बेरूत (लेबनान): लेबनान में भारतीय दूतावास के एक बयान में कहा गया है कि सीरिया से निकाले गए सभी 75 भारतीय नागरिक, जिनमें जम्मू-कश्मीर के 44 जायरीन भी शामिल थे, जो सईदा ज़ैनब में फंसे हुए थे, अब बेरूत पहुंच गए हैं.
बयान में कहा गया है कि लेबनान में भारत के राजदूत नूर रहमान शेख ने बेरूत में उनका स्वागत किया. बयान में कहा गया है कि यात्री भारत में उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों से लौटेंगे.
बेरूत पहुंचने पर राजदूत नूर रहमान ने स्वागत किया
एक्स पर एक पोस्ट में, दूतावास ने कहा, "जम्मू-कश्मीर के 44 जायरीन सहित सीरिया से निकाले गए सभी 75 भारतीय नागरिक, जो सईदा ज़ैनब में फंसे हुए थे, अब बेरूत पहुंच गए हैं. बेरूत पहुंचने पर राजदूत नूर रहमान ने उनका स्वागत किया. वे भारत के लिए उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों से लौटेंगे."
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, सीरिया में सुरक्षा स्थिति के हमारे आकलन और भारतीय नागरिकों के अनुरोध के बाद दमिश्क और बेरूत में भारत के दूतावासों द्वारा समन्वित निकासी को प्रभावी बनाया गया था.
All 75 Indian nationals evacuated from Syria including 44 ‘zaireen’ from Jammu & Kashmir who were stranded at Saida Zainab, have now reached Beirut. Ambassador @NoorRahman_IFS received them upon their arrival in Beirut. They will return by available commercial flights to India. https://t.co/UWdEDDW7Cj pic.twitter.com/WVGGQ2K12g
— India in Lebanon (Embassy of India, Beirut) (@IndiaInLebanon) December 10, 2024
दूतावास ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किया
भारत सरकार विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है. सीरिया में बचे भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे अपडेट के लिए दमिश्क में भारतीय दूतावास के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 963 993385973 (व्हाट्सएप पर भी) और ईमेल आईडी ([email protected]) पर संपर्क में रहें. विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेगी.
भारत ने सीरिया से 75 नागरिकों को निकाला है, जहां हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही बलों ने बशर अल-असद के शासन को हटाकर सत्ता हासिल कर ली है.
बशर अल-असद को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा
रविवार को सीरियाई विद्रोहियों के दमिश्क में प्रवेश करने के बाद सीरिया में स्थिति केंद्र बिंदु बनी हुई है, जिससे राष्ट्रपति बशर अल-असद को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे देश में उनका दो दशक से अधिक का शासन समाप्त हो गया.
टीएएसएस ने क्रेमलिन स्रोत का हवाला देते हुए बताया कि रूस ने असद और उनके परिवार को शरण दी है. सूत्र ने पुष्टि की कि असद और उनका परिवार मास्को आ गया है और रूस ने मानवीय विचारों से प्रेरित होकर उन्हें शरण दी है.
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