'मैच फिक्सिंग- द नेशन एट स्टेक': राजनीति के काले सच को उजागर करती है ये फिल्म, जानिए कैसी है कहानी

    'मैच फिक्सिंग: द नेशन एट स्टेक' एक राजनीतिक थ्रिलर फिल्म है, जो कर्नल कंवर खटाना की किताब 'द गेम बिहाइंड सैफरन टेरर' पर आधारित है. फिल्म की कहानी 2004 से 2008 के बीच भारत में हुए आतंकवादी हमलों और 26/11 के मुंबई हमलों के इर्द-गिर्द घूमती है.

    Match Fixing - The Nation at Stake This film exposes the dark truth of politics know the story
    मैच फिक्सिंग- द नेशन एट स्टेक

    Match Fixing Review: 'मैच फिक्सिंग: द नेशन एट स्टेक' एक राजनीतिक थ्रिलर फिल्म है, जो कर्नल कंवर खटाना की किताब 'द गेम बिहाइंड सैफरन टेरर' पर आधारित है. फिल्म की कहानी 2004 से 2008 के बीच भारत में हुए आतंकवादी हमलों और 26/11 के मुंबई हमलों के इर्द-गिर्द घूमती है. मुख्य भूमिका में विनीत कुमार सिंह ने लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश पटवर्धन का किरदार निभाया है, जो एक जांबाज़ सेना अधिकारी हैं और राजनीतिक साजिशों के जाल में फंस जाते हैं.

    कहानी

    फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे तत्कालीन सरकार ने 'हिंदू आतंकवाद' का नैरेटिव सेट करने के लिए एक सेना अधिकारी को बलि का बकरा बनाया. कहानी मालेगांव बम ब्लास्ट से शुरू होकर मुंबई के 26/11 हमलों तक के घटनाक्रमों को दर्शाती है, जिसमें राजनीतिक साजिशों और आतंकवादी हमलों के बीच के संबंधों को उजागर किया गया है. 

    अभिनय

    विनीत कुमार सिंह ने लेफ्टिनेंट कर्नल अविनाश के रूप में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है. उनकी पत्नी की भूमिका में अनुजा साठे ने भी अच्छा काम किया है, हालांकि उनका रोल सीमित है. अन्य सहायक कलाकारों ने अपनी भूमिकाओं को ठीक से निभाया है, लेकिन कुछ पात्र कैरिकेचर जैसे प्रतीत होते हैं. पाकिस्‍तानी राष्‍ट्रपति मुशर्रफ की भूमिका में मनोज जोशी हैं. मुशर्रफ अपने तेजतर्रार मिजाज के लिए विख्‍यात थे. मनोज ने व्‍यक्तित्‍व तो बखूबी निभाया है. कर्नल इमाम की भूमिका में अर्जुन राज का काम उल्‍लेखनीय है. वह अपनी लय बनाए रखते हैं. एक सिपाही कर दे तबाही... कहानी के साथ सुसंगत है. यह फिल्‍म बेहतरीन राजनीतिक थ्रिलर इसकी पटकथा और स्‍क्रीन प्‍ले बनाती है.

    निर्देशन

    केदार गायकवाड का निर्देशन शानदार और दमदार है. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, लेकिन पटकथा में मजबूती की कमी महसूस होती है. कहानी का प्रवाह असंगत है, जिससे दर्शकों की रुचि बीच-बीच में कम हो सकती है. फिल्म 'मैच फिक्सिंग' में कहीं-कहीं राजनीतिक एंगल जबरदस्ती का लगता है, लेकिन तब भी इसकी कहानी दर्शकों को बांधे रखने में कामयाब रहती है.

    संगीत

    फिल्म में दो गाने हैं, जो कहानी के साथ मेल खाते हैं, और कहानी को मजबूत बनाते है.

    निष्कर्ष

    यदि आप राजनीतिक थ्रिलर पसंद करते हैं और इस विषय में रुचि रखते हैं, तो 'मैच फिक्सिंग: द नेशन एट स्टेक' देखी जा सकती है.

    निर्देशक- केदार गायकवाड

    कलाकार- विनीत कुमार सिंह, अनुजा साठे, मनोज जोशी, किशोर कदम, राज अर्जुन, शतफ फिगर

    रेटिंग- 4 स्टार'

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