केरल के CM विजयन बोले- इस लोकसभा चुनाव में भारत के संविधान, मूल्यों की रक्षा करना सबसे ऊपर

    राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव में सीपीआई(एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ के लिए बड़ी जीत का अनुमान लगाते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस बार 2019 के परिणाम बिल्कुल विपरीत होंगे.

    केरल के CM विजयन बोले- इस लोकसभा चुनाव में भारत के संविधान, मूल्यों की रक्षा करना सबसे ऊपर

    त्रिशूर (केरल) : लोकसभा चुनाव 2024 को भारत के संविधान और मूल्यों की रक्षा की प्रतिस्पर्धा करार देते हुए, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को कहा कि केरल में मतदाताओं के सामने मुख्य सवाल यह है कि क्या वे लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की जीत चाहते हैं, जो संघ परिवार की जनविरोधी राजनीति" का विरोध करता है, या वे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) की जीत चाहते हैं, जो उसकी नीतियों से जुड़ा हुआ है."

    विजयन ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "इस चुनाव में देश के संविधान और मूल्यों की रक्षा करना सर्वोपरि है. क्या संघ परिवार की जनविरोधी राजनीति का कट्टर विरोधी एलडीएफ विजयी होगा? या बीजेपी की नीतियों के साथ गठबंधन करने वाले यूडीएफ को जीत हासिल करनी चाहिए? यह सवाल का जवाब ''मतदाताओं के हाथ.'' में है.

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    विजयन ने कहा 2019 से अलग होंगे इस बार के नतीजे

    राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव में सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ के लिए बड़ी जीत का अनुमान लगाते हुए उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि 2019 के परिणाम बिल्कुल विपरीत होंगे, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने केरल में 20 में से 19 सीटें जीती थीं. 

    विजयन ने कहा, "चुनाव में केवल 9 दिन शेष हैं, मैंने अब तक 13 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रचार किया है. यह केरल में एलडीएफ के लिए एक बड़ी जीत की तरह दिख रहा है. उम्मीद है कि 2019 के ठीक विपरीत परिणाम इस बार केरल में होंगे. भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाला राजग मोर्चा सभी निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरे स्थान या नगण्य स्थिति में चला जाएगा.''

    उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले मोर्चे ने केरल विरोधी रुख अपनाया है. उन्होंने कहा, इसलिए केरल के लोग इस चुनाव में यूडीएफ को कड़ी सजा देंगे. उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में उनकी पार्टी का मिशन संघ परिवार को हराने से भी आगे है.

    उन्होंने कहा, "यह एक संप्रभु, समतावादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत की अखंडता की रक्षा करने के बारे में है."

    मुख्यमंत्री ने भाजपा के घोषणापत्र की भी आलोचना की और इसे ''सांप्रदायिक एजेंडे से भरा'' बताया.

    "जब प्रधानमंत्री केरल आए, तो उन्होंने प्रगति रिपोर्ट के बारे में बात की. लेकिन भाजपा के पास लोगों के लिए और प्रगति रिपोर्ट पेश करने का साहस नहीं है. मुख्य वादा एक राष्ट्र, एक चुनाव और एक समान नागरिक संहिता हैं. वहीं पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने जो वादे किये थे, वे कागजों पर ही रह गये हैं.’’

    मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में स्थायी रोजगार अब सपना भी नहीं है. 2014 से 2022 के बीच केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों में केवल 2,22,000 लोगों को रोजगार दिया गया. उन्होंने कहा, कोई नया पद सृजित नहीं हुआ.

    उन्होंने कहा, "मौजूदा 10 लाख पदों पर भर्तियां रोक दी गई हैं. अकेले रेलवे में तीन लाख रिक्तियां हैं. यहां तक कि सेना में भी नियमित रोजगार नहीं था. नियुक्ति के साथ अनुबंध आता था. सरकार धीरे-धीरे रोजगार देने की जिम्मेदारी से पीछे हट रही है."

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