नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि कृषि भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में है, उन्होंने कहा कि छोटे किसान भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं.
"कृषि भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में है. भारत के 90 प्रतिशत छोटे किसान, जिनके पास थोड़ी सी जमीन है, भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं." प्रधानमंत्री मोदी ने ये बात दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर में 32वें अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए कही.
मुझे पता नहीं है कि दुनिया में कहीं किसी किसान की कोई प्रतिमा हो।
— BJP (@BJP4India) August 3, 2024
लेकिन भारत में आजादी के आंदोलन में जिस महापुरुष ने किसान शक्ति को जागृत किया, किसानों को आजादी के आंदोलन से जोड़ा, उस किसान नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा भारत में है।
- पीएम @narendramodi pic.twitter.com/I3nF9JSTkr
एशिया के कई विकासशील देशों का भी यही हाल : पीएम मोदी
उन्होंने बताया कि एशिया के कई विकासशील देशों में भी ऐसी ही स्थिति है, जिससे भारत का मॉडल लागू होता है. प्राकृतिक खेती का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में बड़े पैमाने पर रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं.
उन्होंने इस वर्ष के बजट में टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल खेती पर विशेष ध्यान दिए जाने के साथ-साथ भारत के किसानों को सहायता देने के लिए एक संपूर्ण इकोसिस्टम तंत्र विकसित करने का भी जिक्र किया. जलवायु-अनुकूल फसलों से संबंधित अनुसंधान और विकास पर सरकार के जोर को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में किसानों को लगभग 1900 नई जलवायु-अनुकूल फसल की किस्में सौंपी गई हैं.
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मणिपुर, असम और मेघालय के चावल को पीएम ने बताया खास
उन्होंने भारत में चावल की उन किस्मों का उदाहरण दिया, जिन्हें पारंपरिक किस्मों की तुलना में 25 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है और काले चावल के सुपरफूड के रूप में उभरने का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, "मणिपुर, असम और मेघालय का काला चावल अपने औषधीय गुणों के कारण पसंदीदा विकल्प है."
न्यूनतम पानी, अधिकतम उत्पादन वाले श्री अन्ना, बाजरा को बताया सुपरफूड
उन्होंने कहा कि भारत अपने संबंधित अनुभवों को विश्व समुदाय के साथ साझा करने के लिए भी उतना ही उत्सुक है. प्रधानमंत्री ने जल की कमी और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पोषण चुनौती की गंभीरता को भी स्वीकार किया. उन्होंने श्री अन्ना, बाजरा को सुपरफूड की 'न्यूनतम पानी और अधिकतम उत्पादन' की गुणवत्ता को देखते हुए समाधान के रूप में प्रस्तुत किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की बाजरा की टोकरी को दुनिया के साथ साझा करने की भारत की इच्छा जताई और पिछले वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाए जाने का उल्लेख किया.
कृषि को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की वकालत की, मृदा स्वास्थ्य कार्ड का जिक्र किया
कृषि को आधुनिक तकनीक से जोड़ने की पहल का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सौर खेती, जिससे किसान ऊर्जा प्रदाता बन रहे हैं, डिजिटल कृषि बाजार, यानी ई-नाम, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम फसल बीमा योजना के बारे में बात की. उन्होंने पारंपरिक किसानों से लेकर कृषि स्टार्टअप, प्राकृतिक खेती से लेकर फार्म स्टे और फार्म-टू-टेबल तक कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के औपचारिकीकरण पर भी बात की.
उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में, 90 लाख हेक्टेयर को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया गया है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत इथेनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहा है, कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ हो रहा है. भारत में कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीक के लाभ उठाने पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने पीएम किसान सम्मान निधि का उल्लेख किया, जिसके तहत एक क्लिक पर 10 करोड़ किसानों के बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर किया जाता है, और डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है जो किसानों को वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है और उन्हें डेटा-संचालित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है.
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भूमि के डिजटलीकरण के एक बड़े अभियान की बात की
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल से करोड़ों किसानों को लाभ होगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. उन्होंने भूमि के डिजिटलीकरण के लिए एक बड़े अभियान का भी जिक्र किया, जिसके तहत किसानों को उनकी भूमि के लिए एक डिजिटल पहचान संख्या दी जाएगी, और खेती में ड्रोन को बढ़ावा दिया जाएगा, जहां 'ड्रोन दीदी' को ड्रोन संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा- 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य'
पीएम मोदी ने 'विश्व बंधु' के रूप में वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया. उन्होंने वैश्विक कल्याण के लिए भारत के दृष्टिकोण को याद किया और 'एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य', 'मिशन लाइफ' और 'एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य' सहित विभिन्न मंचों पर भारत द्वारा प्रस्तुत विभिन्न मंत्रों का उल्लेख किया.
पीएम मोदी ने मनुष्यों, पौधों व जानवरों के स्वास्थ्य को अलग-अलग नहीं देखने के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. प्रधानमंत्री ने कहा, "एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य' के समग्र दृष्टिकोण के तहत ही टिकाऊ कृषि और खाद्य प्रणालियों के सामने चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है."
'हम एक-दूसरे से सीखेंगे और एक-दूसरे को सिखाएंगे भी'
उन्होंने आगे कहा कि इन कदमों से न केवल भारत के किसानों को लाभ होगा, बल्कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी. प्रधानमंत्री ने बड़ी संख्या में युवाओं की उपस्थिति पर ध्यान दिया और विश्वास व्यक्त किया कि अगले पांच दिन दुनिया को टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों से जोड़ने के तरीकों के साक्षी बनेंगे. उन्होंने निष्कर्ष निकाला, "हम एक-दूसरे से सीखेंगे और एक-दूसरे को सिखाएंगे भी."
अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ द्वारा आयोजित त्रिवार्षिक सम्मेलन 2 से 7 अगस्त, 2024 तक आयोजित किया जाएगा. इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है, "स्थायी कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर परिवर्तन."
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