रूसी हैकरों ने यूक्रेन के ड्रोन नेटवर्क को किया तहस-नहस, चुरा ली दुश्मन देश की जानकारी, मचेगा कत्लेआम?

    रूस-यूक्रेन युद्ध अब सिर्फ मिसाइलों और टैंकों की लड़ाई नहीं रहा, यह जंग अब डिजिटल मोर्चे पर भी उतनी ही घातक हो चुकी है. ताज़ा घटनाक्रम में रूस समर्थक हैकर समूह KillNet ने दावा किया है कि उसने यूक्रेन के सबसे बड़े ड्रोन मार्केटप्लेस का डेटा हैक कर लिया है.

    Russian KillNet Hackers Breach Ukraine s Largest Drone Hub
    Image Source: Social Media

    मॉस्को: जब मोर्चे पर गोलियां थमती हैं, तब कीबोर्ड पर हमले तेज हो जाते हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध अब सिर्फ मिसाइलों और टैंकों की लड़ाई नहीं रहा, यह जंग अब डिजिटल मोर्चे पर भी उतनी ही घातक हो चुकी है. ताज़ा घटनाक्रम में रूस समर्थक हैकर समूह KillNet ने दावा किया है कि उसने यूक्रेन के सबसे बड़े ड्रोन मार्केटप्लेस का डेटा हैक कर लिया है. यह हमला महज तकनीकी सेंधमारी नहीं, बल्कि युद्ध की रणनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है.

    हैकिंग की चपेट में यूक्रेन का टेक इंफ्रास्ट्रक्चर

    रूसी सरकारी समाचार एजेंसी RIA Novosti के मुताबिक, इस साइबर अटैक को अंजाम दिया गया यूक्रेन के डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अकाउंट के माध्यम से. KillNet का दावा है कि इस एक अकाउंट से उसे न केवल हजारों ड्रोन आपूर्तिकर्ताओं की जानकारी मिली, बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों से जुड़ी गोपनीय जानकारियाँ भी उसके हाथ लग गईं.

    सिर्फ नाम नहीं, पूरी ड्रोन इंडस्ट्री स्कैन पर

    हैकर्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन में उन्हें 1500 से अधिक ड्रोन कंपनियों के नाम, ईमेल, मोबाइल नंबर, सप्लायर्स की पूरी लिस्ट, कर्मचारियों की डिटेल्स और यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसियों के ग्राहक रिकॉर्ड भी प्राप्त हुए. इससे भी खतरनाक बात ये है कि हैकर्स ने दावा किया है कि उनके पास अब यूक्रेन की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और ड्रोन तकनीक से जुड़े तकनीकी डॉक्यूमेंट्स हैं — जो भविष्य में रूस को युद्धक्षेत्र में निर्णायक बढ़त दिला सकते हैं.

    आर्थिक आंकड़े भी निशाने पर आए

    KillNet के सदस्य ‘KillMilk’ ने कहा है कि इस मार्केटप्लेस से जुड़े वित्तीय दस्तावेज भी हैक किए गए हैं, जिनसे यह सामने आया कि वर्ष 2024 में यूक्रेन के इस ड्रोन प्लेटफॉर्म का कारोबार करीब 2.1 अरब डॉलर का रहा. यह खुलासा यूक्रेन की सैन्य क्षमताओं और उनकी फंडिंग को लेकर भी कई सवाल खड़े करता है.

    क्या प्रचार है या सच्चाई? 

    KillNet के ये तमाम दावे रूसी मीडिया में बड़े स्तर पर प्रचारित किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी स्वतंत्र साइबर सुरक्षा संस्था इन दावों की पुष्टि नहीं कर सकी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह भी ‘इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर’ का हिस्सा हो सकता है, जिसका मकसद है मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना और दुश्मन की जनता और सेनाओं में भ्रम फैलाना.

    यूक्रेन के अपने सिस्टम से मिली मदद?

    KillNet का दावा है कि Brave1 और UASF जैसी संस्थाओं के ज़रिए, जो यूक्रेन सरकार द्वारा समर्थित ड्रोन प्रोजेक्ट्स चला रहे थे, हैकर्स को इस डेटा तक पहुंचने का रास्ता मिला. Brave1 एक सरकारी प्लेटफॉर्म है, जबकि UASF एक स्टार्टअप नेटवर्क है जो स्थानीय स्तर पर ड्रोन निर्माण में शामिल है. हैकर्स का कहना है कि इन्हीं लूपहोल्स का फायदा उठाकर उन्होंने पूरे सिस्टम में सेंध लगाई.

    साइबर मोर्चे पर भी जारी है टकराव

    रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही दोनों देशों के हैकर ग्रुप्स एक-दूसरे पर डिजिटल हमलों की झड़ी लगा चुके हैं. KillNet पहले भी यूक्रेन, अमेरिका और यूरोपीय देशों पर कई DDoS अटैक कर चुका है. वहीं, जवाबी हमले में यूक्रेनी हैकर समूह BO Team ने भी इस साल जुलाई में एक रूसी ड्रोन सप्लायर को निशाना बनाने का दावा किया था.

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