नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि स्थिति और उनका पद भले बदल गया है, लेकिन वह अभी भी वही व्यक्ति हैं जो कभी फर्श पर बैठते थे और यही वास्तविकता है.
'इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता'
जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट में जब उनसे 1995 में गुजरात के मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के शपथ ग्रहण समारोह की एक तस्वीर के बारे में पूछा गया, जिसमें वरिष्ठ राजनेता कुर्सी पर बैठे थे जबकि वह फर्श पर बैठे थे, और तब से उनके जीवन में क्या बदलाव आया है. पीएम मोदी ने कहा, "मेरे पद बदल गए हैं और परिस्थितियां बदल गई हैं. व्यवस्था बदल गई होगी. मोदी वही व्यक्ति हैं जो कभी फर्श पर बैठते थे. यह वास्तविकता है. इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता."
पीएम मोदी ने कहा कि जब वह अबू धाबी गए और क्राउन प्रिंस से मंदिर के लिए जमीन आवंटित करने के लिए कहा तो बिना किसी देरी के जमीन आवंटित कर दी गई. पीएम मोदी ने कहा, "मैं अबू धाबी गया और क्राउन प्रिंस से कहा कि अगर वे मंदिर के लिए जमीन आवंटित कर सकें तो यह बहुत बड़ी सेवा होगी. बिना किसी देरी के मुझे एक इस्लामिक देश में मंदिर बनाने के लिए जमीन और अनुमति मिल गई. आज लाखों हिंदू खुशी से भर गए हैं."
'मैं खाने का शौकीन नहीं हूं'
जब उनसे दूसरे देशों और उनके खाने की पसंद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे खाने के शौकीन नहीं हैं. पीएम मोदी ने कहा, "मैं खाने का शौकीन नहीं हूं. मैं जिस देश में जाता हूं, वहां मुझे जो भी परोसा जाता है, मैं उसका लुत्फ उठाता हूं, लेकिन यह मेरी बदकिस्मती है कि अगर आप मुझे आज किसी रेस्टोरेंट में ले जाएं और मुझे मेनू दें और मुझे चुनने के लिए कहें तो मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा. मुझे किसी रेस्टोरेंट में गए हुए कई साल हो गए हैं. पहले जब मैं संगठन में था, तब अरुण जेटली खाने के बहुत शौकीन थे. उन्हें पता था कि देश भर में किस शहर के किस रेस्टोरेंट में क्या सबसे अच्छा है. वे एक विश्वकोश की तरह थे. इसलिए जब हम साथ में यात्रा करते थे तो किसी रेस्टोरेंट में एक बार खाना एक बात जरूर होती थी."
ये भी पढ़ेंः टैक्सपेयर्स को मिली बड़ी राहत, सिस्टम में गड़बड़ी के कारण बढ़ाई गई GST रिटर्न की डेडलाइन