नई दिल्ली : मकर संक्रांति 2025 मनाने के लिए मंगलवार को भारत भर में गंगा नदी के तट पर हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए. यह त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण की शुरुआत को लेकर मनाया जाता है.
कोलकाता के बाबूघाट से लेकर वाराणसी के गंगा घाटों और हरिद्वार के हर की पौड़ी तक श्रद्धालुओं ने ठंड के बावजूद पवित्र स्नान और पूजा-अर्चना की.
पश्चिम बंगाल, वाराणसी, पटना समेत घाटों पर उमड़े लोग
पश्चिम बंगाल में, श्रद्धालुओं ने कोलकाता के बाबूघाट में नदी में पवित्र डुबकी लगाकर अनुष्ठान किए. इसी तरह, वाराणसी और पटना के घाटों पर भी पारंपरिक अनुष्ठानों में बड़ी भीड़ देखी गई, जिसमें ठंड के बावजूद बच्चों सहित परिवारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.
उत्तराखंड में, श्रद्धालु इस शुभ अवसर पर पारंपरिक गंगा स्नान (पवित्र स्नान) करने के लिए हरिद्वार में हर की पौड़ी पर एकत्र हुए.
राजस्थान में, मकर संक्रांति के अवसर पर जयपुर के बालाजी मंदिर में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं.
बिहार में, हजारों की संख्या में लोग मकर संक्रांति के अवसर पर डुबकी लगाने के लिए पटना के गंगा घाट पर पहुंचे. बच्चों के साथ उनके माता-पिता और दादा-दादी भी गंगा के ठंडे पानी में डुबकी लगाते देखे गए.
श्रद्धालु विजया लक्ष्मी ने कहा, "हम हर साल मकर संक्रांति को हर्षोल्लास से मनाते रहें और सभी की मनोकामनाएं पूरी हों." उन्होंने कहा कि "ईश्वर में आस्था" लोगों को ठंड को सहन करने और ठंड के मौसम में गंगा में डुबकी लगाने के लिए प्रेरित करती है.
प्रयागराज में आज पहला अमृत स्नान
प्रयागराज में, मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान मंगलवार को शुरू हुआ, जब महानिर्वाणी पंचायती अखाड़े के साधुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई.
14 जनवरी को पूरे देश में मकर संक्रांति बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, यह सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है, जो उत्तरायण की शुरुआत का संकेत है.
मकर संक्रांति के दौरान गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और आध्यात्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है. यह दिन दान और भक्ति के कार्यों के लिए भी समर्पित है. तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी और अन्य त्यौहारी व्यंजन जैसे पारंपरिक व्यंजन इस अवसर की शोभा बढ़ाते हैं. जीवंत ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक पतंग उड़ाना इस दिन एक प्रिय परंपरा है. इस त्यौहार को देश के विभिन्न हिस्सों में पोंगल, बिहू और माघी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है.
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