IIT BHU में बनेगा 85 करोड़ से रिसर्च पार्क- हाई एनर्जी, लेजर तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस समेत चीजों पर होगा काम

    आईआईटी बीएचयू के नवनियुक्त डायरेक्टर प्रो अमित पात्रा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि संस्थान एक रिसर्च पार्क बनाने की भी योजना बना रहा है. जैसा आईआईटी मद्रास में बना है. फैकल्टी के पेटेंट को बिजनेस बनाने, मोनिटाइज करने के लिए एक स्थान बनेगा.

    Research park will be built in IIT BHU with Rs 85 crores - work will be done on things including high energy laser technology electronic surveillance
    IIT BHU /Photo- Internet

    वाराणसी: आईआईटी बीएचयू के नवनियुक्त डायरेक्टर प्रो अमित पात्रा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि संस्थान एक रिसर्च पार्क बनाने की भी योजना बना रहा है. जैसा आईआईटी मद्रास में बना है. फैकल्टी के पेटेंट को बिजनेस बनाने, मोनिटाइज करने के लिए एक स्थान बनेगा. भवन बनाने के लिए 85 करोड़ का फंड मिल चुका है. 

    उसके बाद अभी स्टार्टअप के लिए एंजल इन्वेस्टर 25 लाख से करोड़ रुपये तक फंड देने के लिए तैयार हैं. काफी एलुमनी भी फंड देने को तैयार हैं ताकि जो भी रिसर्च के बाद स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन मिलता रहे.

    स्टार्टअप फेलियर का रेट कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा

    स्टार्टअप फेलियर का रेट कम करने में रिसर्च पार्क महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. नौकरी की जगह इंटरप्रिन्योरशिप पर भी जोर दिया जाएगा. इसके लिए संस्थान स्तर पर सुविधा भी दी जा रही है. आईथ्री हब और आईडीएपीटी उपलब्ध हैं जो छात्रों को यह सुविधा उपलब्ध कराते हैं.

    अमित पात्रा ने कहा कि संस्थान में एक नए गर्ल्स हॉस्टल और एक नया ब्यायज हॉस्टल बनाने की भी योजना है. सिक्योरिटी के सवाल पर निदेशक ने बताया कि सीसीटीवी बेस्ड सर्विलांस सिस्टम तैयार किया जा रहा है. इसका टेंडर होने जा रहा है.

    सीसीटीवी में किसी भी मूवमेंट पर तुरंत सूचना देगा सॉफ्टवेयर

    इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस लगाने की तैयारी है. संस्थान के कंप्यूटर साइंस विभाग से एक सॉफ्टवेयर बनाने की तैयारी है जिससे सीसीटीवी में किसी भी मूवमेंट पर तुरंत सूचना देने लगेगा.

    अस्सी नदी को स्वच्छ करने के लिए सिविल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है. पूरे विश्व भर में आईआईटी बीएचयू के एल्मुनी हैं. इसके लिए संस्थान में एक टीम बनाई जाएगी जो बराबर उनसे संपर्क करती रहेगी. उनके द्वारा दिये गए प्रतिदान की भी उन्हें जानकारी देती रहेगी. हाई एनर्जी, लेजर टेक्नोलॉजी की तकनीक डेवलप करनी है. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 25 साल के लिए पार्टनरशिप साइन किया गया है.

    लैब को और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करना जरूरी है

    उन्होंने कहा कि बीएचयू से आईटी का आईआईटी में परिवर्त हुए मात्र 12 साल ही हुए हैं. आईआईटी इसीलिये बनाया गया कि ताकि टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें. आज तकनीकी इतनी तेज आगे बढ़ रही है कि अगर उसके साथ हम नहीं चले तो पीछे रह जाएंगे. हमें तेज काम करना होगा. लैब को और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करना जरूरी है. इसके लिए मंत्रालय से भी बात हुई है और उन्होंने मदद करने का आश्वासन दिया है. 

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