नई दिल्ली/आगरा : भारत 24 के उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित 'समग्र भारत' कॉन्क्लेव कार्यक्रम में राज्यमंत्री श्रम विभाग एवं सेवा योजना विभाग के धर्मवीर सिंह और डायरेक्टर उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी निर्माण संघ लि. अर्पित दास ने हिस्सा लिया. सिंह ने राज्य में लॉ एंड ऑर्डर सुधरने, छात्रों से संवाद, और अपने कारागार मंत्री रहने के दौरान जेलों में किए कामों की जानकारी दी.
उन्होंने यूपी में लॉ एंड ऑर्डर से जुड़े भारत 24 के तमाम सवालों के जवाब दिए.
सवाल- आप कहते हैं आप ने गुंडाराज से यूपी को मुक्ति दिलाई है, लॉ एंंड ऑर्डर बेहतर हुआ है, अभी आप उत्तर प्रदेश को कहां देखते हैं?
जवाब- हमारी सरकार से पहले उत्तर प्रदेश का माहौल ऐसा था कि उद्यमी उत्तर प्रदेश से पलायन कर रहे थे. अब लॉ एंड ऑर्डर बेहतर हुआ है तो उद्यमी, व्यापारी, चाहे वो कोई हो, प्लॉटों पर अवैध वसूली सब से अब मुक्ति मिली है.
इन्वेस्टर समिट में मैं चंडीगढ़ गया था वहां हमें इन्वेस्टर्स मिले. उन्होंने कहा कि योगी सरकार से पहले हम लोग वहां माफियाओं की वजह से उत्तर प्रदेश छोड़कर वापस आ गए. अब उत्तर प्रदेश में हम दोबारा अपना उद्यम लगाना चाहते हैं तो निश्चित रूप से योगी जी के नेतृत्व में माहौल राज्य का बेहतर हुआ है.
इस दौरान मंच पर मौजूद डायरेक्टर, उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी निर्माण संघ लि. उत्तर प्रदेश सरकार अर्पित दास ने कांवड़ यात्रा पर विवाद को लेकर पूछे गये सवाल पर कहा- यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट लगाने का यूपी सरकार का कदम अच्छा था.
इस सवाल पर कि लेकिन सनातन की खूबसूरती तो यही है कि कोई भी उसका नाम ले सकता है?
इस पर अर्पित दास महाराज ने कहा कि आप हमारे धर्म के नाम पर व्यापार करेंगे और हमारे देवी-देवताओं को गाली भी देंगे. रोटियों में थूक लगाने के वीडियो वायरल हुए थे, सब्जी में थूकते हुए वीडियो वायरल हुए थे. इन वीडियो का भी जिक्र होना चाहिए. हमारा धर्म वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है यानि पूरा विश्व हमारा परिवार है, लेकिन ये बात सामने से भी तो आनी चाहिए. जहां वह (मुस्लिम) कमजोर हैं वहां वे अमन-चैन की बात करते हैं लेकिन जहां ताकतवर हैं वहां कहते हैं कि भारत को गजवा-ए-हिंद (पूरे हिंदुस्तान के काफिरे को जीतकर उन्हें मुस्लिम बनाना) करेंगे. ऐसा नहीं हो सकता न.
सवाल- मंत्री धर्मवीर सिंह जी छात्रों के साथ आपके काफी संवाद होते हैं युवा पीढ़ी में आप क्या देखते हैं?
जवाब- जेल विभाग भी हमारे पास रहा है, हमने देखा है जेल में ज्यादातर 40 साल की उम्र के नीचे के युवा थे, जिनकी संख्या 85 फीसदी थी. वहां मेरे मन में सवाल उठा कि हमारे देश का 85 फीसदी भविष्य जेल में क्यों है. इसलिए हमने युवा से संवाद की कोशिश की, कि आखिर वह बहक क्यों रहा है.
जालौन में एक कार्यक्रम में ग्रामीण स्तर को लोग थे उनसे हमने चर्चा की. उन्हें उनके मां-बाप का उनके लिए किए गए त्याग की बात की. मां-बाप को भी बच्चों के भविष्य पर ध्यान देने को कहा. वहां से लौटा तो प्रधान ने बताया कि आपके संवाद का असर ये हुआ कि दो भाइयों में जमीन का विवाद था, उन्होंने मिल-बैठकर आपस में इसे सुलझा लिया.
वृंदावन के गोवर्धन में एक कॉलेज में हमने संवाद किया. वहां के प्रिंसिपल का हमारे पास फोन आया कि हमारे और भी कॉलेज हैं आपके संवाद से बच्चों में काफी परिवर्तन हुआ है, इसलिए और कालेजों में हम आपका संवाद कराना चाहते हैं.
उन्होंने कॉन्क्लेव में मौजूद लोगों से कहा- हमें अपने बच्चों को समय देना चाहिए. आज कल समय होने पर भी हम घर में मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, इसमें कटौती करके हमें अपना समय परिवार और बच्चों को देना चाहिए. अपनी बात आप बच्चों से कहें और उनकी बात सुनें. इसका निश्चित रूप से बच्चों पर प्रभाव जरूर पड़ेगा.
प्रश्न- महाराज जी समग्र भारत में संतों की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?
जवाब- संतों की भूमिका हमेशा समग्र भारत की ही रही है. वसुधैव कुटुंबकम हमारे ऋषियों ने कहा है. हमारे यहां ही सबके मंगल की कामना की गई है. इसलिए भारत 24 की समग्र भारत की जो कल्पना पर यह कार्यक्र है उसमें सभी लोग साथ मिलकर भारत की विरासत और संस्कृति का ध्यान रखें.
प्रश्न- मंत्री जी आपने कैदियों को मानवीय नजरिये से देखा, उनकी जमानत की राशि के बिना भी जेल से रिहा कराया?
जवाब- पहली बार मुझे जब विभाग मिला तो कासगंज की जेल गया. वहां जेल में बंद महिलाओं से मैंने बात की. एक महिला 3-4 साल के अपने बच्चे के साथ थी. जब मैंने उससे बात की तो उसने बच्चे को नमस्ते करने को कहा और अपने बच्चे को मेरा पैर छूने कहा. बच्चे ने मेरा पैर छुआ. वह सीन मेरे लिए हृदयविदारक था. आज भी मेरे जेहन में है.
उसी दिन मैंने जेल में बंद बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था कराने की ठानी. उनके कौशल विकास के लिए ट्रेनिंग कराई. ताकि ये जेल से बाहर जाएं तो क्राइम न करें और अपने रोजगार से जुड़ जाएं.
जिन कैदियों ने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा दी थी उनमें 85 फीसदी बच्चे परीक्षा पास किए थे, जो कि बहुत कमाल की बात है.
इन्हें आध्यात्म से जोड़ने का भी रास्ता निकाला और जेलों में सुंदर कांड, हनुमान चालीसा कराया, जिसका उनके जीवन पर बहुत असर पड़ा.
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