रूस की 'Dead Hand' की धमकी, ट्रंप का सबमरीन वार, क्या खुद ही चलने लगेंगी मिसाइलें? जानें रहस्यमय ताकत

    अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर से परमाणु तनाव की लहर दौड़ पड़ी है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने दुनिया भर के रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. ट्रंप ने रूस की आक्रामक बयानबाजी और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की चेतावनियों के जवाब में दो अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों को रूस के नजदीक तैनात करने का आदेश देने की बात कही है.

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    अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर से परमाणु तनाव की लहर दौड़ पड़ी है. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने दुनिया भर के रणनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. ट्रंप ने रूस की आक्रामक बयानबाजी और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव की चेतावनियों के जवाब में दो अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों को रूस के नजदीक तैनात करने का आदेश देने की बात कही है.

     यह कदम उस समय आया है जब यूक्रेन युद्ध पहले ही परमाणु टकराव की आशंकाओं से घिरा हुआ है. ऐसे में ‘डेड हैंड’ जैसी प्रणालियों की फिर से चर्चा शुरू हो गई है – यानी वह घातक तकनीक, जो देश के पूरी तरह नष्ट हो जाने पर भी दुश्मन पर जवाबी परमाणु हमला कर सकती है.


    क्या सच में अमेरिका के पास है 'डेड हैंड'?

    हाल ही में अमेरिकी वायुसेना की आधिकारिक पत्रिका एयरफोर्स मैगजीन में प्रकाशित एक रिपोर्ट ने इस बहस को और भी गहरा कर दिया है. इसमें उस प्रणाली का विवरण दिया गया है जो जरूरत पड़ने पर अमेरिका की Minuteman III अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रिगर कर सकती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि अमेरिका पर हमला हो जाता है और सभी वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मारे जाते हैं, तो एक स्वचालित प्रक्रिया के तहत जवाबी हमले की संभावना बनी रहती है.हालांकि, जानकारों का मानना है कि अमेरिका का यह सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक नहीं है. इसे 'डेड हैंड' कहना भ्रामक हो सकता है. इसे अधिक सही शब्दों में सेमी-ऑटोमेटिक रिस्पॉन्स सिस्टम कहा जा सकता है, जिसमें अंतिम निर्णय किसी न किसी मानव ऑपरेटर के पास होता है.'स्टैंड-डाउन' कमांड और सतर्कता का चक्र

    क्या है डेड हैंड फ्रेंडली?

    एयरफोर्स मैगजीन की रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि अमेरिकी मिसाइल बेस में तैनात ऑपरेटरों को हर छह घंटे में एक “स्टैंड-डाउन” कमांड दर्ज करना होता है. अगर यह आदेश समय पर नहीं दिया गया तो सिस्टम यह मान लेता है कि ऑपरेटर निष्क्रिय हो चुका है या संभवतः मारा जा चुका है. इस स्थिति में मिसाइल सिस्टम अगली कमांड के लिए केंद्रीय परमाणु नियंत्रण से निर्देशों का इंतजार करने लगता है. इस प्रक्रिया को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह ‘डेड हैंड’ जैसी प्रणाली है, लेकिन वास्तव में यह सिस्टम खुद से मिसाइल लॉन्च नहीं कर सकता. किसी भी मिसाइल को दागने के लिए जरूरी कोड और निर्देश मानव ऑपरेटर को ही फीड करने होते हैं. इसके अलावा, यह आदेश अमेरिकी रक्षा विभाग या हवाई कमांड सेंटर E-6B Mercury से ही मान्य होते हैं.

    हवाई से होगा परमाणु आदेश का ट्रांसमिशन

    अमेरिकी सेना के पास E-6B Mercury नामक विशेष विमानों का एक बेड़ा है जो Airborne Launch Control System (ALCS) से लैस है. यह प्रणाली किसी भी आपात स्थिति में जमीन पर मौजूद इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) को हवा से निर्देश देकर लॉन्च कर सकती है. यदि जमीन पर स्थित कमांड सेंटर तबाह हो जाएं, तब यह हवाई कमांड पोस्ट परमाणु प्रतिउत्तर की क्षमता बनाए रखता है. यह पूरी प्रक्रिया दर्शाती है कि अमेरिका की प्रणाली भरोसेमंद और सुरक्षित है, लेकिन यह पूरी तरह से स्वचालित नहीं है. हर स्तर पर मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता बनी रहती है ताकि कोई तकनीकी या मानवीय गलती खतरनाक परिणामों में न बदल जाए.

    रूस की 'पेरीमीटर सिस्टम' बनाम अमेरिका की नीति

    जहां एक ओर अमेरिका का परमाणु उत्तरदायी तंत्र मानव नियंत्रण पर आधारित है, वहीं दूसरी ओर रूस की तथाकथित पेरीमीटर सिस्टम को लेकर माना जाता है कि वह ज्यादा स्वचालित है. हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि रूस की यह प्रणाली भी 100% ऑटोमेटिक नहीं है. अंतिम निर्णय वहां भी इंसान को ही लेना होता है. रूस का यह सिस्टम शीत युद्ध काल में विकसित हुआ था, जब आशंका थी कि अमेरिका के पहले हमले के बाद रूस पूरी तरह तबाह हो सकता है. ऐसे में यह प्रणाली अपने आप जवाबी हमला करती लेकिन यह सिद्धांत अब तक पूरी तरह साबित नहीं हो सका है.

    बुश के फैसले से बदली अमेरिकी नीति

    1991 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने अमेरिका की परमाणु मिसाइलों को 24x7 अलर्ट की स्थिति से बाहर कर दिया था. उन्होंने परमाणु हथियारों को रूस की ओर लक्ष्यबद्ध करने की जगह समुद्र की दिशा में मोड़ने का आदेश दिया, ताकि कोई गलती से दागी गई मिसाइल जान-माल को नुकसान न पहुंचा सके. साथ ही, उन्होंने पुराने Emergency Rocket Communication System (ERCS) को भी बंद कर दिया.

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