ग्वालियरः केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद के निचले सदन में संविधान से जुड़े मुद्दे उठाने पर विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष, जो खुद संविधान का सम्मान नहीं करता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बेनकाब कर दिया है. केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि अगर कोई संविधान को दिल में रखकर देश की सेवा कर रहा है, तो वह केवल पीएम मोदी हैं.
क्या बोले ज्योतिरादित्य सिंधिया?
सिंधिया ने एएनआई से कहा, "विपक्ष जो खुद संविधान का सम्मान नहीं करता, पीएम ने उन्हें बेनकाब कर दिया है. अब देश के लोग भी जानते हैं कि संविधान की एक प्रति हाथ में रखना और संविधान के सिद्धांतों का पालन करते हुए देश की सेवा करना दो अलग-अलग चीजें हैं. अगर कोई ऐसा करने में सक्षम है तो वह पीएम मोदी हैं."
इससे पहले शनिवार को, मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया, उन पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया और भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए ग्यारह प्रतिज्ञाएं प्रस्तुत कीं. संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में दो दिवसीय चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने नेहरू-गांधी परिवार का बार-बार जिक्र किया और इसके नेताओं की हर पीढ़ी पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने लगातार संविधान का अनादर किया है. इसने इसके महत्व को कम करने का प्रयास किया है. कांग्रेस का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है."
'गरीबी हटाओ' नारा, सबसे बड़ा जुमला
उन्होंने कांग्रेस के 'गरीबी हटाओ' नारे को लेकर उस पर "सबसे बड़ा जुमला" कटाक्ष किया और कहा कि उनकी सरकार का मिशन गरीबों को उनकी कठिनाइयों से मुक्त करना है. प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर हम अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो हमें विकास करने से कोई नहीं रोक सकता." आपातकाल के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि देश को जेल में बदल दिया गया, नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया.
कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि 1947 से 1952 तक भारत में कोई निर्वाचित सरकार नहीं थी, बल्कि एक अस्थायी, चयनित सरकार थी, जिसमें कोई चुनाव नहीं होता था. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1952 से पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था, और राज्य में चुनाव नहीं हुए थे, जिसका अर्थ है कि लोगों का कोई जनादेश नहीं था. संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिवसीय बहस 13 दिसंबर को लोकसभा में शुरू हुई. शीतकालीन संसद का पहला सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ, जिसमें व्यवधानों के कारण दोनों सदनों को काफी पहले स्थगित कर दिया गया. शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा.
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