
पीएम मोदी के पिता दामोदरदास मूलचंद मोदी की रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान थी. नन्हे मोदी (नरिया) अक्सर मदद किया करते थे.

बचपन में नरेंद्र मोदी को नाटक करना पसंद था. उन्होंने स्कूल फंड के लिए एक गुजराती नाटक 'पीलू फूल' में हिस्सा लिया था.

किशोर अवस्था में वे साधु बनना चाहते थे. हिमालय की यात्रा की और कई आश्रमों में रहे, लेकिन फिर लौटकर राष्ट्र सेवा का मार्ग चुना.

दीवाली के दिन उन्होंने RSS की बाल स्वयंसेवक की शपथ ली. संघ के भीतर उन्होंने संगठन और यात्रा प्रबंधन का जिम्मा संभाला.

प्रधानमंत्री मोदी दिन का ज्यादातर हिस्सा देश के लिए समर्पित करते हैं. वे योग, ध्यान और अनुशासित दिनचर्या के लिए जाने जाते हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए हर साल मकर संक्रांति पर पतंग महोत्सव आयोजित करते थे. एक बार सलमान खान भी मेहमान बने.

संघ कार्यालय में रहते हुए मोदी चाय बनाते, बुजुर्ग स्वयंसेवकों के कपड़े धोते और अपना कमरा खुद साफ करते थे.

आपातकाल के दौरान मोदी ने पहचान छुपाने के लिए सरदार का रूप अपनाया और 2.5 साल तक भूमिगत रहकर विरोध में जुटे रहे.

मोदी ने युवावस्था में नशा मुक्ति अभियान चलाया और खुद भी पूरी तरह शाकाहारी व नशामुक्त जीवन अपनाया.

मोदी लंबे समय से आधी बांह वाले कुर्ते पहनते हैं, यही कुर्ता अब 'मोदी कुर्ता' के नाम से एक स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है.