'मिट्टी का घर, टपकती छत, मां-बाप का संघर्ष', मजदूर के बेटे पवन कुमार ने पास की UPSC की परीक्षा

    Labourer's son Pawan Kumar passes UPSC exam : खुद से की पढ़ाई, कोचिंग के लिए नहीं था पैसा, मोबाइल फोन खरीदने के लिए मशक्कत, अब घर लगा लोगों का तांता.

    'मिट्टी का घर, टपकती छत, मां-बाप का संघर्ष', मजदूर के बेटे पवन कुमार ने पास की UPSC की परीक्षा

    बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) : एक मजदूर के बेटे पवन कुमार के लिए यह एक असाधारण यात्रा रही है, जो बेहद गरीबी में मिट्टी के घर में पला-बढ़ा है और उसके सिर के ऊपर एस्बेस्टस की छत है, लेकिन अब संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एक अधिकारी बनने को तैयार हैं.

    उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले कुमार के पास अपने सपनों से समझौता करने के सभी कारण थे, लेकिन उन्होंने अपनी किस्मत से लड़ने और इसे हासिल करने का फैसला किया और आखिरकार सिविल सेवा परीक्षा में सफल होकर AIR 239 हासिल की.

    यूपीएससी द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा जो कि भारत में सबसे चुनौतीपूर्ण प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है, जिसमें लगभग एक साल की कड़ी प्रक्रिया होती है और व्यापक तैयारी की आवश्यकता होती है. इस परीक्षा के जरिए भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा और भारतीय पुलिस सेवा समेत भारत सरकार की उच्च सिविल सेवाओं के लिए उम्मीदवारों की भर्ती होती है.

    यह भी पढे़ं : 'X' पर बैन को लेकर पाकिस्तान के मंत्रालय ने कहा- यह देश का कानून नहीं मान रहा, गलत इस्तेमाल की चिंता

    खुद से की पढ़ाई, कोचिंग का खर्च उठाने में घर नहीं था सक्षम

    पवन ने कहा कि उन्होंने ज्यादातर सेल्फ स्टडी की क्योंकि उनके परिवार की स्थिति ऐसी थी कि वह महंगी कोचिंग क्लासेज का खर्च वहन नहीं कर सकते थे.

    कुमार ने कहा, "यह मेरा तीसरा प्रयास था. मेरी यात्रा में मेरे परिवार की बहुत बड़ी भूमिका थी, विशेषकर मेरे माता-पिता और मेरी बहनों की. परीक्षा कठिन है, और सेलेबस बहुत बड़ा है, लेकिन इसे पास करना असंभव नहीं है. कोचिंग लेना जरूरी नहीं है. मेरे परिवार की स्थिति ऐसी थी कि मैं इतनी महंगी कोचिंग कक्षाएं नहीं ले सकता था. आप मदद के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं, और अपने प्रयासों को ईमानदारी से जारी रखना अहम है."

    मां ने की छप्पर की छात बारिश में टपकती थी, वह चुपचाप मोबाइल से पढ़ाई करता था

    पवन कुमार का छोटा सा मिट्टी का घर, जहां घास-फूस की गौशाला के नीचे आधा दर्जन मवेशी बंधे हैं, अब वह अपने शुभचिंतकों से गुलजार है.

    पवन कुमार की उत्साहित मां सुमन देवी, जो अपने बेटे की सफलता के दिन का इंतजार कर रही थीं, उनके दिल और आवाज में गर्व था.

    सुमन देवी ने कहा, "मुझे अच्छा लग रहा है कि हमें यह दिन देखने को मिला. हमारे पास एक छप्पर की छत थी जो बारिश होने पर टपकती थी. इससे हमें बहुत परेशानी हुई. हमारे पास गैस सिलेंडर खरीदने में सक्षम होने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए हम अभी भी चूल्हे का उपयोग करते हैं. मैंने एक मजदूर के रूप में कड़ी मेहनत की, वह अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करके घर पर चुपचाप पढ़ाई करता था."

    यह भी पढे़ं : पाकिस्तान में लाहौर HC ने नवाज़ शरीफ़ की पार्टी के 2 नेताओं की जीत रद्द की, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

    पिता बोले- हम बेटे और बेटियों के पढ़ाई के लिए हर छोटे-मोटे काम किए

    पवन के पिता मुकेश कुमार, जिन्होंने भोजन और दैनिक जरूरतों के बारे में चिंता करते हुए कई रातें बिताईं, इन हालातों के बावजूद वह अपने बेटे के प्रदर्शन और उसकी यात्रा से अभिभूत हैं.

    मुकेश कुमार ने कहा, "उसकी कड़ी मेहनत और उसके लिए हमारा सपोर्ट, हमारे हालातों के बावजूद, वह इस मुकाम तक पहुंचा है. हमने उसकी और हमारी बेटियों की शिक्षा का खर्च उठाने में सक्षम होने के लिए सभी प्रकार के छोटे-मोटे काम किए. हमने बहुत कठिनाई से पैसे बचाए. वह अच्छी तैयारी कर सका. हम अपने घर का नया नहीं बना सके क्योंकि हम अपने बच्चों को पढ़ाते थे. बारिश के दौरान हमारी छत टपकती थी और हम सभी एक ही जगह बैठकर रात बिताते थे, लेकिन वह पढ़ाई पर अड़ा था. भगवान ने अब हमें आशीर्वाद दिया है."

    पवन की बहन ने बताया- एक मोबाइल फोन खरीदने में कितनी दिक्कत झेली

    पवन कुमार की बहन गोल्डी को याद आया कि पवन को मोबाइल फोन खरीदने के लिए उसके परिवार ने कितनी मेहनत की थी.

    उसने कहा, "हम एक शांतिपूर्ण वातावरण में रहते थे, और उसे शांति पसंद थी. वह इसी छत के नीचे रहता था और पढ़ाई करता था, और जब बिजली नहीं होती थी, तो वह मिट्टी के तेल के लैंप की रोशनी में पढ़ाई करता था. हमने पैसे के लिए हर तरह के छोटे-मोटे काम किए. उसे एक मोबाइल फोन की जरूरत थी, इसलिए हम सभी ने उसके लिए एक फोन खरीदने के लिए कड़ी मेहनत की ताकि वह पढ़ सके."

    कानपुर के आदित्य श्रीवास्तव ने टॉप की परीक्षा, अनिमेष प्रधान की दूसरी रैंक

    इस बीच, आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र आदित्य श्रीवास्तव ने यूपीएससी सिविल सेवा 2023 परीक्षा में टॉप किया है. श्रीवास्तव और अनिमेष प्रधान ने क्रमशः AIR 1 और 2 स्कोर किया, उसके बाद डोनुरु अनन्या रेड्डी तीसरे स्थान पर रहे.

    यह भी पढे़ं : छत्तीसगढ़ के कांकेर में 29 नक्सलियों के मारे जाने पर कांग्रेस नेता ने उठाए सवाल, मांगा जवाब