नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार आयात (भुगतान संतुलन के आधार पर) को 11.2 महीने तक कवर करने वाला है.
मंगलवार को जारी RBI की रिपोर्ट में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार, आयात कवर और अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (IIP) पर अपडेट दिया गया है, जो जून 2024 के अंत तक देश की बाहरी वित्तीय स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करता है.
मार्च 2024 कवर से 1 महीने की मामूली गिरावट
देश के आयात कवर का नवीनतम आंकड़ा मार्च 2024 के अंत में दर्ज किए गए 11.3 महीने के कवर से एक महीने की मामूली गिरावट दिखाता है.
आयात कवर आयात के महीनों की संख्या का एक पैमाना है, जिसे विदेशी मुद्रा भंडार का वर्तमान स्तर सपोर्ट कर सकता है, और बाहरी आर्थिक झटकों के खिलाफ देश के लचीलेपन का एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर रूप में कार्य करता है.
इसमें कहा गया है, "जून 2024 के अंत में, आयातों को कवर करने वाला विदेशी मुद्रा भंडार (भुगतान संतुलन के आधार पर) 11.2 महीने (मार्च 2024 के अंत में 11.3 महीने) था."
भंडार में अल्पकालिक लोन के रेशियो में इजाफा हुआ
आगे के विवरण से पता चला कि भंडार में अल्पकालिक ऋण के अनुपात (रेशियो) में वृद्धि हुई है. मार्च 2024 तक, अल्पकालिक ऋण (मूल परिपक्वता के आधार पर) भंडार का 19.7 प्रतिशत था. हालांकि, जून के अंत तक यह अनुपात बढ़कर 20.3 प्रतिशत हो गया, जो देश के भंडार के समानांतर अल्पकालिक देनदारियों के हिस्से में मामूली वृद्धि को दिखाता है.
इसके अतिरिक्त, अस्थिर पूंजी प्रवाह का अनुपात - जिसमें संचयी पोर्टफोलियो प्रवाह और बकाया अल्पकालिक ऋण शामिल हैं - भंडार के सापेक्ष मामूली वृद्धि देखी गई, जो मार्च के अंत में 69.8 प्रतिशत से जून के अंत में 70.1 प्रतिशत हो गई.
रिपोर्ट में अंतर्राष्ट्रीय निवेश के हालत पर भी की गई है बात
आरबीआई की रिपोर्ट में भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (आईआईपी) में हुए बदलावों पर भी प्रकाश डाला गया है, जो देश की बाहरी वित्तीय परिसंपत्तियों (असेस्ट्स) और देनदारियों का एक व्यापक रिकॉर्ड है. जून 2023 के अंत और जून 2024 के अंत के बीच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बाहरी परिसंपत्तियों में 108.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि देखी गई, जबकि इसी अवधि में बाहरी देनदारियों में 97.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई.
परिसंपत्तियों और देनदारियों में यह वृद्धि देश की चल रही अंतर्राष्ट्रीय व्यस्तताओं और वित्तीय लेन-देन को जाहिर करती है.
कुल मिलाकर, ये अपडेट भारत की बाहरी आर्थिक स्थिति को दर्शाते हैं और वैश्विक वित्तीय गतिशीलता के बीच अपने विदेशी मुद्रा भंडार की लचीलापन के बारे में जानकारी दे रहे हैं. आईआईपी पर आरबीआई के आंकड़े, आयात कवर और ऋण-से-रिजर्व अनुपात जैसे उपायों के साथ, अस्थिर वैश्विक वातावरण में भारत की आर्थिक स्थिरता का आकलन करने में महत्वपूर्ण बने हुए हैं.
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