महाकुंभ 2025 : नागा साधु ने 61 घड़े के ठंडे पानी से नहाकर किया हठ योग, ऐसे निभा रहे सदियों पुरानी परंपरा

    अटल अखाड़े के नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज ने कहा कि वह मानवता और समाज के कल्याण के लिए यह अभ्यास करते हैं, इसके पीछे कोई स्वार्थ का उद्देश्य नहीं है.

    महाकुंभ 2025 : नागा साधु ने 61 घड़े के ठंडे पानी से नहाकर किया हठ योग, ऐसे निभा रहे सदियों पुरानी परंपरा
    महाकुंभ में नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज को घड़े से स्नान कराते हुए साथी साधु, उसके बाद आग के सामने भस्म लगाकर बैठे हुए | Photo- ANI के वीडियो से ग्रैब्ड

    प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) : महाकुंभ मेले में अब केवल एक हफ्ते शेष रह गया है, ऐसे में भारत और दुनिया भर से साधु-संतों के साथ-साथ हजारों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचने लगे हैं.

    इस भव्य आध्यात्मिक समागम में नागा साधु अपने खास परिधान और हठ योग से लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं.

    61 घड़ों के ठंडे पानी से नहाते हैं, भस्म लगाकर करते हैं ध्यान

    इनमें से नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज महाकुंभ मेले में चर्चा का विषय बन गए हैं. वे हर सुबह 4:00 बजे एक अद्भुत अनुष्ठान करते हैं, जिसमें वे कड़ाके की ठंड के बावजूद 61 घड़ों के ठंडे पानी से स्नान करते हैं, जबकि ज्यादातर लोग सुबह के समय घर के अंदर रहना पसंद करते हैं.

    प्रमोद गिरी महाराज इसके बाद अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं और पवित्र अग्नि के पास बैठकर ध्यान करते हैं. खास बात यह है कि वे हर दिन घड़ों की संख्या बढ़ाते हैं.

    अटल अखाड़े के नागा साधु प्रमोद गिरी महाराज ने कहा कि वह मानवता और समाज के कल्याण के लिए यह अभ्यास करते हैं, इसके पीछे कोई स्वार्थ का उद्देश्य नहीं है. नागा साधु प्रमोद गिरी ने कहा, "हम मानवता और समाज के कल्याण के लिए यह अभ्यास करते हैं, इसके पीछे कोई स्वार्थ का उद्देश्य नहीं है. एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला लेकर हम जब भी आवश्यकता होगी सनातन धर्म के लिए खड़े होने के लिए तैयार हैं. हठ योग अभ्यास करने का यह मेरा 9वां वर्ष है और जब तक गुरु महाराज की कृपा हम पर है, हम इसे करते रहेंगे."

    नागा संन्यासी की तपस्या को बताया सदियों पुराना

    उन्होंने कहा कि नागा संन्यासी के रूप में तपस्या करना सदियों से उनका मुख्य उद्देश्य रहा है. नागा साधु प्रमोद गिरि ने कहा, "हम नागा संन्यासी हैं और तपस्या करना सदियों से हमारा उद्देश्य रहा है. हमारे गुरुओं ने इसी मार्ग का अनुसरण किया है और हम इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं. घड़ों से स्नान की रस्म आम तौर पर 41 दिनों तक चलती है, लेकिन महाकुंभ मेले में जगह और समय की कमी के कारण हमने इसे घटाकर 21 दिन कर दिया है. पहले दिन से ही, अनुष्ठान 51 घड़ों के पानी से शुरू हुआ, जैसा कि आपने देखा है. मैं एक जगह बैठता हूं और लोग इन घड़ों से मुझ पर पानी डालते हैं. घड़ों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है- किसी दिन तीन, तो किसी दिन दो. आज, 61 घड़े थे. जब 21 दिन पूरे हो जाएंगे, तो हम 108 घड़ों के पानी से स्नान की रस्म करेंगे."

    उन्होंने कहा, "14 तारीख को हम नागाओं का पहला शाही स्नान होगा. उस दिन यह अनुष्ठान मेरे लिए सबसे चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि मैं पहले यहीं यह अनुष्ठान करूंगा और फिर शाही स्नान के लिए आगे बढ़ूंगा. स्नान के बाद हम अपने शरीर पर भीगे हुए ही राख लगाते हैं और यह पूरे दिन हमारे शरीर पर रहती है."

    हर 12 साल में होता है महाकुंभ, 13 जनवरी से हो रहा शुरू

    हर 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को प्रयागराज में समाप्त होगा.

    इस आयोजन में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है. महाकुंभ के दौरान श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर एकत्रित होंगे, ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और मोक्ष (मुक्ति) मिलता है.

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