नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान संबंधों में हालिया तनाव के बीच पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय चर्चा के केंद्र में हैं. दिलचस्प बात यह है कि जिन मुनीर को अक्सर भारत विरोधी रणनीतियों के सूत्रधार के रूप में देखा जाता है, उनका पारिवारिक इतिहास भारत के पंजाब से जुड़ा है.
भारत से जुड़ाव: जालंधर की विरासत
जनरल मुनीर का पारिवारिक मूल भारत के जालंधर जिले में है. उनके पिता सैयद सरवर मुनीर 1947 के विभाजन से पहले जालंधर में रहते थे. विभाजन के दौरान हुए सांप्रदायिक दंगों और अस्थिरता के चलते उनका परिवार पाकिस्तान चला गया. पहले वे टोबा टेक सिंह जिले में बसे और बाद में रावलपिंडी के ढेरी हसनाबाद क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास करने लगे, जहां सैयद सरवर एक शिक्षक और मस्जिद में इमाम के रूप में कार्यरत थे.
धार्मिक और सैन्य प्रशिक्षण
असीम मुनीर पाकिस्तान के उन कुछ सैन्य अधिकारियों में हैं, जिन्होंने पवित्र कुरान को पूरी तरह कंठस्थ किया है. वे "हाफिज-ए-कुरान" हैं, और यह विशेषता उन्होंने सऊदी अरब में सैन्य सेवाओं के दौरान प्रमाणित की थी. उनका सेना में प्रवेश ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल (OTS) के माध्यम से हुआ — जो पारंपरिक मिलिट्री एकेडमी के मुकाबले एक वैकल्पिक मार्ग माना जाता है. इसके बावजूद, उन्होंने अपने अनुशासन और रणनीतिक कौशल से ऊंचा मुकाम हासिल किया.
खुफिया तंत्र और सत्ता में उभार
मुनीर पाकिस्तान के पहले ऐसे सेना प्रमुख हैं, जिन्होंने दो प्रमुख खुफिया एजेंसियों — मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) — दोनों का नेतृत्व किया है. 2018 में ISI प्रमुख बनने के बाद उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से मतभेदों के चलते समय से पहले पद छोड़ना पड़ा. बाद में, 2022 में सेना प्रमुख बनने के बाद, इमरान खान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है.
रणनीतिक नीतियों में बदलाव
सेना का नेतृत्व संभालने के बाद मुनीर ने राजनीतिक और आर्थिक नीति निर्धारण में सेना की भूमिका को अधिक प्रभावशाली बना दिया है. ‘स्पेशल इन्वेस्टमेंट फैसिलिटेशन काउंसिल (SIFC)’ की स्थापना के माध्यम से विदेशी निवेश और आर्थिक नीतियों पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाला गया है. इसके साथ ही उन्होंने न्यायपालिका की संरचना में बदलाव कर अपनी स्थिति को और सुदृढ़ किया है.
भारत के प्रति रुख और सुरक्षा चिंताएं
मुनीर का भारत को लेकर रुख हमेशा से कड़ा रहा है. पुलवामा हमले (2019) के दौरान वे ISI प्रमुख थे और हाल ही में 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे उनकी रणनीतिक भूमिका को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं. इस हमले में कई निर्दोष पर्यटक मारे गए थे. इसके अलावा, पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को ठंडे बस्ते में डालना और सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार करना भी उनके नेतृत्व में उठाए गए कदम हैं.
K2 ऑपरेशन क्या है?
भारतीय खुफिया एजेंसियां यह मानती हैं कि मुनीर के नेतृत्व में ISI ‘K2 ऑपरेशन’ को अंजाम दे रही है — जिसमें कश्मीर और खालिस्तान को अस्थिर करने के प्रयास शामिल हैं. कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के साथ-साथ पंजाब में ड्रग्स और संगठित अपराध के ज़रिए अशांति फैलाने की रणनीति भी इसका हिस्सा मानी जा रही है.
अंतरराष्ट्रीय समीकरण
जनरल मुनीर ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई है. उन्होंने अमेरिका, चीन और तुर्की के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की दिशा में पहल की है. ISI-K के एक वांछित आतंकवादी को अमेरिका को सौंपने जैसे कदमों से उन्होंने वॉशिंगटन के साथ रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश की है. वहीं चीन और तुर्की से सैन्य तकनीक के आयात के जरिए सेना को और आधुनिक बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
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