‘मन की बात’ के 123वें एपिसोड में पीएम मोदी ने योग, तीर्थ यात्रा और सेवा भावना पर रखे विचार

    Mann Ki Baat 123 Episode: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का 123वां संस्करण रविवार, 29 जून 2025 को देशभर में प्रसारित हुआ. इस मासिक कार्यक्रम को देश की 22 भाषाओं और कई स्थानीय बोलियों में प्रस्तुत किया गया.

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    Mann Ki Baat 123 Episode: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का 123वां संस्करण रविवार, 29 जून 2025 को देशभर में प्रसारित हुआ. इस मासिक कार्यक्रम को देश की 22 भाषाओं और कई स्थानीय बोलियों में प्रस्तुत किया गया. इस बार के एपिसोड की शुरुआत प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के सफल आयोजन की चर्चा से की.

    योग का वैश्विक प्रभाव और भारत की भूमिका

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि योग अब सिर्फ भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक जन आंदोलन बन चुका है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष के योग दिवस पर देशभर में दिव्यांगजनों से लेकर सुरक्षाबलों तक, सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. खासतौर पर उन्होंने तेलंगाना में दिव्यांगजनों के योग अभ्यास और कश्मीर में तैनात सैनिकों के योग सत्र का उल्लेख करते हुए इसे “भारत की एकता और सामूहिक ऊर्जा का प्रतीक” बताया.

    तीर्थ यात्राओं में सेवा भाव की सराहना

    प्रधानमंत्री ने तीर्थ यात्राओं में जुटे सेवा भाव और स्वैच्छिक संगठनों की भी सराहना की. उन्होंने विशेष रूप से कैलाश पर्वत यात्रा का ज़िक्र किया और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए काम कर रहे सेवकों और संगठनों को धन्यवाद दिया. इसके साथ ही उन्होंने आगामी अमरनाथ यात्रा, जो 3 जुलाई से शुरू होने जा रही है, का उल्लेख करते हुए सुरक्षा, सुविधा और श्रद्धा के संगम को राष्ट्र के लिए प्रेरणादायक बताया. भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए देश को 'ट्रैकोमा मुक्त' (Trachoma-Free) घोषित किया है. यह उपलब्धि न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए गौरव की बात है, बल्कि यह सरकार की जनस्वास्थ्य योजनाओं की सफलता का प्रमाण भी है.

    क्या है ट्रैकोमा और क्यों है इसका उन्मूलन जरूरी?

    ट्रैकोमा आंखों की एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो साफ-सफाई और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते फैलती है. समय पर इलाज न मिलने पर यह बीमारी अंधत्व (Blindness) का कारण भी बन सकती है. एक समय था जब भारत के कई हिस्सों में यह रोग आम था, लेकिन वर्षों की सतत योजना, जागरूकता अभियानों और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार ने इसे जड़ से खत्म कर दिया.

    सरकार के ठोस प्रयास लाए बदलाव

    भारत सरकार ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए राष्ट्रीय ट्रैकोमा नियंत्रण कार्यक्रम और विभिन्न नेत्र स्वास्थ्य मिशनों को प्राथमिकता दी. साफ-सफाई, स्वच्छ पेयजल, और स्कूल स्तर पर आंखों की नियमित जांच जैसे कदमों से इस बीमारी की रोकथाम में निर्णायक सफलता मिली.

    अंतरराष्ट्रीय मान्यता से बढ़ा भारत का मान

    WHO द्वारा ट्रैकोमा-फ्री देश घोषित किए जाने के बाद भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने इस चुनौतीपूर्ण बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पा लिया है. ILO और WHO दोनों ने भारत के नीतिगत प्रयासों, सामुदायिक सहभागिता और नवाचारों की तारीफ की है.

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