तकनीकी लड़ाई और प्लॉट ट्विस्ट पर ज्यादा ज़ोर है. लेकिन इसकी भरपाई दिलचस्प स्क्रिप्ट, बेहतरीन ऐक्टिंग और चुस्त एडिटिंग करती है.
निर्देशक नीरज पांडे ने एक बार फिर साबित किया है कि जासूसी कहानियों को कैसे रियलिस्टिक टच के साथ पेश किया जा सकता है. उनके साथ लेखकों की जोड़ी—बेनजीर अली फिदा और दीपक किंगरानी—ने एक ऐसी कहानी रची है जिसमें इंटेलिजेंस ऑपरेशन की जटिलता, इमोशनल डेप्थ और देशभक्ति तीनों मौजूद हैं.
अगर आप ‘स्पेशल ऑप्स’ का पहला सीजन पसंद कर चुके हैं, तो दूसरा सीजन आपके लिए थोड़ा अलग लेकिन उतना ही मज़ेदार साबित होगा. और अगर आपने अभी तक यह सीरीज देखी ही नहीं है, तो अब मौका है—शुरुआत से देखिए, क्योंकि हिम्मत सिंह की ये दुनिया थ्रिलर की सबसे शुद्ध और असरदार दुनिया है.
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