नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित चौधरी चरण सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी. एक्स पर एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने गरीबों और किसानों के कल्याण के लिए चौधरी चरण की अटूट प्रतिबद्धता को सराहा.
किसान नेता चौधरी चरण सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहकर राजनीति की लेकिन बाद में अलग हो गए थे और अपनी पार्टी बना ली थी.
गरीबों और किसानों के सच्चे हितैषी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण और सेवाभाव हर किसी को प्रेरित करता रहेगा। pic.twitter.com/cTUH8JIFZ4
— Narendra Modi (@narendramodi) December 23, 2024
प्रधानमंत्री ने कहा, "गरीबों और किसानों के सच्चे हितैषी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि. राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण और सेवाभाव हर किसी को प्रेरित करता रहेगा."
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अमित शाह ने चौधरी को आपातकाल का मुकाबला करने वाला बताया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक्स पर पोस्ट किया और पूर्व प्रधानमंत्री को अपनी श्रद्धांजलि दी.
उन्होंने लिखा, "किसानों और वंचितों के अधिकारों के लिए जीवनपर्यंत समर्पित रहने वाले चौधरी चरण सिंह जी ने आपातकाल में लोकतंत्र विरोधी शक्तियों का डटकर मुकाबला किया. उन्होंने अपने जीवन से यह बताया कि सेवा को संकल्प बना कर एक आम आदमी भी देश के सर्वोच्च पद पर पहुँच सकता है. उनका व्यक्तित्व और कृतित्व हर समाजसेवी के लिए प्रेरणा का अक्षय स्रोत है."
"पूर्व प्रधानमंत्री और देश के महान किसान नेता भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी की जयंती पर उनका स्मरण कर उन्हें नमन करता हूँ."
राजनाथ सिंह ने उन्हें लोकतंत्र पर खतरे का मुकाबला करने वाला कहा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि चौधरी चरण सिंह ने जीवन भर गरीबों और किसानों के कल्याण के लिए काम किया.
राजनाथ ने ट्वीट किया, "पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर मैं उन्हें नमन करता हूँ.उन्होंने आजीवन गरीबों और किसानों के कल्याण के लिए काम किया.जब देश में लोकतंत्र पर खतरा मंडराया तो उन्होंने पूरी शक्ति से उसकी रक्षा के लिए संघर्ष किया. चौधरी साहब ने धरती से आसमान का सफ़र तय करने के बावजूद कभी अपनी ज़मीन नहीं छोड़ी. भारत की विकास यात्रा में जो उनका योगदान है, उसे हमेशा याद रखा जाएगा."
उन्होंने कहा, "आज पूरा देश चौधरी चरण सिंह जी की जयंती को 'किसान दिवस' के रूप में मना रहा है. मैं देश के सभी किसान भाइयों को किसान दिवस की शुभकामनाएं देता हूं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीज से लेकर बाजार तक किसानों के लिए कई कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं. चौधरी साहब की प्रेरणा से किसान कल्याण का हमारा संकल्प और मजबूत होता रहेगा."
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चौधरी का ऐसा रहा था सफर, बाद में कांग्रेस में हो गए थे शामिल
चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था. वे 1929 में मेरठ चले गए और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
वह पहली बार 1937 में छपरौली से यूपी विधानसभा के लिए चुने गए और 1946, 1952, 1962 और 1967 में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वह 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना आदि जैसे विभिन्न विभागों में काम किया.
1937 से लेकर 1977 तक वो छपरौली - बागपत क्षेत्र से लगातार विधायक रहे.
उन्होंने इंदिरा गांधी के लगाए गए आपातकाल का खुलकर विरोध किया था और लोकतंत्र के लिए मुखर हुए थे.
लगातार 40 सालों कर कांग्रेस पार्टी का सदस्य रहने के बाद उन्होंने 1967 में पार्टी से इस्तीफ़ा दिया और एक साल बाद भारतीय क्रांति दल का गठन किया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक ''जब 1 अप्रैल, 1967 को उन्होंने कांग्रेस छोड़ी तो उन्होंने रोते हुए भाषण दिया कि सारी उम्र उन्होंने कांग्रेस संस्कृति में बिताई है. अब उसे छोड़ते हुए उन्हें बहुत तकलीफ़ हो रही है. दो दिन बाद चौधरी साहब ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में पहली ग़ैर कांग्रेस सरकार बनी जो अद्भुत सरकार थी, जिसमें जनसंघ भी थी, सोशलिस्ट भी थी, प्रजा सोशलिस्ट भी थी, कम्यूनिस्ट भी थे और स्वतंत्र पार्टी भी थी.''
वह जनता पार्टी में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे.
चौधरी चरण सिंह से एक बड़े लेखक भी थे
वह न केवल एक अनुभवी राजनेता थे, बल्कि एक विपुल लेखक भी थे. उनके साहित्यिक कार्य, जिनमें भूमि सुधार और कृषि नीतियों पर लेखन शामिल हैं, सामाजिक कल्याण और आर्थिक सुधारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं.
वह उत्तर प्रदेश में भूमि सुधारों के मुख्य वास्तुकार के रूप में प्रसिद्ध थे. उनके प्रयासों से महत्वपूर्ण भूमि सुधार बिलों का अधिनियमन हुआ, जैसे 1939 का विभाग मोचन विधेयक और 1960 का भूमि जोत अधिनियम, जिसका उद्देश्य भूमि वितरण और कृषि स्थिरता के मुद्दों की बात करता था.
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