दिल्ली के स्कूलों पर वकील अशोक अग्रवाल ने कहा, एक ही कक्षा में 140 छात्र, न किताबें, न यूनिफॉर्म

    वकील और याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित स्कूलों का चित्रण आम आदमी पार्टी अपने विज्ञापनों में ज़मीनी हकीकत से बिल्कुल अलग है.

    On Delhi schools lawyer Ashok Aggarwal said 140 students in the same class no books no uniform
    School/ ANI

    सरकारी स्कूलों में पाठ्य पुस्तकों की आपूर्ति न होने पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को फटकार लगाने के एक दिन बाद, इस मुद्दे को उठाने वाले वकील और याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित स्कूलों का चित्रण आम आदमी पार्टी अपने विज्ञापनों में ज़मीनी हकीकत से बिल्कुल अलग है.

    अग्रवाल के मुताबिक, विश्वस्तरीय संस्थान चलाने के दावों के बावजूद दिल्ली के स्कूलों की हकीकत काफी अलग है. उन्होंने एक ही कक्षा में 140 छात्रों तक की भीड़भाड़ वाली कक्षाओं और पानी की आपूर्ति की कमी जैसी अपर्याप्त सुविधाओं का वर्णन किया.

    अग्रवाल ने कहा, "दिल्ली सरकार को फटकार लगाई जानी चाहिए. उनके द्वारा किए गए विज्ञापनों से पता चलता है कि वे विश्व स्तरीय संस्थान चलाते हैं, हालांकि, वास्तविकता पूरी तरह से अलग है. मैंने दिल्ली सरकार और एमसीडी के कई स्कूल देखे हैं; मैंने उनमें 140 छात्रों को देखा दिल्ली में एक कक्षा में तीन खंड एक साथ बैठते हैं. पानी की कोई सुविधा नहीं है और यही स्थिति मैंने एमसीडी स्कूलों में भी देखी.''

    अग्रवाल ने दावा किया कि लगभग 8 लाख छात्र एमसीडी के अंतर्गत पढ़ते हैं और उनमें से किसी को भी पाठ्यपुस्तकें, नोटबुक और यूनिफॉर्म नहीं मिली है.

    उन्होंने कहा, "मुद्दा यह है कि एमसीडी में 8 लाख छात्र पढ़ते हैं, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत छात्र पाठ्यपुस्तकें, नोटबुक, लेखन सामग्री और वर्दी प्राप्त करने के हकदार हैं. 8 लाख में से एक भी छात्र को इनमें से कुछ भी नहीं मिला है. इसी तरह शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आने वाले कक्षा 1 से 8 तक के 10 लाख छात्र दिल्ली सरकार के अधीन हैं, उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें (दिल्ली सरकार और एमसीडी) फटकार लगाने के बाद अब उन्हें नोटबुक मिल गई है, हालांकि, किसी भी छात्र को नहीं मिली है."

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 2 लाख छात्रों को पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति न करने पर केजरीवाल और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को कड़ी फटकार लगाई.

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा भी शामिल थे, जिन्होंने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली एमसीडी पर नाराजगी जताई और कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा नहीं देकर व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है. कोर्ट ने दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज को भी फटकार लगाई और कहा कि आप नेता ने छात्रों की दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं.

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