भारत ने हेमोडायलिसिस मशीनों की पहली खेप पापुआ न्यू गिनी को भेजी, गुजरात के पिपावाव बंदरगाह से रवाना

    भारत ने पापुआ न्यू गिनी को हेमो-डायलिसिस मशीनों की पहली खेप भेज दी है. तीसरे फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (FIPIC III) शिखर सम्मेलन में की गई प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए, भारत ने मशीनों की पहली खेप भेजी.

    India sends first consignment of haemodialysis machines to Papua New Guinea departs from Pipavav port in Gujarat
    भारत ने हेमोडायलिसिस मशीनों की पहली खेप पापुआ न्यू गिनी को भेजी/Photo- ANI

    नई दिल्ली: भारत ने पापुआ न्यू गिनी को हेमो-डायलिसिस मशीनों की पहली खेप भेज दी है. तीसरे फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (FIPIC III) शिखर सम्मेलन में की गई प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए, भारत ने मशीनों की पहली खेप भेजी.

    विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने शुक्रवार को बताया कि, पोर्टेबल रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) इकाइयों के साथ 12 हेमो-डायलिसिस मशीनें गुजरात के पिपावाव बंदरगाह से रवाना हुईं.

    12 हेमो-डायलिसिस मशीनों की पहली खेप रवाना हुईं

    रणधीर जयसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा, "प्रशांत द्वीप समूह परिवार के साथ खड़े हैं. एफआईपीआईसी III शिखर सम्मेलन में की गई भारत की प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए, 12 हेमो-डायलिसिस मशीनों की पहली खेप पोर्टेबल आरओ इकाइयाँ पिपावाव बंदरगाह से पोर्ट मोरेस्बी, पापुआ न्यू गिनी के लिए रवाना हुईं."

    मई 2023 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग फोरम के तीसरे शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करने के लिए पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी का दौरा किया.

    जिन्हे भरोसेमंद मानते थे वे ज़रूरत के समय साथ नहीं खड़े थे

    अपने उद्घाटन वक्तव्य के दौरान, पीएम मोदी ने कहा था, "जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, भूख, गरीबी और विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ पहले से ही प्रचलित थीं. अब नये मुद्दे सामने आ रहे हैं. भोजन, ईंधन, उर्वरक और फार्मास्यूटिकल्स की आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं. जिन्हें हम भरोसेमंद मानते थे, पता चला कि वे ज़रूरत के समय हमारे साथ नहीं खड़े थे."

    उन्होंने कहा, "इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान, एक पुरानी कहावत सच साबित हुई है: 'जरूरतमंद दोस्त वास्तव में दोस्त होता है.' मुझे खुशी है कि भारत इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपने प्रशांत द्वीप दोस्तों के साथ खड़ा रहा. चाहे वह टीके हों या आवश्यक दवाएं, गेहूं हो या चीनी; भारत अपनी क्षमताओं के अनुरूप सभी भागीदार देशों की सहायता कर रहा है. चाहे वह डिजिटल तकनीक हो या अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी; चाहे स्वास्थ्य सुरक्षा हो या खाद्य सुरक्षा; चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो या पर्यावरण संरक्षण; हम हर तरह से आपके साथ हैं."

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