हिंदू समाज को मतभेद, भाषा, जाति के विवाद मिटाकर एकजुट होना होगा, सम्मेलन में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू समाज से अपनी सुरक्षा के लिए भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को दूर करके एकजुट होने का आह्वान किया.

    Hindu society will have to unite by erasing differences language and caste disputes RSS chief Mohan Bhagwat said in the conference
    हिंदू समाज को मतभेद, भाषा, जाति के विवाद मिटाकर एकजुट होना होगा, सम्मेलन में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत/Photo- ANI

    बारां नगर (राजस्थान): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदू समाज से अपनी सुरक्षा के लिए भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को दूर करके एकजुट होने का आह्वान किया.

    शनिवार को बारां नगर के कृषि उपज मंडी में आरएसएस के स्वयंसेवक सम्मेलन को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि समाज में आचरण का अनुशासन, राज्य के प्रति कर्तव्य और लक्ष्य-उन्मुख होने का गुण आवश्यक है.

    समाज केवल मेरे और मेरे परिवार से नहीं बनता है

    मोहन भागवत ने कहा, "अपनी सुरक्षा के लिए हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेदों और विवादों को दूर करके एकजुट होना होगा. समाज ऐसा होना चाहिए जिसमें संगठन, सद्भावना और आत्मीयता का अभ्यास हो. आचरण का अनुशासन, राज्य और राज्य के प्रति कर्तव्य समाज में लक्ष्य-उन्मुख होने की गुणवत्ता आवश्यक है. समाज केवल मेरे और मेरे परिवार से नहीं बनता है, बल्कि हमें समाज की सर्वांगीण चिंता करते हुए अपने जीवन में ईश्वर को प्राप्त करना है."

    उन्होंने कहा कि भारत एक 'हिंदू राष्ट्र' है और हिंदू शब्द का इस्तेमाल देश में रहने वाले 'सभी संप्रदायों' के लोगों के लिए किया जाता है.

    भारत के सभी संप्रदायों के लिए हिंदू का उपयोग होता था

    उन्होंने कहा, "भारत एक हिंदू राष्ट्र है. हम यहां प्राचीन काल से रह रहे हैं, हालांकि हिंदू नाम बाद में आया. यहां रहने वाले भारत के सभी संप्रदायों के लिए हिंदू का उपयोग किया जाता था. हिंदू सभी को अपना मानते हैं और सभी को अपनाते हैं. हिंदू कहते हैं कि हम सही है और आप भी अपनी जगह पर सही हैं."

    उन्होंने उल्लेख किया कि आरएसएस का काम यांत्रिक नहीं बल्कि विचार-आधारित था और 'दुनिया' में ऐसा कोई काम नहीं था जिसकी तुलना आरएसएस द्वारा किए गए काम से की जा सके.

    उन्होंने कहा कि संघ के लिए, मूल्य समूह नेता से स्वयंसेवक तक और उनसे स्वयंसेवकों के परिवार के सदस्यों तक जाते हैं. भागवत ने कहा, संघ में व्यक्तित्व विकास की यही पद्धति है.

    संघ का काम यांत्रिक नहीं बल्कि विचार आधारित है

    उन्होंने कहा, "संघ का काम यांत्रिक नहीं बल्कि विचार आधारित है. दुनिया में संघ के काम की तुलना में कोई काम नहीं है. संघ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती. संघ से मूल्य समूह नेता तक जाते हैं, समूह नेता से स्वयंसेवक तक और स्वयंसेवक से परिवार तक, यह संघ में व्यक्तित्व विकास की पद्धति है."

    कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा राजस्थान क्षेत्र के संघचालक रमेश अग्रवाल, चित्तौड़ प्रांत के संघचालक जगदीश सिंह राणा, बारां विभाग के संघचालक रमेश चंद मेहता और बारां जिले के संघचालक वैद्य राधेश्याम गर्ग भी उपस्थित थे.

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