आपके कप के चाय की कड़क हो सकती है फीकी- कम बारिश, कीट से घटी पैदावर, बढ़ सकती हैं कीमतें

    उत्तर बंगाल में 21 प्रतिशत फसल को नुकसान से 7 प्रतिशत की कीमत में वृद्धि हुई है, जबकि असम में 11 प्रतिशत उत्पादन में गिरावट से 15 प्रतिशत की कीमत में वृद्धि देखी गई है.

    आपके कप के चाय की कड़क हो सकती है फीकी- कम बारिश, कीट से घटी पैदावर, बढ़ सकती हैं कीमतें
    पश्चिम बंगाल के दार्जलिंग में एक चाय बगान में श्रमिक काम के दौरान, प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo- ANI

    कोलकाता (पश्चिम बंगाल) : भारतीय चाय संघ के के अनुसार, 2024 में देश में चाय उत्पादन में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जिसमें असम में 11 प्रतिशत की गिरावट और जुलाई तक पश्चिम बंगाल में 21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

    एसोसिएशन ने इस गिरावट के लिए मई तक कन बारिश और ज्यादा गर्मी को जिम्मेदार ठहराया, इसके बाद जून और जुलाई में अत्यधिक वर्षा हुई, जिससे चालू सीजन के दौरान फसल उत्पादन में बाधा आई.

    यह भी पढ़ें : J&K में पहले चरण का मतदान परसों, उमर अब्दुल्ला ने कहा- वोटों का अच्छा हिस्सा NC को मिलेगा

    एसोसिएशन कम बारिश को बताई वजह

    एसोसिएशन ने कहा, "उत्तर भारतीय चाय उद्योग का उत्पादन आंकड़ा मई तक अपर्याप्त वर्षा और अत्यधिक गर्मी और जून और जुलाई में अत्यधिक वर्षा के लगातार हमले के परिणामस्वरूप एक अनिश्चित स्थिति को दर्शाता है."

    एसोसिएशन के अनुसार, पश्चिम बंगाल और असम दोनों में चाय की पत्तियों को कमजोर करने वाले गंभीर कीट और रोग संक्रमण से स्थिति और भी खराब हो गई है.

    10 प्रतिशत उत्पादन कम होने का अनुमान

    एसोसिएशन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इससे आने वाले महीनों में फसल को और नुकसान हो सकता है. चाय बागानों की रिपोर्ट से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में उत्पादन में लगभग 10 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है, जबकि असम के बागान पिछले साल की तुलना में अगस्त 2024 में लगभग 3 प्रतिशत पीछे हैं.

    इसने परिचालन के समय से पहले बंद होने और संशोधित फसल अनुमानों के कारण 2024 में 160-170 मिलियन किलोग्राम चाय के अनुमानित नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की. एसोसिएशन ने कहा कि उत्तर भारतीय चाय की कीमतों में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन यह वृद्धि उत्पादन में कमी की भरपाई करने के लिए काफी नहीं है.

    बंगाल में 21 फीसदी असम में 11 प्रतिशत कम पैदावार

    उत्तर बंगाल में 21 प्रतिशत फसल के नुकसान के कारण केवल 7 प्रतिशत की कीमत में वृद्धि हुई है, जबकि असम में 11 प्रतिशत उत्पादन में गिरावट से 15 प्रतिशत की कीमत में वृद्धि देखी गई है.

    एसोसिएशन ने कहा, "उत्पादन में गिरावट के साथ, उद्योग ने उत्तर भारत में लगभग 13 प्रतिशत की कीमत वसूली में वृद्धि देखी है, हालांकि कीमत में यह वृद्धि उद्योग को पहले से हुए उत्पादन के नुकसान के अनुरूप नहीं है."

    चाय इंडस्ट्री ने आर्थिक प्रोत्साहन की मांग की

    चुनौतियों के अलावा, उद्योग को सब्सिडी में देरी और मजदूरी व खाद्यान्न जैसे आवश्यक इनपुट की बढ़ती लागत से भी जूझना पड़ रहा है. इन बढ़ते वित्तीय दबावों के साथ, चाय उद्योग अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा है, और एसोसिएशन ने सरकारी सहायता के लिए अपनी मांगें तेज कर दी हैं.

    भारतीय चाय संघ के अध्यक्ष संदीप सिंघानिया ने कहा, "उद्योग वित्तीय प्रोत्साहनों के साथ उद्योग को संभालने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के समक्ष की गई अपीलों का इंतजार कर रहा है. उद्योग वित्तीय प्रोत्साहनों को बढ़ाने के लिए असम सरकार का आभारी है, लेकिन खाद्यान्न के मोर्चे पर भी इसी तरह के विचार की मांग कर रहा है क्योंकि खुले बाजार में खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों के कारण उद्योग पर भारी बोझ डाला जा रहा है."

    यह भी पढे़ं : अमेरिकी चुनाव : डोनाल्ड ट्रम्प की फिर से हत्या की कोशिश, जो बाइडेन ने राजनीतिक हिंसा की कोई जगह नहीं

    भारत